तो क्या संपूणार्नंद की सभा मंच से पीएम के निशाने पर होंगे सट्टेबाज ?
शहर के कुछ लोगों ने घर-घर पैदा कर दिया सट्टेबाजों की जमात, क्या काशी को इस अभिशाप से मुक्त कराएंगे पीएम !
वाराणसी (रणभेरी)। जब 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी पुराधिपति की नगरी काशी को अपना संसदीय क्षेत्र चुना और यह कहा की मां गंगा ने मुझे बुलाया है तो सबसे ज्यादा खुशी काशीवासियों को हुई। इस खुशी के साथ-साथ जब लोगों को यह आभास हुआ था कि काशी के सांसद ही प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं तो बड़े गहरे विश्वास के साथ काशीवासियों के मन में बड़ी उम्मीदें भी जगी और लोगों ने यह पक्का मान लिया कि अब काशी में विकास के नए-नए इबारत लिखे जाएंगे। इसके बाद हुआ भी कुछ ऐसा ही जिस सोच और उम्मीद के साथ काशीवासियों ने पीएम को अपना प्यार दिया उस उम्मीद पर पीएम खड़े उतरे। प्रधानमंत्री मोदी 2014 में जब पहली बार बनारस के सांसद बने तब से लेकर आज तक काशी में 'विकास' ने जो गति पकड़ी उनसे काशी की तस्वीर नि:संदेह बदली है। यूं तो काशी नगरी की विश्व व्यापी ख्याति पहले से ही है परन्तु प्रधानमंत्री ने इसको एक नई पहचान देकर पर्यटन के साथ-साथ कई रोजगार के असवर को भी सृजित किये। यही वजह थी कि 2019 में भी प्रधानमंत्री को दुबारा काशी की जनता ने दुबारा विश्वास जताकर फिर से पीएम की जीत का परचम लहराया। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता की प्रधानमंत्री ने देश के विकास के साथ-साथ अपने संसदीय क्षेत्र बनारस को कभी नहीं भूला। पीएम का बनारस से लगाव जग जाहिर है। पीएम का यही लगाव और विकास की गाथा, आज भी काशीवासियों को पीएम नरेंद्र मोदी को तीसरी बार सांसद बनाने को सोच रही ! लेकिन इन सबके बीच एक ऐसे काले धब्बे ने अपनी जड़ें मजबूत कर ली जिसके वजह से आज पीएम का संसदीय क्षेत्र कलंकित हो रहा। हम बात कर रहे क्रिकेट मैच में खेले जाने वाले सट्टे के उस काले धब्बे की जो न केवल काशी को कलंकित कर रहा बल्कि हजारों युवाओं और उनके परिवार को बबार्दी के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है। आपका चहेता अखबार 'रणभेरी' लगातार सट्टे की इस गंभीर समस्या के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करता आ रहा है। बीते 13 मई को भी, जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोड शो था उस दिन भी 'रणभेरी' अखबार ने प्रधानमंत्री के नाम एक खुला पत्र प्रकाशित किया था जिसके जरिये पीएम नरेंद्र मोदी का ध्यान सट्टे के काले कारोबार की ओर आकृष्ट किया गया था। उस पत्र में काशी के उन परिवारों का दर्द था जो सट्टेबाजों के गिरफ्त में आकर या तो बर्बाद हो चुके हैं या फिर बबार्दी के मुहाने पर है। आध्यात्मिक व सांस्कृतिक नगरी काशी के ललाट पर सट्टा के काले कारोबार ने एक ऐसा धब्बा लगाने का दू:साहस कर दिया है जो सूबे की योगी सरकार पर सवालिया निशान लगाते हुये पीएम मोदी की साख को भी कलंकित कर रहा है कयास इस बात का