स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के राग-भोग,पूजा-अर्चना की याचिका पर सुनवाई टली, अब 23 नवंबर को
वाराणसी (रणभेरी): कमीशन कार्यवाही के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले कथित शिवलिंग आदि विश्वेश्वर के राग-भोग,पूजा-अर्चना करने की इजाजत देने को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से दाखिल वाद पर शुक्रवार को सुनवाई नहीं हो सकी। न्यायिक अधिकारी के अवकाश पर होने के कारण सुनवाई टल गई। सिविल जज सीनियर डिविजन कुमुद लता त्रिपाठी की अदालत में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से दाखिल वाद की सुनवाई शुक्रवार को भी पीठासीन अधिकारी के अवकाश पर रहने के कारण एक बार फिर टल गई।
अब इस मामले में 23 नवंबर को सुनवाई होगी। वादी के अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया है कि ज्ञानवापी से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई एक ही कोर्ट में हो। ऐसे में जिला जज की अदालत में जल्द आवेदन देकर एक साथ सुनवाई किये जाने का अनुरोध किया होगा। अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से दाखिल इस वाद में ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की आकृति की पूजा पाठ रागभोग आरती करने की अनुमति मांगी गई है।
बता दें की शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य रहे और अब उनकी मृत्यु के बाद शंकराचार्य का पद संभाल रहे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद व रामसजीवन ने वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार त्रिपाठी,रमेश उपाध्याय चंद्रशेखर सेठ के माध्यम से अदालत में वाद दाखिल किया है जिसमे शृंगार गौरी प्रकरण में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के आदेश पर हुए कोर्ट कमीशन की कार्यवाही में मिले शिवलिंग की आकृति का विधिवत रागभोग,पूजन व आरती जिला प्रशासन की ओर से विधिवत करना चाहिए था, लेकिन अभी तक प्रशासन ने ऐसा नहीं किया है। न किसी अन्य सनातनी धर्म से जुड़े व्यक्ति को इसके लिए नियुक्त किया। उन्होंने बताया कि कानूनन देवता की परस्थिति एक जीवित बच्चे के समान होती है। जिसे अन्न-जल आदि नहीं देना संविधान की धारा अनुच्छेद-21 के तहत दैहिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार का उल्लंघन है।