भ्रष्ट सिस्टम के चक्रव्यूह में घिरी एक अकेली लड़की
राहुल सावर्ण
अर्चना सेठ को नहीं मालूम था की शहर का मिजाज इतना बेरहम और संवेदन शून्य होगा। सरपस्तों के साथ से महरूम बेचारी अर्चना यह भी नहीं जानती थी की इस निजामत को सत्ताधारी राजनेता अपनी जेब में रखते हैं। इसी गफलत का नतीजा था की अपने दम बूते किसी तरह अपनी बीमार मां व बहन का योग क्षेम निबाह रही बेचारी अकेली लड़की को अन्याय के खिलाफ मुंह खोलना भारी पड़ गया। उसने अपने गृह परिसर से सार्वजनिक सीवर पाइप निकालने का विरोध क्या किया मानो मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। क्या सरकारी अमला और क्या सत्ताधारी दल के नेता और क्या अर्चना का अपना समाज? पूरा काकस उसके खिलाफ लामबंद हो गया।
गालियों और मारपीट की जलालत तो उसे झेलने ही पड़ी। उल्टे उसके ही गले पड़ गया सरकारी काम में बाधा डालने का इल्जाम। जिससे थोड़ी बहुत मदद की आस थी उस पुलिस ने भी बड़ी निर्लज्जता के साथ अपनी आंखे बंद कर लीं। हकीम हुक्कामों के पास एक अबला की फरियाद सुनने की फुरसत ही नहीं थी। आज भी आंसुओ से भीगा दामन लिए वह महकमे - महकमे दौड़ती चप्पल घिस रही है। मुख्यमंत्री के आईजीआरएस पोर्टल पर भी न्याय के लिए गुहार लगाई लेकिन पुलिस ने न्याय दिलवाने के बजाय मामला रफा दफा कर दिया। अर्चना आज भी निष्ठुर समाज और बहरे प्रशासन की चक्की में पीस रही है। कल स्वाधीनता दिवस का महापर्व है किन्तु उसके लिए आजादी के कोई मायने नहीं। चाहे वह...नारी तू केवल श्रद्धा है की पंक्तियां हो या फिर लड़की हूं लड़ सकती हूं का नारा...अर्चना आज भी बीच सड़क पर खड़ी है बेनाम... बेसहारा।
जिसकी लाठी उसकी भैंस
अर्चना सेठ ने बताया की अप्रैल माह में भी पार्षद पति नलिन नयन मिश्र दर्जनों लोगों के साथ सीवर सफाई के मामले में उनके घर के पास आये थे। उसी समय शिकायतकर्ता के जमीन की दीवारे गिरवाकर वहां शौचालय निर्माण की बात कर रहे थे। यह सुनकर जब अर्चना सेठ से विरोध किया तो मौके पर मौजूद पार्षद एवं पार्षदपति ने अर्चना को अपशब्द बोलना शुरू कर दिया। अर्चना का आरोप है कि, पार्षद पति ने बदतमीजी से बात की। दीवार गिरवाकर शौचालय बनवाने की धमकी दी थी और कहा कि मेरा कोई कुछ भी नहीं कर पाएगा। हुआ भी ऐसा ही उल्टे अर्चना पर ही मुकदमा कर दिया गया।
समर्थन को आगे आये थे सोनार नरहरी सेना और कांग्रेस पार्टी के लोग
भाजपा पार्षद द्वारा अर्चना सेठ को पीटे जाने के मामले से कई लोगों में जबरदस्त आक्रोश था। अर्चना के समर्थन में सोनार नरहरी सेना और कांग्रेस पार्टी के लोग भी खुलकर सामने आए थे। कार्रवाई की मांग को लेकर नरहरी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेन्द्र कुमार वर्मा के नेतृत्व में महानगर अध्यक्ष महिला मंच सोनी सेठ जिला सचिव वाराणसी किशन सेठ, संजय वर्मा, गोलू सेठ, राजू सेठ, रमेश सेठ, और रवि सोनी के साथ एडीसीपी (महिला अपराध) से मुलाकात कर न्याय और कार्रवाई की मांग की थी। नरहरी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेन्द्र कुमार वर्मा ने कहा था कि भाजपा पार्षद का यह कृत्य निंदनीय है। एक महिला के द्वारा दूसरे महिला का अपमान करना समाज को गलत संदेश देता है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि का काम होता है जनता की सेवा करना, न की उसके साथ मारपीट करना। अगर एक जनप्रतिनिधि इस तरह की हरकत करता है तो क्षेत्र के अन्य लोगों और समाज में क्या संदेश जाएगा। बावजूद इसके अर्चना को न्याय नहीं मिला।
स्वर्णकार समाज ने भी किया किनारा
स्वर्णकार हित की बात करने वाले स्वर्णकार समाज के तमाम पदाधिकारियों ने भी अर्चना सेठ के मामले चुप्पी साध ली। चूकि वाराणसी में इस समाज का एक बड़ा तबका सत्ताधारी दल की चाटुकारिता के लिए ही जाना जाता है ऐसे में भाजपा पार्षद के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत किसी ने नही दिखाई बल्कि इस समाज के कमल कुमार सिंह एवं श्याम सुन्दर सिंह नाम के पदाधिकारियों ने एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान अर्चना सेठ को पीटने वाली दबंग पार्षद को सम्मानित भी किया था।
पूर्व राज्यमंत्री के इशारे पर नहीं दर्ज हुआ मुकदमा
भाजपा पार्षद कनकलता ने जब क्षेत्र के ही एक अबला युवती को सरेआम पीटा तो उसके बाद पीड़िता न्याय के लिए तहरीर लेकर कोतवाली थाने गई और अपनी आपबीती सुनाई। लेकिन कोतवाली पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी और मुकदमा दर्ज नहीं किया। सूत्रों की माने तो दबंग पार्षद और उनके पति का भाजपा के कुछ बड़े नेताओं से गहरी पैठ है। सूत्रों ने बताया कि शहर दक्षिणी के विधायक और पूर्व राज्यमंत्री के इशारे पर कोतवाली पुलिस मुकदमा नहीं लिख रही। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या फिर किसी कमजोर को न्याय नहीं मिलेगा!
