मुस्कुराईए ! आप स्मार्ट सिटी में हैं

मुस्कुराईए ! आप स्मार्ट सिटी में हैं
  • 5 वर्ष पूर्व आईपीडीएस ने किया था कार्य, आज भी लटक रहे हैं हर तरफ तार 
  • स्मार्ट सिटी वाराणसी के राजमन्दिर वार्ड में फैला है तारों का जंजाल

वाराणसी (रणभेरी): अपने संसदीय क्षेत्र बनारस के शुरुआती दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि लगता है बनारस में जितने लोगों के पास बिजली के कनेक्शन नहीं हैं उससे कहीं अधिक तार लटक रहे हैं। उसी समय उन्होंने अधिकारियों से कहा कि इसका कुछ करें ताकि गलियों और लोगों के घरों में कम से कम सूर्य की रोशनी तो पहुंचे अगर बिजली नहीं पहुंच रही है। इसके बाद पीएम मोदी ने काशी को तारों के जंजाल से मुक्ति दिलाने की ठान ली। एनडीए सरकार के पहले बजट में ही समेकित बिजली विकास योजना (आईपीडीएस) की घोषणा की और उसकी शुरुआत भी 28 जून 2015 को बनारस से की। हालांकि इसका प्राथमिक लक्ष्य सभी के घरों को चौबीस घंटे बिजली पहुंचाना था। बिजली आपूर्ति के संपूर्ण संभाग को दुरुस्त करने के लिए मोदी सरकार ने 572 करोड़ का बजट दिया। बचट देने के साथ ही मोदी के मन में था कि इस शहर में लटक रहे बिजली के तारों को भूमिगत करना भी था। मोदी के यही विचार की वजह से पुरानी काशी आज पूरी तरह से तार रहित हो गई है। पर कुछ ऐसी भी गलियां है, जहां आईपीडीएस ने तारों को भूमिगत किया पर ऊपरी तारों के जंजालों को नहीं हटाया, जो आज भी हादसे को दावत दे रहे है।

पक्के महाल के गलियों में तारों का जंजाल

आईपीडीएस योजना के तहत हुए कार्य के बावजूद काशी के पक्के महाल की गलियां में तारों का जंजाल फैला हुआ है। इन गलियों में आईपीडीएस योजना के तहत भूमिगत बिजली के केबिल बिछाने के साथ-साथ इन क्षेत्रों को स्मार्ट सिटी के तहत संवारने के कार्य का दावा लगातार किया जा रहा है। बावजूद इसके बिजली के ओवर हेड तारों का जाल लोगों के जी का जंजाल बना हुआ है। इससे अक्सर हादसा होने की आशंका बनी रहती है। वहीं, कई बार घटना भी घट चुकी है। घनी आबादी वाले मोहल्ले, राजमंदिर, गढ़वासी टोला, लक्खी चौतरा, मणिकर्णिका घाट, कचौड़ी गली सहित कई मोहल्लों में हर जगह स्थिति एक जैसी है। 

मकानों पर झूलते बिजली के खम्भे 

घर की छतों, बरामदों पर झूलते बिजली के तार खतरे का सबब बने हुए हैं। पक्के मोहल्ले में आज भी दर्जनों स्थानों पर बिजली के पुराने खम्भे गढ़े हुए है जिसको लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश भी है। लोगों ने बताया कि कई बार इसकी शिकायत की गई पर बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यहाँ आईपीडीएस के तहत कार्य किया गया था। अब जब तक टेंडर नहीं हो जाता तब तक इन खम्भों को और पुराने तारों को हटाया नहीं जा सकता।

स्मार्ट सिटी का दावा खोखला

खोखला है स्मार्ट सिटी के तहत बनारस की गलियों को खूबसूरत बनाने का दावा। यहाँ सब फोटो बाज़ी का खेल है। दिवारो पर पेंटिंग करके उसकी तस्वीर देश भर को दिखाई जाती है और दावा किया जाता है बदल गया है बनारस लेकिन गलियों में जमीन पर चलते वक्त नज़र आसमां की तरफ उठा लिया जाए तो भाजपाईयों के सारे दावों की पोल खुल जाती है। जर्जर व लटकते तार हो या मकानों पर लटके खम्भे हो झेलना तो जनता को पड़ता है। बिजली विभाग के अधिकारी तो जनता से इज्जत से बात तक नहीं करते तो समस्या का समाधान क्या ख़ाक करेंगे।  


-अजीत सिंह, पार्षद (आम आदमी पार्टी)