साहब, अस्सी घाट पर किसके संरक्षण में लग रही अवैध दुकानें !

साहब, अस्सी घाट पर किसके संरक्षण में लग रही अवैध दुकानें !

अवैध दुकानें बनती है जाम का सबब, सबकुछ जानते हुए भी प्रशासन बेखबर 

घाट पर अतिक्रमण और अराजकता, देश-विदेश से आने वाले सैलानियों और पर्यटकों को होती है परेशानी

वाराणसी (रणभेरी सं.)। भेलूपुर थाना क्षेत्र के प्रसिद्ध अस्सी घाट अवैध दुकानों और अतिक्रमणकारियों के चपेट में है। अस्सी घाट पर दुकानों की बढ़ती संख्या और घरेलू गैस सिलेंडरों का उपयोग एक गंभीर समस्या बन गई है, जो न केवल घाट पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि प्रशासन की निष्क्रियता भी उजागर करती है। अस्सी घाट पर लाखों श्रद्धालु गंगा के दर्शन और आरती के लिए आते हैं, लेकिन यहां पर ठेला-खोमचा लगाने वाले दुकानदार खुलेआम घरेलू गैस सिलेंडरों का उपयोग कर रहे हैं। इस पर संबंधित विभागों की निष्क्रियता सवालों के घेरे में है, क्योंकि इन गैस सिलेंडरों से हादसों का खतरा हमेशा बना रहता है। घरेलू गैस सिलेंडरों से जलने और फटने की घटनाएं अक्सर सामने आती हैं, जिससे जानमाल की हानि होती है। अस्सी घाट पर दिन-प्रतिदिन इन गैस सिलेंडरों का उपयोग बढ़ रहा है, लेकिन नगर निगम, खाद्य विभाग और पुलिस प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। यहां तक कि लगातार मीडिया में इस पर खबरें भी चलती रहती हैं, फिर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब कोई दुर्घटना होती है, तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? क्या विभाग का काम सिर्फ प्रेस विज्ञप्ति जारी करना और वाहवाही लूटना रह गया है?

प्रशासन की निष्क्रियता और अवैध वेंडरों का संरक्षण

अस्सी घाट पर अवैध वेंडरों की भरमार है, जो स्थानीय चौकी के संरक्षण में व्यापार करते हैं। सूत्रों के अनुसार, ये वेंडर स्थानीय पुलिस चौकी को कुछ रकम देकर अपनी दुकानों को सुरक्षित कर लेते हैं, जिससे उन्हें प्रशासन का कोई डर नहीं रहता। यही कारण है कि यहां पर दिन-प्रतिदिन अवैध दुकानों की संख्या बढ़ रही है, और घाट पर ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है। अवैध वेंडरों की संख्या इतनी बढ़ चुकी है कि पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए चलना तक मुश्किल हो गया है। इस बढ़ते अतिक्रमण और अवैध वेंडिंग से ना केवल घाट की सुंदरता प्रभावित हो रही है, बल्कि यह सुरक्षा की दृष्टि से भी एक बड़ी समस्या बन गई है। अवैध दुकानदारों के कारण घाटों पर कचरा, शोर और गंदगी भी बढ़ रही है, जिससे पर्यटकों के लिए असुविधाएं उत्पन्न हो रही हैं।

स्थानीय लोगों में रोष

स्थानीय लोग घाटों पर अतिक्रमण, अवैध वेंडरों और गैस सिलेंडरों के उपयोग को लेकर खासे नाराज हैं। उनका कहना है कि प्रशासन इन समस्याओं को सुलझाने के बजाय नजरअंदाज कर रहा है। अतिक्रमण हटाने और गैस सिलेंडरों के उपयोग पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए खतरे का कारण बन रही है। स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि अगर प्रशासन ने इस पर जल्द कार्रवाई नहीं की, तो कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है, जिसकी जिम्मेदारी संबंधित विभागों पर होगी।

 अस्सी घाट पर बढ़ते अवैध वेंडरों और घरेलू गैस सिलेंडरों के उपयोग के खिलाफ स्थानीय लोगों का विरोध तेज हो गया है। लोग चाहते हैं कि प्रशासन इन ठेला-खोमचों को हटाए और घाटों पर अवैध वेंडिंग को समाप्त करे। लोग यह भी चाहते हैं कि घाट पर से गैस सिलेंडरों का उपयोग पूरी तरह से रोका जाए, ताकि किसी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके। स्थानीय जनता का यह भी कहना है कि प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और किसी भी प्रकार के अनाधिकृत वेंडरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

घाट पर अतिक्रमण, मारपीट और अराजकता का माहौल

अस्सी घाट पर अतिक्रमण, मारपीट और अराजकता की घटनाएं आम हो गई हैं। यह समस्या देश-विदेश से आने वाले दर्शनार्थियों और पर्यटकों के लिए असुविधा का कारण बन रही है। ठेला और खुमचा लगाने वालों के कारण घाट पर लोगों का आना-जाना मुश्किल हो गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ठेले वालों के चलते अतिक्रमण होता है। वहीं विवाद की स्थिति भी पैदा होती है। पुलिस की निष्क्रियता के चलते इनका मनोबल बढ़ता जा रहा है। जब कभी उच्च अधिकारियों का दबाव पड़ता है, तो पुलिस अस्थायी अतिक्रमण अभियान चलाकर इतिश्री कर लेती है। हाल ही में एक ऐसा अभियान चलाया गया था, लेकिन कुछ ही दिनों में स्थिति फिर से पहले जैसी हो गई। घाट पर अतिक्रमण और अराजकता के कारण सैलानियों को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि पुलिस और नगर निगम को इस समस्या के समाधान के लिए नियमित अभियान चलाना चाहिए, ताकि अस्सी घाट की स्वच्छता और सादगी बनी रहे।

खानापूर्ति करता है नगर निगम और स्थानीय पुलिस 

नगर निगम, पुलिस प्रशासन और खाद्य विभाग की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वे अस्सी घाट पर अवैध वेंडरों के खिलाफ कार्रवाई करें, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। कुछ समय बाद स्थिति जस की तस हो जाती है। इन विभागों की नजरें सिर्फ अतिक्रमण हटाने और अपनी वाहवाही लूटने तक ही सीमित हो गई हैं। जब तक कोई दुर्घटना नहीं होती, तब तक इन विभागों के अधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं जाता। और जब दुर्घटना हो जाती है, तो विभाग अचानक से सक्रिय हो जाते हैं, लेकिन कुछ दिनों बाद फिर से स्थिति पूर्ववत हो जाती है। नगर निगम का कार्य केवल खानापूर्ति और वाहवाही लूटने तक ही सीमित है, जबकि घाट पर अवैध वेंडिंग और गैस सिलेंडर के उपयोग जैसी गंभीर समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। स्थानीय लोगों में इस बारे में गुस्सा और असंतोष बढ़ रहा है, क्योंकि वे लगातार प्रशासन से कार्रवाई की उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।