काव्य-रचना
मृत्यु शैय्या पर पड़ा पिता
मृत्यु शैय्या पर पड़ा पिता
पुत्र मोह मे रोता है !
बेटे के दर्शन की चाह में
अंतिम साँस नहीं लेता है !!
अस्पताल मे भर्ती हुआ
पीछले ही महीने में !
जान लेवा रोगों से ग्रसित
दर्द हुआ था सीने में !!
पुत्र-प्यार में, प्राण पखेरू
उडने से मजबूर हुये !
वात्सल्य प्यार के निष्ठा से
थे यमदूत भी डरे हुये !!
दर्द हुआ था उसे शुरू
पिछले दो-तीन वर्षों से !
पत्नी के सेवा ने खींचा
सेंक सेंक कर सरसो से !!
बेटों को दूरभाष तथा
मेल द्वारा संदेश दिया !
एक बेटे ने दोस्त के हाथों
भेज उसे कुछ कैश दिया !!
लिखा साथ मे उसने पिता को
सलाह भरा एक पत्र !
बिक्री कर दें जमीन गाँव की
जब रहना अन्यत्र !!
दूसरे ने यह मेल लिखा
थी प्रोमोशन पार्टी !
खर्च हो गये सारे पैसे
किसी तरह महीना काटी !!
अगले महीने मे बच्चे का
वार्षिक शुल्क है भरना !
मैरीज डे पर बहू आपकी
माँग रही है गहना !!
पास बुलाने में दोनों ने
दर्शायी मजबूरी !
मिलने आते बोले अवश्य
होती ना इतनी दूरी !!
आँसू के घूँट पी कर रोया
टूटते हुये अरमानों पर !
मान लिया फिर भी
बेटों के किये बहानों पर !!
बेटों को पढाने में पिता ने
खर्ची जीवन की कमाई !
नौकरी खोजने मद में
माँ ने थी गहने गँवाई !!
खाना लेकर वृद्धा मां जब
अस्पताल शाम में जाती है !
नहीं कोई संदेश मिला
वृद्ध पिता को सुनाती है !!
व्याकुल हो गम से आकुल
वह निरंतर रोता है !
आ जाते मरने से पहले
मिलने वालों से कहता है !!
अजय कुमार दूबे