कोलकाता से खपा रही गोरखपुर मंडी में अवैध सोना

 कोलकाता से खपा रही गोरखपुर मंडी में अवैध सोना
 कोलकाता से खपा रही गोरखपुर मंडी में अवैध सोना

गोरखपुर। अवैध सोने की खेप को खपा रही है। वर्तमान समय में कोलकात के सोने के भाव से गोरखपुर मंडी के भाव में 2400 रुपये से 2800 रुपये( प्रति दस ग्राम) का अंतर है। ऐसे में प्रति किलो के भाव पर ये दो से ढाई लाख रुपये के बीच का मुनाफा कमा लेते। बंबइया और कारीगरों के सांठगांठ से विदेशी सोने को देशी भी बनवा देते। आदर्श चुनाव आचार संहिता की वजह से इन दिनों सोने-चांदी की तस्करी का धंधा मंदा पड़ गया है, लेकिन तस्करों ने भी तरीका बदल दिया है। बड़हलगंज के रहने वाले तस्करों की तिकड़ी धंधेबाजी के लिए अब कुरियर कंपनियों के बजाय अप्रूवल बिल का सहारा ले रही है। पिछले दिनों नोएडा जीरो प्वाइंट पर पकड़ा गया 75 लाख रुपये का सोना तस्करों के बदले तौर-तरीकों की गवाही दे रहा है। आरोपियों से पूछताछ में सामने आया कि इसे गोरखपुर भेजा जाना था। दरअसल, धंधेबाजी में सहयोगी कुछ कुरियर कंपनियों ने चुनाव आचार संहिता की सख्ती की वजह से हाथ खड़े कर दिए हैं। ऐसा इसलिए कि अवैध सोना पकड़े जाने पर तस्कर उसे कंपनी का बताने के लिए मजबूर कर रहे हैं। इतना बड़ा रिस्क ये कंपनियां लेने को तैयार नहीं हैं। इधर, सीजीएसटी और जीएसटी भी आचार संहिता नियमों के तहत इन कुरियर कंपनी पर नजर बनाए हुए हैं। बाजार के सूत्र बताते हैं कि इन दिनों अवैध सोने-चांदी को खपाने में पकड़े जाने का खतरा अधिक सता रहा है। पहले डीआरआई की तरफ से ही सड़क मार्ग पर सोने या मेटल को पकड़े जाने का अधिकार था। लेकिन, चुनाव आचार संहिता के नए नियमों को तहत अब जीएसटी भी अवैध सोने की आपूर्ति पर नकेल कस सकेगी। जीएसटी विभाग को कुल 20 वस्तुओं के परिवहन पर विशेष निगाह रखने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें रेडीमेड गारमेंट, टीवी, इलेक्ट्रानिक सामान, साड़ी, मोबाइल, ज्वेलरी, कूकर, मिक्सर ग्राइंडर, घड़ी, टार्च, खिलौना, हेलमेट, साइकिल, छाता, बाल्टी समेत शराब भी है। इस निर्देश के बाद अवैध सोने का धंधा करने वाले भी चौकन्ना हो गए हैं। सूत्रों ने बताया कि कोलकाता से गोरखपुर के सोने के भाव में प्रति किलो एक लाख तीस हजार रुपये का लाभ है। बड़हलगंज समेत आस-पास के इलाकों में रहने वाले अपने सिस्टम और सेटिंग से इन दिनों कोलकाता से कच्चे सोने (बिना लिखी पढ़ी वाले) को खपा रहे हैं। इन इलाकों के चुनिंदा लोग कोलकाता से सप्ताह में तीन से चार दौरा करते हैं और मोटा मुनाफा जमा कर लेते हैं। अवैध सोने को ये धंधेबाज इन दिनों अप्रूवल बिल के जरिए मंगवा रहे हैं। वहीं, हिंदी बाजार के सूत्र बताते हैं कि बड़हलगंज की ये तिकड़ी सप्ताह में 10 से 15 किलो अवैध सोने की लौट-पलट आसानी से कर दे रही है। एजेंसियों को भी इसकी भनक लग गई है।

अप्रूवल बिल से धंधेबाजी की राह आसान
एजेंसियों की जांच के बीच तस्करों ने एक रास्ता निकाल लिया है। जैसे, किसी फर्म की ऑनलाइन बिलिंग में जीएसटी नंबर और स्कैनर के साथ फर्म की डिटेल होती है। लेकिन, अप्रूवल बिल में जीएसटी नंबर नहीं होगा और होगा भी तो 92 से शुरू नहीं होगा। इसके पर्चे पर बस फर्म का नाम और पता होगा। इस बिल के सहारे कुरियर कंपनी वाले अवैध सोने को एक जगह से दूसरे जगह पहुंचा रहे हैं। लेकिन, अगर जांच में अधिकारियों के हत्थे ये बिल चढ़ गया तो तस्करी की पूरी कहानी सामने आ जाएगी। लेकिन, न ये बिल पकड़ा जाता और न ही तस्कर।
 

विदेशी सोने के खेप को देसी बनाने का खेल भी रुका
विदेश (म्यांमार, इटली, फ्रांस, बैंकॉक समेत अन्य) का सोना 100 टंच का होता है। सोने-चांदी की खरीद बिक्री में इसे 49 का सोना कहते हैं। लेकिन, तस्कर इसे मुंबइया या कारीगरों से गलाकर देसी बना देते हैं। 100 टंच वाले सोने में चांदी का टुकड़ा मिला देते हैं। ऐसे गुणवत्ता देसी सोने के अनुसार 100 टंच से घटकर कम हो जाती है