पूर्व कुलपति की जयंती पर 31 रिटायर प्रोफेसरों का सम्मान
वाराणसी(रणभेरी): भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। 19 सितबंर से 16 जनवरी 1948 तक काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति रहे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का कार्यकाल शिक्षा का स्वर्णिम युग माना जाता है। बीएचयू के पूर्व कार्य विशेष अधिकारी डॉ. विश्वनाथ पांडेय ने कहा, '' कैंपस में डॉ. राधाकृष्णन द्वारा किया गया प्रयोग आगे चलकर पूरे देश में दिखाई दिया। वेद,गीता, उपनिषदों और शास्त्रों की पढ़ाई को लेकर उनकी सोच बदल दी गई। डॉ. पांडेय ने कहा, ''लॉर्ड विलिंग्डन ने संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय और कार्यकारिणी परिषद की अनुशंसा से सर्वपल्ली को कुलपति नियुक्त किया था। अपने 9 साल के कार्यकाल में उन्होंने बीएचयू को शिक्षा के मामले में देश को राह सुझाने वाला बना दिया। शिक्षा नीति-2020 में उनके कामों का स्वरूप दिखाई देता है।''
बीएचयू के सिल्वर ज्युबिली वर्ष 1948 में डॉ. राधाकृष्णन ने कहा था कि अगर प्रकृति को जीवन का हिस्सा माने, तो बनारस के कण-कण में शिक्षा का खजाना है। बनारस इतना सक्षम है कि यहां पर वेद व्यास, उपनिषद, गौतम बुद्ध के उपदेशों, गीता का संदेश जैसे प्राचीन ज्ञान वाले काम को फिर से दुहराया जा सकता है। यहां पर एक-दूसरे के पड़ोस में ही सैकड़ों साधु-सन्यासी और विद्वान व्यक्ति मिल जाएंगे। हिंदू यूनिवर्सिटी के लिए इससे बेहतर कोई शहर हो ही नहीं सकता।