क्या इस अवैध निर्माण का होगा ध्वस्तीकरण ?

क्या इस अवैध निर्माण का होगा ध्वस्तीकरण ?
  • बनारस में नहीं लागू होता सी एम योगी का फरमान 
  • भ्रष्टाचार की आगोश में आकंठ डूबा विकास प्राधिकरण 
  • वीडीए की सह पर सामने घाट में तेज़ी से हो रहा अवैध निर्माण 

वाराणसी (रणभेरी): उत्तर प्रदेश के तेजतर्रार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकारी विभागों पर नकेल कसने की चाहे जितनी बड़ी-बड़ी बाते कर लें प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आते-आते सारे आदेश-निर्देश हवा साबित हो जाते हैं। वाराणसी जिसे स्मार्ट बनाने की हर कवायद के लिए देश व प्रदेश की सरकार कटिबद्ध नज़र आ रही है उसी शहर की सूरत को बर्बाद करने के लिए वाराणसी विकास प्राधिकरण पूरे तरह से आमादा हो गया है। 

वाराणसी के अलग अलग हिस्सों में बिना किसी योजना के मनमाने ढंग से विकास प्राधिकरण की शह पर इन दिनों सैकड़ो की संख्या में अवैध भवनों का निर्माण हो रहा है। हम अपने खबरों के जरिये  निरंतर ऐसे अवैध निर्माणों की तरफ सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने का काम रहे है लेकिन भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी हो चुकी हैं कि यहाँ के भ्रष्ट अधिकारियों पर किसी बात का कोई असर नहीं पड़ता और ना ही उच्चाधिकारियों के द्वारा ऐसे अधिकारियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही की जाती है। ऐसे में इन भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से वाराणसी सुनियोजित विकास के बजाय विनाश की ओर बढ़ता जा रहा है। इस शहर की सूरत बदहाल होती जा रही है जिसका खामियाजा निकट भविष्य में भुगतना होगा। 

अभी हाल में ही हमने लंका थाना अंतर्गत सामने घाट क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माण के सन्दर्भ में प्रमुखता से खबर प्रकाशित किया था। परन्तु अभी तक इस अवैध निर्माण पर कोई शिकंजा नहीं लग सका है। हमारे अखबार रणभेरी में प्रमुखता से प्रकाशित इस खबर पर प्रशासन अब तक मौन है। सूत्रों की माने तो इस व्यवसायिक भवन के निर्माण के लिए वीडीए के अधिकारियों ने बड़ी डील कर रखी है। यही वजह है कि इस अवैध भवन के खिलाफ विभाग ने चुप्पी साध रखी है। 
नियमानुसार किसी भी भवन निर्माण से पहले उस भवन के क्षेत्रफल की दृष्टि से उसका नक्शा पास कराया जाता है और विकास प्राधिकरण द्वारा निर्माण की अनुमति सहित नक्शा की मंजूरी के बाद ही निर्माण कार्य शुरू होता है। यही नहीं ऐसे भवनों पर नक्शा स्वीकृति का बोर्ड भी लगाया जाता है। लेकिन सामने घाट क्षेत्र में निर्मित हो रहे इस व्यवसायिक भवन के निर्माण की ना ही संवैधानिक अनुमति है और ना ही इस भवन पर नक्शा पास होने से सम्बंधित कोई बोर्ड ही लगा हुआ है। 

माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के अनुक्रम में गंगा किनारे 200 मीटर के दायरे में भवन निर्माण करना गैर क़ानूनी है इसके बावजूद यहाँ महज़ 100 मीटर के ही दायरे में 6 मंजिला इमारत तन कर तैयार हो गयी और वीडीए के कानों में जूँ तक न रेंगा। इस मामले में अब एक बड़ा प्रश्न यह उठता है कि क्या वाकई वीडीए प्रशासन को इस बात की खबर नहीं है या पैसों के लालच में भ्रष्ट अधिकारीयों ने निर्माण कर्ताओं से मिलीभगत कर ली है। आखिरकार इस निर्माण के अवैध होने के बावजूद अब तक इस पर कोई कार्रवाई क्यों न हो सकी। एक ओर जहां सूबे के मुख्यमंत्री ने अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलाने का आदेश दे रखा हैं वहीं प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में नियमों और आदेशों को ताक पर रखकर वाराणसी विकास प्राधिकरण इस प्रकार के दर्जनों अवैध निर्माणों में लगातार शह दे रहा है। भ्रष्ट अधिकारीयों के इस कारनामे से रसूखदारों का मन लगातार बढ़ता जा रहा है और भ्रष्टाचार की इस प्रक्रिया में संलिप्त वीडीए अधिकारी पहले सील फिर डील और फिर ढील देने के मकसद में कामयाब होते जा रहे है।