पीएम आवास योजना का पैसा कहीं और किया खर्च
वाराणसी (रणभेरी सं.)। वाराणसी में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी क्षेत्र ) में सहायता राशि पाए 978 लाभार्थियों के बैंक खाता से धन आहरण पर रोक लगा दी गई थी। इन सभी ने सरकारी मदद मिलने के बाद भी निर्माण नहीं कराया। डूडा ने जब दबाव बनाया तब 635 लोगों ने निर्माण कार्य शुरू कराया जिसपर उनके बैंक खाते से धन निकासी पर लगी रोक हटा दी गई है। चेतावनी के बाद भी निर्माण नहीं कराने पर 343 लाभार्थियों के बैंक खाते अभी भी फ्रिज हैं। अब इन्हें डिफाल्टर घोषित करते हुए वसूली की तैयारी शुरू की जा रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी क्षेत्र योजना का शुभारंभ मोदी सरकार ने वर्ष 2017 में किया था। उद्देश्य था कि जिन गरीब वर्ग के पास भूमि तो उपलब्ध है लेकिन पक्की छत नहीं है, उन्हें निर्माण के लिए सरकार आर्थिक मदद करे। प्रथम चरण में प्रत्येक लाभार्थी को ढाई लाख रुपए तीन किश्त में देने का प्रावधान तैयार हुआ डूडा के अनुसार कई लाभार्थी प्रथम और कई लाभार्थी द्वितीय किश्त हासिल करने के बाद भी निर्माण नहीं कराए। जांच में प्रकरण सामने आया तो अब इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए योजना का शुभारंभ हुआ तो 45 हजार से अधिक शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों ने आवेदन किया। योजना के प्रथम चरण में 39 हजार 277 लोगों के आवेदन स्वीकृत हुए।
दूसरी किश्त में खुलने लगी पोल
नगरीय विकास अभिकरण ( डूडा) के अनुसार प्रथम और द्वितीय किश्त जारी जारी करने के बाद 978 ऐसे लोग सामने आए जिन्होंने पैसा तो सरकार से लिए लेकिन निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं कराया। 2023 में जब योजना का प्रथम चरण बंद हुआ तब इनकी जांच - पड़ताल विभागीय स्तर पर शुरू हुई।
18 महीने का मिलता है समय
परिजना अधिकारी निधि बाजपेई ने बताया कि निर्माण के लिए धनराशि आवंटित होने के बाद 18 महीने का समय मिलता है। इस अवधि में लाभार्थी को निर्माण कराना होता है, तभी उसे अगली किश्त मिलती है। लाभार्थियों के जमीन जहां उसे निर्माण कराना होता है, उसकी जियो टैगिंग कराई जाती है। वर्ष 2023 में योजना का प्रथम चरण समाप्त होने के बाद विभाग ने जियो टैगिंग की मदद से जांच पड़ताल शुरू की।
डूडा पहुंचा लाभार्थी के द्वार तो सामने आए किस्से
सरकारी धन के दुरूपयोग करने वाले 978 लोगों के घर जाकर, मोबाइल फोन से वार्ता कर जब डूडा ने भवन निर्माण के लिए दिए गए पैसों का हिसाब मांगा तो किसी ने बताया कि रुपया तो पति की बीमारी में खर्च हो गया, किसी ने मुंडन संस्कार में ही आवास निर्माण के लिए मिले पैसे को खर्च के दिया। किसी ने धनराशि पर्याप्त नहीं होने की बात कहते हुए निर्माण अधूरा छोड़ रखा था।
बैंक खाते हुए फ्रीज तो होने लगा निर्माण
जियो टैगिंग की मदद से डूडा ने पता लगाया कि वाराणसी में 978 ऐसे लाभार्थी हैं जिन्होंने पैसे तो लिए लेकिन निर्माण नहीं कराया। जिला नगरीय विकास अभिकरण की टीम ने सहायता राशि मिलने के बाद भी निर्माण नहीं करने वालों के पहले बैंक खाते से धन निकासी पर रोक लगवा दी और उसके बाद उनके घरों के दरवाजे पहुंची। पीओ डूडा ने बताया कि 978 लोगों में से 635 लोगों ने विभागीय दबाव पर किसी तरह निर्माण कार्य शुरू कराया जिसपर उनके बैंक खाते से धन आहरण पर लगी रोक हटा दी गई।
343 से राजस्व की टीम करेगी वसूली
डूडा कार्यालय के अनुसार पीएम आवास योजना शहरी फेज वन स्कीम बंद होने के दो साल बाद भी निर्माण नहीं कराने वाले 343 लाभार्थियों के बैंक खाते फ्रिज हैं। अब इनसे सरकार सहायता राशि वसूलेगी।
तहसील की टीम पहुंची तो ब्याज सहित होगी वसूली
नगरीय विकास अभिकरण आवास निर्माण के लिए मिली धनराशि अन्य कार्यों में व्यय करने वालों से राजस्व की टीम वसूली करेगी। तहसील की टीम सरकारी पैसा ब्याज के साथ वसूल करेगी। विभागीय नोटिस के बाद अब इनकी सूची तहसील में भेजी जा रही है ताकि राजस्व टीम इनसे सरकारी रकम की वसूली करे।