पुलिस ने आज तक नहीं लिखा मुकदमा
मारपीट के बाद अर्चना जब घटना की शिकायत करने और प्राथमिकी दर्ज करवाने कोतवाली थाने गई तो वहां की पुलिस भी अर्चना की नहीं सुनी। चुकी आरोपी भाजपा के दबंग पार्षद और उसका पति है लिहाजा पुलिस तहरीर तक लेना भी उचित नहीं समझा। ऐसे में यह सवाल आज भी जिंदा है की एक तरफ जहां सूबे की योगी सरकार जहां न्याय की बात करती है वहीं वाराणसी के बिंदु माधव वार्ड की पार्षद व उसके दबंग पति खुलेआम आम जनता के साथ अन्याय करना कैसा नारी का सम्मान है ! पुलिस भी पीड़ित का साथ न देकर पार्षद और पार्षद पति की जी हुजूरी करती नजर आती है।
अर्चना का दोष...वह नहीं है सिस्टम का हिस्सा
दरअसल अर्चना इसलिए बेचारी है क्योंकि वह सिस्टम का हिस्सा नहीं है। यही वजह है की अर्चना की आवाज कोई नहीं सुनी। सिस्टम ने उसका सुना जो उसका हिस्सा था। दरअसल पार्षद भाजपा की है और उसका पति भारतीय जनता पार्टी के काशी विश्वनाथ मंडल का अध्यक्ष। इन दोनों पर एक विधायक जो पूर्व में मंत्री भी थे का पूरा हाथ है। यही वजह है की जब भाजपा पार्षद ने अपने पति व समर्थकों की मौजूदगी में लोगों के सामने क्षेत्र की ही निवासी अर्चना सेठ को जमकर पीटा, फिर भी प्रशासन ने उसको निर्दोष समझा। अर्चना इसलिए गुनहगार हो गई क्योंकि उसने अपने जमीन के ऊपर से जबरदस्ती सीवर लाइन बिछाने का विरोध किया।
अर्चना सेठ की आँखों के सामने अँधेरा ही अँधेरा है
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी महिलाएं न्याय के लिए दर दर भटक रही। बिंदु माधव वार्ड की रहने वाली अर्चना उसी वार्ड के भाजपा पार्षद कनक लता मिश्रा व पार्षद पति नलिन नयन मिश्र के दबंगई का शिकार हो गई। अर्चना की गुस्ताखी सिर्फ इतनी थी की उसने सीवर लाइन को निजी जमीन से नहीं गुजरने देने का विरोध किया था। अर्चना इस बात से अंजान थी की अपने हक की आवाज उठाना उसे भारी पड़ जाएगा। नतीजन दबंग महिला पार्षद ने अपने दंबग पति के सामने अर्चना को पीट दिया। पीटने का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ लेकिन प्रशासन अर्चना की एक नहीं सुनी बल्कि वाराणसी के कोतवाली थाने की पुलिस ने उल्टा अर्चना पर ही केस दर्ज कर दिया।
लड़की हूँ लड़ सकती हूँ का नारा देने वाली कांग्रेस ने भी किया किनारा
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के लोगों ने भी इस बात का दम भरा था कि अर्चना को न्याय दिलाने के लिए जरूरत पड़ी तो सड़क पर उतर कर आन्दोलन करेंगे लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ। लड़की हूँ लड़ सकती हूँ का नारा देने वाली कांग्रेस ने वाराणसी में एक परेशान लड़की के साथ फोटो बाजी करने के बाद उसे लड़ने के लिए अकेला ही छोड़ दिया। और न्याय दिलाने के लिए सड़क पर उतरने की बात कोरी साबित हुई।