भी लगाया जा रहा है कि इस कलंकित धब्बे से शायद पीएम मोदी अबतक अंजान है। दरअसल काशीवासियों ने जब बीते साल छत्तीसगढ़ के एक चुनावी मंच से प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सट्टेबाजों को ललकारते हुये सुना था तो काशीवासियों को यह अहसास हो गया था कि पीएम युवाओं के भविष्य को लेकर बहुत गंभीर है। पीएम ने सट्टा खेलवाने वाले महादेव एप्प को निशाने पर लेकर युवाओं के भविष्य के प्रति गहरी चिंता व्यक्त की थी। उहोंने अपनी तमाम सभाओं के जरिये सट्टा के काले कारोबार के लिए छत्तीसगढ़ के कांग्रेस सरकार को ही जिम्मेदार बताया था। जिससे यह तो तय हो गया था कि प्रधानमंत्री बबार्दी के इस खेल के प्रति न केवल गंभीर हैं बल्कि सट्टेबाजों से बहुत नफरत भी करते हैं। पीएम के इसी गंभीरता का नतीजा है कि काशीवासियों को भी अब यह भरोसा हो गया है कि पीएम अब अपने संसदीय क्षेत्र के युवाओं को भी बर्बाद होने से बचा लेंगे। प्रधानमंत्री मोदी से आज भी उन परिवारों को यह आस है कि प्रधानमंत्री सट्टेबाजों के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाकर अपने संसदीय क्षेत्र के युवाओं और उनके हंसते-खेलते परिवारों को बबार्दी के मुहाने पर जाने से रोक लेंगे। सट्टे की लत ने काशी में इस कदर बबार्दी का जहर घोला है जिसमें कई परिवार अर्श से फर्श पर आ गए। कई युवाओं ने सट्टे में हार के बाद मौत को गले लगा लिया। सट्टे के लत ने परिवार कलह को इस कदर जन्म दिया कि कई महिलाओं के गहने बिक गए। कल यानी 21 मई को जब प्रधानमंत्री काशी में महिलाओं को संबोधित करेंगे तो काशीवासियों (विशेषकर पीड़ित महिलाओं) को यह उम्मीद है की देश के यशस्वी प्रधानमंत्री छत्तीसगढ़ की तरह ही सट्टेबाजों के खिलाफ अपने संसदीय क्षेत्र में भी हुंकार भरकर युवाओं और उनके परिवार को बर्बाद होने से बचा लेंगे।
*सट्टेबाजी की लत का जहर, महिलाओं के लिए बना कहर*
जब टी-20 खेल की शुरूआत हुई थी तब सबने यही सोचा था कि अब क्रिकेट के खेल का रोमांच बढ़ेगा। खिलाड़ियों की प्रतिभा बाहर आएगी। गली-मोहल्ले में खेलने वाले बच्चों की प्रतिभा निखरेगी। तब किसी ने यह नहीं सोचा था कि यह टी-20 का खेल जुआ बन जाएगा, जिससे बबार्दी के एक नई परंपरा की शुरूआत हो जाएगी। सट्टे की आंच जब प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी तक पहुंची तो इसकी लपेटे इतनी तेजी से फैलती गई कि इसके जद में युवा फंसते गए। बाहर से आए कुछ लोगों ने बनारस के पूंजीपतियों और सफेदपोशों को आगे करके बनारस के युवाओं को इस कदर सट्टे की लत में फंसाया की आज घर-घर में सट्टेबाज पैदा हो गए है। बिना मेहनत के करोड़पति बनाने का सपना दिखाकर बुकी अपने जाल में युवाओं को फंसाकर बबार्दी के मुहाने पर ला देते है। सबसे बड़ी बात ये है कि युवाओं के सट्टे के लत ने परिवारिक कलह को भी जन्म दे दिया। 