खुर्दबीन से दर्शन मिले अशोक वाटिका के हनुमान के
वाराणसी(रणभेरी)। धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में हनुमान भक्ति की सबसे अनोखी तस्वीर सामने आई है। बीएचयू के एक छात्र ने संकट मोचन हनुमान की सबसे छोटी पेंटिंग को तैयार किया है। यह पेंटिंग इतनी छोटी है कि इसे आप अपनी आंखों से ठीक तरीके से देख भी नहीं पाएंगे।बीएचयू के फाइन आर्ट्स डिपार्टमेंट के गोल्ड मेडलिस्ट छात्र सतीश कुमार ने इस अनोखी हनुमान पेंटिंग को महज कुछ सेकेंड में ही तैयार किया है। जिसकी चर्चा अब हर तरफ हो रही है। सतीश कुमार ने बताया कि हनुमान जी की यह पेंटिंग वाराणसी के संकट मोचन बाबा का प्रतिरूप है। अक्सर ही वो मन्दिर में दर्शन को जाते हैं और उन्होंने संकट मोचन बाबा का ध्यान कर उनकी यह सबसे छोटी पेंटिंग को तैयार किया है। 4 एमएम लंबे और 4 एमएम चौड़े इस पेंटिंग को तैयार करने में सिर्फ 62 सेकेंड का समय लगा है।
संगीत समारोह में आकर्षण का बना केंद्र
सतीश ने बताया कि यह पेंटिंग संकट मोचन संगीत समारोह में होने वाली चित्रकला प्रदर्शनी में प्रदर्शित किए है। संकट मोचन हनुमान जी की यह पेंटिंग को बनाने में रंग,ब्रश,कागल के साथ 62 सेकेंड का समय लगा। इसके पहले सतीश ने मां दुर्गा की सबसे बड़ी ओर सबसे छोटी भी पेंटिंग बना चुके हैं। उक्त हनुमत लला की पेंटिंग संकट मोचन संगीत समारोह में आकर्षण का केंद्र बनी है।
पवन पुत्र के आंगन में सजा प्रभु राम और हनुमान जी के 250 स्वरूपों का चित्र
संकट मोचन मंदिर में कला दीर्घा का उद्घाटन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभरनाथ मिश्र, प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ला और डॉ. विंध्याचल यादव ने किया। कला दीर्घा में प्रभु राम और हनुमान जी के स्वरूप का देश के विभिन्न राज्यों से कलाप्रेमियों की करीब ढाई सौ कलाकृतियां लगाई गई हैं।
इसमें चित्रकला, मूर्तिकला, फोटोग्राफी की कला के दर्शन हो रहे हैं। महंत प्रो. विश्वंभरनाथ मिश्र ने कहा कि हनुमान जी के विभिन्न लीलाओं की कलाकृतियां रामचरित मानस को मानस पटल पर जीवंत कर रही हैं। संगीत समारोह में संगीत से भगवान को रिझाने और कलादीर्घा में भगवान के विभिन्न स्वरूपों का दर्शन हो रहा है।
रामनगर की रामलीला के 40 तस्वीरों ने खींचा ध्यान
काल दीर्घा में काशी के सबसे पुरानी संरक्षित परम्परा रामनगर की रामलीला के 40 तस्वीरों को लगाया गया। जिसमें रामलीला से जुड़े विभिन्न लीलाओं की तस्वीरों को दिखाया गया है। डॉ. वीएन मिश्र ने कहा कि रामनगर की रामलीला को देखने में खुद जाता हूं। यहां आज भी पुरानी परंपरा को निभाया जाता है। इसमें शामिल होने पर लगता है कि मानो हम त्रेतायुग में चले गए हैं। इसमें लगाई गई तस्वीर काफी दुर्लभ है। क्योंकि रामनगर की रामलीला में फोटोग्राफी करना काफी कठिन काम होता है। काशी के लोगों को यह लीला फोटो के माध्यम से देखने को मिल रही है। इससे यहां आने वाले हर एक युवा परिचित होंगे और यह परंपरा ऐसे ही अनवरत बनी रहेगी।