...तो क्या भ्रष्टाचार के लिए सपा, बसपा और कांग्रेस जिम्मेदार!

 ...तो क्या भ्रष्टाचार के लिए सपा, बसपा और कांग्रेस जिम्मेदार!
  • भाजपा जिलाध्यक्ष के बयान पर विपक्षी दलों का तीखा हमला, बोले- भाजपा में समा गए सारे भ्रष्टाचारी
  • वाराणसी विकास प्राधिकरण बन गया भ्रष्टाचार का अड्डा, हर निर्माण पर होती है अवैध वसूली; जीरो टॉलरेंस का दावा सिर्फ दिखावा

अजीत सिंह 

वाराणसी (रणभेरी): सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ जहां उत्तर प्रदेश में जीरो टॉलरेंस की नीति का दावा करते हैं। वहीं उनके मंत्री और विधायक भी तमाम मंचों से इस बात की रट लगाए रहते हैं कि प्रदेश भ्रष्टाचार-मुक्त हो चुका है। लेकिन यह विडंबना ही है कि प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण नगरी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भ्रष्टाचार का बोलबाला अपने चरम पर है। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण इस समय वाराणसी विकास प्राधिकरण बना हुआ है। वीडीए मे भ्रष्टाचार ने इस कदर अपनी जड़ें जमा ली है कि वह अब सिस्टम का हिस्सा बन चुका है। वीडीए में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ आपका अपना अखबार रणभेरी बीते 40 दिनों से एक मुहिम चला रहा है। लेकिन वीडीए अफसरों की बेशर्मी व बेहयाई का आलम यह है कि ये अपनी लूट-खसोट व अवैध वसूली की जैसे अपराध से बाज़ नहीं आ रहे है। दरअसल शहर के हर इलाके मे धड़ल्ले से होने वाले लगभग सभी अवैध निर्माणों के पीछे विकास प्राधिकरण के स्थानीय अफसरों का हाथ होता है जो निर्माण के शुरू होने से लेकर पूरा होने तक बड़े पैमाने पर वसूली का धंधा करने मे लिप्त होते हैं। सेटिंग-गेटिंग के बिना अब वाराणसी में एक भी निर्माण संभव नहीं है।इसी मुद्दे पर जब हमने सत्ता पक्ष के नेताओं से बात की तो कुछ तो अंजान बन गए और कईयों ने बात करने मे आना-कानी किया और नज़र चुरा कर निकल गए। इसी कड़ी मे जब हमारे प्रतिनिधि ने भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा से वीडीए मे व्याप्त भ्रष्टाचार के मामले मे सवाल पूछा तो उन्होंने भ्रष्टाचार पर न बोलकर सरकार की तारीफों के पुल बांध दिए और ऑपरेशन सिंदूर की उपलब्धियां गिनाने लगे। उलटे उन्होंने भ्रष्टाचार के लिए विपक्षी दलों को जिम्मेदार ठहराया और कहने लगे कि देश भर मे इन सबके लिए सपा,बसपा और कांग्रेस जिम्मेदार है। भाजपा जिलाध्यक्ष का यह बयान जब विपक्षी दलों के स्थानीय नेताओं के पास पहुंचा तो उन्होंने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस, सपा और बसपा नेताओं ने भाजपा पर करारा हमला बोला। उनका कहना था कि अब तो सारे भ्रष्टाचारी भाजपा में समा गए हैं। भाजपा में शामिल होते ही उनके सारे पाप धुल जाते हैं। भाजपा भ्रष्टाचारियों के लिए वाशिंग मशीन है। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा सरकार का जीरो टॉलरेंस का नारा अब सिर्फ जुमला बनकर रह गया है। सत्ता पक्ष खुद भ्रष्टाचार के दलदल में डूबा है। वाराणसी विकास प्राधिकरण, जिसे शहर के सुनियोजित विकास की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, आज एक उगाही केंद्र में तब्दील हो चूका है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि बिल्डर, रसूखदार, नेता और अधिकारी मिलकर शहर को लूट रहे हैं। वीडीए के मामले मे हर मंजूरी, हर नक्शे के पीछे अवैध वसूली का खेल जारी है। बिना मोटी रकम चुकाए कोई भी निर्माण संभव नहीं। आज जो भी मकान, दुकान या अपार्टमेंट बन रहा है, उसके पीछे लाखों की अवैध वसूली हो रही है। विकास शुल्क के नाम पर दोहरी लूट हो रही है। एक तरफ सरकार के तय शुल्क वसूले जा रहे हैं, दूसरी ओर अधिकारियों की जेब भरने के लिए अवैध वसूली हो रही है। शहर के कई इलाकों में अवैध बहुमंज़िला इमारतें खड़ी की जा रही हैं। इसमें वीडीए के उपाध्यक्ष (वीसी), जोनल अधिकारी, अभियंता और बाबू तक शामिल हैं।
विपक्षी नेताओं का कहना है कि प्रदेश के सबसे पवित्र शहरों में गिने जाने वाले वाराणसी का विकास प्राधिकरण अब भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा बन चुका है। सत्ता पक्ष की चुप्पी इस गहरे गठजोड़ को उजागर करती है। आम जनता की उम्मीदें टूटती जा रही हैं। अब सवाल यह है कि सरकार अपने ही जीरो टॉलरेंस के दावे को कैसे निभाएगी? क्या वीडीए में बैठे भ्रष्ट अफसरों पर कोई कार्रवाई होगी ? या फिर भ्रष्टाचार का यह तंत्र यूं ही फलता-फूलता रहेगा ?

