काव्य-रचना
फगुनवा में रंग बरसे
रंगों का है त्यौहार फगुनवा में रंग बरसे-
रंग बरसे भैय्या रस बरसे -------2
इस त्यौहार से खिल उठे मनवा
बच्चे-बूढ़े भी झूमे अंगनवा
फगुनी-2 आयी है बहार फगुनवा में रंग बरसे !
मनवा-तनवा डोल रहा है ,
रंगों दो गुलाल से बोल रहा है ,
जियरा-2 हुआ रे गुलाल-फगनुवा में रंग बरसे !
सखिया-सहेलरी खेलय होली ,
खाय के गुझिया करें ठिठोली ,
राधा-2 हुई रें निहाल फगनुवा में रंग बरसे !
राम जी कहते खूब खेलों होली ,
एकता की बनाय टोली ,
मिले रें-2 खुशियाँ हजार फगनुवा में रंग बरसे !
'डाँ० राम कुमार कनौजिया'