काशी में कबीर के जन्मोत्सव पर निकली शोभायात्रा 

काशी में कबीर के जन्मोत्सव पर निकली शोभायात्रा 

तीन किमी की शोभायात्रा 2 घंटे में पूरी हुई, कला कौशल का भी प्रदर्शन किया, सत्यनाम की पताका लहराई 

वाराणसी (रणभेरी सं.)। कबीर के प्राकट्य महोत्सव पर मंगलवार को उत्सवी माहौल दिखाई दिया। वाराणसी में लहरतारा स्थित उनकी जन्मस्थली कबीर बाग आश्रम से गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा निकाली गई। देश के 20 राज्यों से करीब 3 लाख कबीरपंथियों का हुजूम उमड़ा। 


कहीं भक्तों की टोली तो कहीं संतों की टोली कबीर धुन पर थिरकती नजर आई। कला कौशल का प्रदर्शन भी किया। साथ ही सत्यनाम की पताका लहराई गई। यह शोभायात्रा कबीर बाग आश्रम से निकल कर डेढ़ किमी दूर लहरतारा चौराहे तक गई। फिर वापस कबीर बाग आश्रम लौटी। आने-जाने का कुल 3 किमी सफर करीब 2 घंटे में पूरा हुआ। पूर्णा हार्ले ने कहा- सभी धर्म में बहुत से त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं, लेकिन कबीर पंथ में पूर्णिमा के दिन विशेष व्रत रखा जाता है। उसी दिन हम सभी कबीर जी के बताए हुए रास्तों पर चलने का संकल्प लेते हैं। पाठ करते हैं। ज्येष्ठ मास में हम सभी उनके जन्म उत्सव के दिन एकत्र होते हैं। हम लोग मूर्ति पूजा नहीं करते है।

डीजे, बैंड-बाजा की धुन पर झूमे अनुयायी

लहरतारा स्थित स्थल से कबीर प्राकट्य महोत्सव के अंतिम दिन सुबह ठाठ-बाट से निकली शोभायात्रा में कबीरपंथियों की आस्था देखते को मिल रहा था। गुरु के जन्म को उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। सत्यनाम का ध्वज लिए महिलाएं, पुरुष व बच्चे सभी डीजे, बैंडबाजा व ढोल-नगाड़े की धुन पर झूमते दिखे। संतों की टोली खजड़ी व मजीरा व विगुल के साथ भजन कर रही थी। रथ पर विराजमान कबीर प्रकाट्यधाम के आचार्य हजूर अर्धनाम साहब का भक्त आरती उतारते दिखे।शोभायात्रा लहरतारा चौराहा, बौलिया, नई बस्ती, लहरतारा पुल से पुन: आश्रम पहुंच कर समाप्त हुई।

कबीर के ध्यान से खत्म हो जाएगा अहंकार

प्रकाट्यधाम में दूसरे दिन संतों का प्रवचन हुआ। हजूर अर्धनाम साहब ने कहा कि कबीर के ज्ञान को जीवन में धारण करने से काम, क्रोध, लोभ व मोह और अहंकार समाप्त हो जाता है। इसलिए कबीरवाणी पर चिंतन व मनन करें। धर्माधिकारी सुधाकर दास शास्त्री, महंत सुनील शास्त्री आदि ने भी विचार रखे। इस दौरान भजन टोलियों ने भजन गंगा में सभी को डुबोया।

राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने किया उद्घाटन

संत कबीर का जन्म संवत 1455 की ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को हुआ था। इसलिए हिंदू कैलेंडर की इस तिथि पर कबीरदास जयंती मनाई जाती है। इन्हें कबीर साहब या संत कबीरदास भी कहा जाता है। इनके नाम पर कबीरपंथ संप्रदाय प्रचलित है। इस संप्रदाय के लोग इन्हें एक अलौकिक अवतारी पुरुष मानते हैं। काशी में कबीर जन्मोत्सव तीन दिन मनाया जा रहा है। इसकी शुरूआत राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने पौधारोपण करके किया। आज कबीर के जन्मोत्सव में शामिल होने के लिए तीन लाख के अधिक अनुयायी पहुंच चुके हैं।