Ramnagar Ki Ramlila: रामलीला के 20वें दिन राम नाम से समुद्र में तैरने लगे पत्थर
वाराणसी (रणभेरी): विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला के 20वें दिन बुधवार को श्रीराम का सेना सहित सिंधु तटप्रयाण, विभीषण मिलन, सेतु निर्माण एवं शिवस्थापना की लीला श्रद्धालुओं को भावविभोर कर गई। समुद्र ने भगवान राम को बताया कि आपकी सेना में नल और नील नाम के बंदरों को बचपन में ही ऋषि का आशीर्वाद मिला है कि वह जिस पत्थर या पहाड़ को छू देंगे वह पानी में तैरने लगेंगे।
रामलीला के बीसवें दिन बुधवार को हनुमानजी ने माता जानकी का श्रीराम को पता बता दिया तो वानरी सेना उत्साह से भर उठी। हनुमान ने सीता का पता बताकर श्रीराम को उनका अभीष्ट दे दिया। फिर क्या था। प्रभु का आदेश हुआ और वानरी सेना निकल पड़ी उस लंका के फतह के लिए जिसका सर्वनाश युगों-युगों के लिये यह दृष्टांत निर्धारित करने वाला था कि बुराई ही अंत मे हारती है। देवताओं की जयजयकार के बीच श्रीराम की वानरी सेना लंका पर चढ़ाई करने के लिए चल पड़ती है। समुद्र ने भगवान राम को बताया कि आपकी सेना में नल और नील नाम के बंदरों को बचपन में ही ऋषि का आशीर्वाद मिला है कि वह जिस पत्थर या पहाड़ को छू देंगे वह पानी में तैरने लगेंगे। आप सेतु का निर्माण कराइए।
जामवंत की सलाह पर सभी वानर, भालू, पहाड़ और पेड़ उखाड़ लाते हैं। सेतु का निर्माण शुरू हो जाता है। यह देखकर राम ने वहां पर रामेश्वर महादेव की स्थापना की। शिव स्थापना एवं पूजा करने के बाद वह कहते हैं कि शिव के समान हमें कोई प्यारा नहीं है। मेरे द्वारा स्थापित रामेश्वरम का दर्शन करेगा वह हमारे धाम को जाएगा और जो सेतु का दर्शन करेगा, वह भवसागर से पार उतर जाएगा। राम के प्रताप से पानी में पत्थर तैरने लगते हैं। आरती के बाद लीला को विराम दिया गया।