बोले विपक्षी दलों के नेता : जीरो टॉलरेंस' का दावा खोखला 

विपक्षी दलों के नेताओं ने वर्तमान सरकार के जीरो टॉलरेंस के दावों को खोखला बताया है। उनका कहना है कि वाराणसी में गंगा किनारे अवैध होटलों का पूरा बाजार खड़ा कर दिया गया है। 90 फीसद निर्माण तो बिना किसी वैध अनुमति के हुआ है। अधिकारियों ने आँखें मूंद रखी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बार-बार कहते रहे हैं कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती है। लेकिन वाराणसी में जमीनी हकीकत इससे एकदम उलट है। सपा नेताओं ने कहा कि अगर भ्रष्टाचार के लिए सपा-बसपा-कांग्रेस जिम्मेदार हैं, तो आज भाजपा के अंदर उन्हीं दलों के सबसे बड़े भ्रष्ट नेता शामिल क्यों हैं ? सत्ता में आने के बाद भाजपा ने उन्हीं लोगों को गले लगाया जिनके खिलाफ पहले नारे लगाती थी। वहीं कांग्रेस नेताओं का कहना था कि भाजपा  सरकार ने नौ साल में जितना भ्रष्टाचार किया है, उतना कभी यूपी में नहीं हुआ। हर विभाग में दलाली और रिश्वतखोरी का बोलबाला है। ये जीरो टॉलरेंस नहीं, बल्कि 100 फीसद टॉलरेंस' की सरकार है। विपक्षी नेताओं ने यह भी कहा कि आज वाराणसी विकास प्राधिकरण ‘भ्रष्टाचार विकास प्राधिकरण’ में बदल गया है। हर छोटी बड़ी मंजूरी पर मोटी रकम वसूली जाती है। भाजपा जिलाध्यक्ष के बयान से साफ है कि वे अपनी नाकामी का ठीकरा दूसरों पर फोड़ना चाहते हैं।
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वाराणसी में जिस तरीके से जनप्रतिनिधियों की दबी जुबान है उससे तो यह तय है कि दाल में कुछ काला है। भले ही भाजपा नेता विपक्षी दलों को दोषी ठहरा रहे हों, लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि भ्रष्टाचार ने वाराणसी विकास प्राधिकरण को पूरी तरह जकड़ रखा है। वही कुछ गैरराजनीतिक लोगों का कहना है कि अगर भाजपा वास्तव में जीरो टॉलरेंस चाहती है, तो सबसे पहले अपने घर की सफाई करे और वाराणसी के भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करे। वरना जनता के बीच यह धारणा और मजबूत होगी कि सत्ता बदलने से चेहरे बदलते हैं, सिस्टम वही रहता है।

