पापड़ बेलने वाली महिलाओं के साथ सरदार जी ने खुल कर खेली होली

वाराणसी (रणभेरी): अगर आपको शक है कि पापड़ खाकर पहलवानी नहीं की जा सकती तो भूल जाइए। दिलदार पापड़ कुतरिए और जब चाहे तब विनेश फोगाट से पंजा लड़ा लीजिए। विश्वास न हो तो हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या। मिल लीजिए दिलदार पापड़ के ईजादफरमा सरदार जी से जो 80 के उम्र भी दिलदार पापड़ खाकर ठेठ हैं।
सामान्य दंगलों के लिए अब भी ओवरवेट है। आशिकी की बात करें तो पापा जी अब भी दिल लगाते है, पटने वाली मिले तो बड़े सुकून से पटाते हैं। अब इस फगुआ की ही बात ले लीजिए, अभी होली में 24 घंटे बाकी हैं मगर सरदार जी अबतक गली में दौड़ा-दौड़ाकर 30 महिलाओं को रंग पोतकर उन्हें रंगीन बना चुके हैं। रंगभरी एकादशी के बहाने वे दर्जनों औरतों की मांग में गुलाल सजा चुके हैं। उनका यह भी निश्चय है कि उनसे रंग लगवाने वाली हर औरत को वे मुफ्त में पापड़ बेलने का प्रशिक्षण देंगे। वैसे सरदार जी को गहरे से जानने वाले ठठेरी गली के उनके पड़ोसी दुकानदार उनको खूब अच्छी तरीके से समझ रहे हैं। हर दुकान पर उनके ही छीनरपन के किस्से चल रहे हैं।