काव्य-रचना

काव्य-रचना

 कर दे ख़बर उसे 

जब था वो पास मेरे 
तो हाले ख़बर न पूछा 
सुना है जाने के बाद 
वो बहुत रोये 

सब खो के बैठी हूँ 
हाथ कुछ भी नहीं 
कर दे ख़बर कोई उसे, की 
वो मेरे पास आ कर रोये 

फ़िक्र है उसे, अब भी खो जाता
सुना है हफ़्तों मेरी ख्यालों में 
एक पल ही सही उसे कहों 
कभी, मेरे पास आ कर खोये 

कब लहरों में सिमट जाए 
अब वक्त रेत की लकीरों पे है 
हिसाब कर ले कुछ ज़िन्दगी के 
काहो, अपना कारोबार छोड़ कर आये ।

 
                            ----- सुनील कुमार ‘खंज़र’