बोले आम लोग : बिना सुविधा शुल्क नहीं होता कोई निर्माण

हमने जब वीडीए में व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में आम लोगों से भी उनकी राय जानी तो लोगों ने बताया कि नक्शा पास कराने के लिए एक साल तक चक्कर लगाना पड़ता है। जब तक अधिकारियों को सुविधा शुल्क न दो, काम नहीं होता। आम आदमी को हर तरफ से लूटा जा रहा है। एक अन्य पीड़ित ने बताया कि हमने अपने छोटे से घर के आगे ग्रिल लगवाई थी, उसके लिए भी अवैध वसूली की मांग की गई। इतनी शर्मनाक स्थिति पहले कभी नहीं देखी। वहीँ गंगा किनारे रहने वाले सरजू मांझी ने आरोप लगाया की बारिश के दिनों मे छत से पानी रिसता था जब उसने लकड़ी का एक धरन बदलवाकर लोहे का गाटर लगवाना चाहता था लेकिन विभाग के जेई ने 30 हज़ार की मांग कर ली, तबसे वैसे ही उसका काम रूका हुआ है।

कांग्रेस की सरकार तो प्रदेश में 35 साल से नहीं है फिर भी इनको कांग्रेस का भूत सता रहा तो यह डर अच्छा है। जहां भी जवाबदेही और जिम्मेदारी की बात आती है इनको नेहरू जी और गांधी जी की भूत सताने लगती है। इस सरकार में महंगाई और भ्रष्टाचार चरम पर है। थाने से लेकर तहसील या फिर अन्य सरकारी हर दफ्तर में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। लोगों का जो काम पहले 200 में होता था उसके लिए अब दो हजार देने होते हैं। शहर में हर जगह अवैध निर्माणों की बाढ़ है लेकिन जिम्मेदारों को सब चंगा दिखता है। जनप्रतिधि भी सिस्टम का हिस्सा है इसलिए चुप्पी साधे रखते हैं। केवल गरीबों को परेशान किया जाता है क्योंकि वह पैसा नहीं दे पाता, उसके पास कोई पैरवी नहीं होता। भ्रष्टाचार में डूबे है इसलिए इनलोगों को कहीं भी भ्रष्टाचार दिखाई नहीं दे रहा है।

राघवेन्द्र चौबे, अध्यक्ष, महानगर कांग्रेस कमेटी

भाजपा के नेताओं को भ्रष्टाचार इसलिए नहीं दिखता क्योंकि वे सभी पार्टी की वाशिंग मशीन में धुलकर निर्दोष बन चुके हैं। इस मशीन में जाते ही हर घोटाला और पाप साफ हो जाता है। यही वजह है कि उन्हें चारों ओर छाए महंगाई और भ्रष्टाचार के बादल नजर नहीं आते। आम जनता परेशान है, लेकिन सत्ता पक्ष हिंदू-मुस्लिम मुद्दों को उछालकर अपनी राजनीति चमका रहा है। वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) के अधिकारी तो भ्रष्टाचार की नई मिसाल बन गए हैं। गंगा किनारे से लेकर शहर भर में धड़ल्ले से अवैध निर्माण हो रहे हैं और जिम्मेदार अधिकारी नोटों के आगे आंख मूंदे बैठे हैं। इस सरकार में लगभग हर विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला है।

अमन यादव, महानगर अध्यक्ष, बाबा साहेब आंबेडकर वाहिनी, वाराणसी 

भाजपा के लोग जीरो टॉलरेंस की बात करते-करते खुद जीरो हो गए हैं। अधिकारी से लेकर उनके जनप्रतिनिधि तक सब मलाई काट रहे हैं। आम जनता की किसी को कोई परवाह नहीं। विकास प्राधिकरण पूरी तरह पैसों पर बिक चुका है। आपके पास पैसा है तो अवैध निर्माण भी वैध हो जाएगा। मौजूदा सरकार में सबसे अधिक अवैध निर्माण गंगा किनारे हुआ है, वह भी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की सहमति से। हर निर्माण पर मोटी वसूली होती है। बिना पैसा दिए एक ईंट भी नहीं जुड़ सकती। अधिकारी, इंजीनियर और दलालों का मजबूत गठजोड़ बन चुका है। नियम-कानून सिर्फ कागजों में रह गए हैं, जमीन पर तो सिर्फ पैसा ही बोलता है।

