Gyanvapi Survey: रिपोर्ट तैयार न होने से कोर्ट कमिश्नर न्यायालय से मांग सकते हैं वक्त

Gyanvapi Survey: रिपोर्ट तैयार न होने से कोर्ट कमिश्नर न्यायालय से मांग सकते हैं वक्त

वाराणसी (रणभेरी): ज्ञानवापी परिसर में सर्वे पूरा होने के बाद इसकी रिपोर्ट न्यायालय में मंगलवार को नहीं सौंपी जा सकेगी। सर्वे के दौरान उम्मीद से कहीं ज्यादा बड़े इलाके में वीडियो और फोटोग्राफी की गयी। इससे फोटो की संख्या काफी ज्यादा हो गयी है। वीडियो भी काफी लम्बा है। इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार करने में वक्त लगेगा। वही विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह ने न्यायालय में आवेदन देकर अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्रा और सहायक अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप सिंह पर कमीशन की कार्यवाही में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया है। इसे देखते हुए एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह न्यायालय में प्रार्थना पत्र देंगे। इसमें रिपोर्ट को तैयार के लिए वक्त की मांग करेंगे। 

उनके आवेदन पर सिविल जज सीनियर डिवीजन ने दोनों आयुक्तों से स्पष्टीकरण भी मांगा है। सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने 12 मई को अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्र के सहयोग के लिए विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह और सहायक अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप सिंह को नियुक्त किया है।इ सके बाद 14 मई से कमीशन की कार्यवाही शुरू हुई और 16 मई को पूरी हुई है। इस दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिलने के बाद अदालत ने उस परिसर को सील करने का आदेश दे दिया। यह अदालत तय करेगी कि उन्हें कितना वक्त दिया जा सकता है। वहीं वादी और मुस्लिम पक्ष भी रिपोर्ट के दाखिल होने का इंतजार कर रहे हैं। जिसके आधार पर अदालत निर्णय करेगी। उस निर्णय पर दोनों पक्ष अपना-अपना रूख तय करेंगे।

सर्वेक्षण के दौरान एचडी कैमरे का उपयोग किया गया। कार्य पूरा होने पर फुटेज व फोटो सुरक्षित कर लिए गए हैं। साक्ष्य के तौर पर फुटेज व फोटो रिपोर्ट में शामिल किए जाएंगे। वीडियो व फोटोग्राफी की जिम्मेदारी गणेश शर्मा व विभाष दुबे को दी गई थी। दोनों ने कार्य पूरा होने पर खुशी जाहिर की। उनका कहना था कि सर्वेक्षण के दौरान साक्ष्यों को फोर-के कैमरा से कैद किया गया। टीम के पास वाटर प्रूफ कैमरा साथ में था लेकिन उसकी जरूरत नहीं पड़ी।

ज्ञानवापी परिसर के तालाब के पानी को खाली कराने के दौरान शिवलिंग अस्तित्व में आने की बात सामने आई पर इस दौरान इसमें मौजूद सैकड़ों मछलियों की जान भी आफत में आ गई। प्रशासन ने प्रांरभिक दौर में बीस से तीस मछलियों को निकलवाकर एक पानी भरे ड्रम में सुरक्षित रखा पर संख्या अधिक होने के कारण सभी को निकाल पाना संभव नहीं हुआ। पानी निकासी के कारण आक्सीजन की कमी आना स्वाभाविक मानते हुए तत्काल मत्स्य विभाग को मौके पर बुलाया गया।आक्सीजन की व्यवस्था के साथ मत्स्य विभाग पहुंचा। तालाब में डेढ़ फीट तक पानी होने के कारण बाद में निकाली गई मछलियों को भी उसी में छोड़ दिया गया। गर्मी व पानी की कमी से पर्याप्त आक्सीजन न होने की वजह से अब इन मछलियों की जान जा सकती है, इसलिए प्रशासन इनकी व्यवस्था के बाबत कोर्ट से अपील करेगा।