काव्य- रचना
तू मेरी शक्ति, मैं तेरा शिव बन जाऊं.......
छवि अधूरी, प्यास अधूरी, रंग अधूरे जीवन के
लेख अधूरे, सुलेख अधूरे, उमंग अधूरे जीवन के
भर दो रंग मेरे चित्रों में, मैं भी एक छवि बन जाऊं;
तू मेरी शक्ति, मैं तेरा शिव बन जाऊं।।
बाग-बाग में डाल-डाल पर खुशबू हम बिखेरेंगे
जीवन की बहती सरिता में पत्थर पर प्रेम उकेरेंगे
फूल बनो तुम रंग-बिरंगे,मैं भी एक कलि बन जाऊं;
तू मेरी शक्ति, मैं तेरा शिव बन जाऊं।।
रस्में सारी झूठी हैं सिवा प्रेम के तेरे प्रिये
लड़ियां सारी टूटी हैं सिवा प्रेम के तेरे प्रिये
मंदिर-मस्जिद तुम बन जाओ,मैं बीचोबीच गली बन जाऊं;
तू मेरी शक्ति, मैं तेरा शिव बन जाऊं ।।
कुमार मंगलम