विष्णु शर्मा "विश्वकर्मा" पूर्व महानगर अध्यक्ष, सपा

इस सरकार को हिंदू-मुस्लिम छोड़कर कुछ नहीं दिखता। महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर आंखें मूंद ली गई हैं। वजह भी साफ है, सत्ता के शीर्ष से लेकर निचले स्तर तक अधिकांश लोग भ्रष्ट तंत्र का हिस्सा बन चुके हैं। वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) लूट का अड्डा बन गया है। बुलडोजर की मार सिर्फ गरीबों के अवैध निर्माण पर पड़ती है, जबकि अमीरों के अवैध निर्माण को ये अधिकारी संरक्षण देते हैं। हर विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। बिना घूस दिए कोई काम संभव नहीं। सरकार और उनके जनप्रतिनिधि अपनी विफलताओं का ठीकरा विपक्ष या पुरानी सरकारों पर फोड़कर जनता को गुमराह करने में जुटे हैं।

वरुण सिंह, पूर्व पार्षद

यह सरकार महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार रोकने में पूरी तरह विफल रही है। जीरो टॉलरेंस सिर्फ एक जुमला बनकर रह गया है, जिससे जनता को गुमराह किया जा सके। यूपी में बीते आठ वर्षों से भाजपा की सरकार है, और इस दौरान महंगाई चार गुना बढ़ गई है। विकास प्राधिकरण (वीडीए) भी इसी भ्रष्ट तंत्र का हिस्सा बन चुका है, जहां खुलेआम लूट मची है। अवैध निर्माण ने शहर की सुंदरता को बर्बाद कर दिया है। अधिकारियों को पैसों के आगे कुछ नहीं सूझता। वजह साफ है—अब इनके सत्ता से जाने का समय आ चुका है, इसीलिए इनकी नजरों से भ्रष्टाचार गायब हो गया है।

सुजीत यादव "लक्कड़" जिलाध्यक्ष, समाजवादी पार्टी 

आज के तारीख में वीडीए ( वाराणसी विकास प्राधिकरण ) महा भ्रष्टाचार का प्रमुख केंद्र बन चुका हैं। आए दिन वाराणसी के निवासियों को इनका शिकार होना पड़ रहा है। जहां एक सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ जीरो टारलेंस की हवा हवाई दावा करते हैं वहीं बनारस में वीडीए का अवैद्य धन उगाही आम जनता के लिए आफत बन गई है। नक्शा पास कराने से लेकर भवन निर्माण तक जबरजस्त लुट जारी है अवैद्य नोटिस तो ऐसे जारी हो रहा है कि जैसे नोटिस के बदले पैसा लो अभियान चल रहा हैं, खैर यह लुट का खेल सिर्फ़ अधिकारी ही नहीं बल्की भाजपाई नेता भी शामिल हैं। 

हरीश मिश्रा, उर्फ़बनारस वाले मिश्रा जी

नगर में तेजी से हो रहे अवैध निर्माण वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) के भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से ही संभव हैं। इन अधिकारियों को जैसे ही किसी गली या सड़क पर भवन निर्माण सामग्री गिरती है, तुरंत जानकारी हो जाती है कि कहां नया निर्माण शुरू हो रहा है। इसके बावजूद न तो कोई कार्रवाई होती है और न ही रोकथाम। मोटी रिश्वत लेकर इन अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध निर्माण बेधड़क जारी है, जिससे शहर का नक्शा बिगड़ता जा रहा है

समारू यादव

अगर वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) के अधिकारी और कर्मचारी वास्तव में ईमानदारी से काम करें तो नगर में एक भी अवैध निर्माण संभव नहीं हो सकता। सच्चाई यह है कि विभाग के भीतर बैठे भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी ही इन अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। इनके संरक्षण और मिलीभगत के बिना न तो नक्शा पास होता, न निर्माण सामग्री खुलेआम पहुंचती। गलत कार्य इन्हीं की शह पर धड़ल्ले से हो रहे हैं।

धीरू पटेल

वाराणसी विकास प्राधिकरण की स्थापना शहर के संयोजित और सुनियोजित विकास के उद्देश्य से हुई थी, लेकिन आज स्थिति इसके ठीक विपरीत है। शहर में जहां-तहां अनियोजित और अवैध निर्माण धड़ल्ले से हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी हैं, जो मिलीभगत कर नियमों को ताक पर रखकर निर्माण कार्यों को बढ़ावा दे रहे हैं। नतीजतन, शहर की सुंदरता और संरचना दोनों खतरे में हैं।

सुरेश पटेल

पार्ट-40 

रणभेरी के सोमवार के अंक में पढ़िए... संजीव कुमार ने फिर लिया अवैध निर्माण का ठेका