100 रुपया लगाकर सट्टे के खेल की शुरूआत करने वाले धीरे-धीरे लाखों तक खेलने लगते है। जब वह सट्टे में हारता है तो वह साहूकार से कर्ज लेकर भी इस बबार्दी के खेल को जारी रखता है। जब साहूकार पैसे के वापसी का दवाब बनाता है तो फिर वह घर की महिलाओं के गहने बेचता है। हार का गुस्सा अपनी मां, बहनों और पत्नी पर उतारता है। ऐसे घर के लोग भी अपने लाल के इस कारनामे से आजिज हो चुके हैं। ऐसे में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल महिलाओं से रूबरू होंगे तो काशी की तमाम माताओं और बहनों को यह उम्मीद है कि प्रधानमंत्री उनकी इस पीड़ा को समझकर सट्टा माफियाओं के खिलाफ जरूर हुंकार भरेंगे।
कौन है पंकज आर्या, बबलू अग्रवाल, आदित्य अग्रवाल, अंशुमान अग्रवाल, सौरभ केजरीवाल व अश्विनी केशरी
आपका चहेता अखबार रणभेरी लगातार सट्टे के काले कारेबारियों के खिलाफ मुहिम चला कर शहर के हजारों परिवारों की बबार्दी की इबारत लिखने वाले सटोरियों को बेनकाब कर रहा है। इसी कड़ी में हम इस संगठित अपराध के उस आधार की ओर अपने सुधी पाठकों का ध्यान आकृष्ट कर रहे हैं जिसके जरिए ही शहर के लोगों से सट्टेबाजों द्वारा वसूली गई रकम सरहद पर भेजी जाती है। सूत्रों बताते हैं कि हवाला कारोबारों अश्विनी केशरी सट्टे के धंधे में लिप्त पंकज आर्या, बबलू अग्रवाल, आदित्य अग्रवाल, अंशुमान अग्रवाल, सौरभ केजरीवाल सहित कईयों के लिए काम करता है। वाराणसी के गिरजाघर क्षेत्र में अपना ठिकाना बनाकर यह व्यक्ति यहां से मुंबई, नेपाल, श्रीलंका और दुबई तक हवाला के जरिए काली कमाई की पलटी करता है। सूत्र यह भी बताते हैं कि वाराणसी में सट्टा और हवाला जैसे संगठित अपराध में शामिल पंकज आर्या, बबलू अग्रवाल, आदित्य अग्रवाल, अंशुमान अग्रवाल, सौरभ केजरीवाल और अश्वनी केशरी जैसे लोग वो कड़ी हैं जो वाराणसी में रहकर भारत के तमाम प्रान्तों सहित नेपाल, दुबई, श्रीलंका तक लेन-देन करते हैं। शहर में सौरभ के परिवार की महमूरगंज क्षेत्र में इलेक्ट्रानिक सामानों की दूकान है तो अश्वनी का गिरजाघर क्षेत्र में बर्तनों का पारिवारिक व्यापार। बबलू अग्रवाल ने मलदहिया क्षेत्र में एक ज्वेलरी शो-रूम खोल रखा है जिसके बारे में यहाँ तक बताया जा रहा है कि बबलू अग्रवाल सोने की तस्करी के धंधे में भी माहिर है जिसके तमाम सफेदपोश से लेकर जेलों में बंद माफियाओं तक से गहरे रिश्ते हैं। वहीं आदित्य अग्रवाल और अंशुमान अग्रवाल वह नाम है जिन्होंने करौली पैथोलॉजी के नाम से शहर के अलग-अलग हिस्सों में कई पैथोलॉजी सेंटर खोल रखा है जिसके जरिये ये ब्लैक मनी को व्हाईट मनी में कनवर्ट कर रहे हैं। बताया जाता है कि शातिर हवाला कारोबारी अश्वनी केशरी और फितरती सटोरिया पंकज आर्या रातों रात करोड़पति बनने की चाहत रखते थें और इन दोनों नें पैसे बनाने के लिए हर गलत रास्ते पर चलने का फैसला कर लिया। आज अश्वनी हवाला कारोबार के जरिये अपनी आर्थिक जड़ों को मजबूत कर चूका है तो वहीं सट्टा के कारोबार में आने के बाद पंकज आर्या ने आर्थिक साम्राज्य को मजबूत बना लिया। दूसरी तरफ आदित्य और अंशुमान ने पैथोलॉजी सेंटर खोलकर अपने काले कारनामों के ऊपर सफेद पर्दा डालने का काम कर लिया है।