काव्य-रचना
अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस
बड़े बुजुर्गों की सेवा जमानत बनेगी
करो दिल से सजदा इबादत बनेगी
बड़े बुजुर्गों की सेवा अमानत बनेगी
खुलेगा जब तुम्हारे गुनाहों का खाता
बड़े बुजुर्गों की सेवा जमानत बनेगी
कहने को परिवार घर दीवार छत है परंतु
यह खुशियों का अनमोल खजाना बताते हैं
बड़े बुजुर्गों वृक्ष हम शाखाएं हैं यह बताते हैं
यह सब को सुख सुविधा आराम दिलाते हैं
गुरु से बड़े माता-पिता होते हैं
सृष्टि के नायाब हीरे होते हैं
रिश्तो की डोर अनमोल है
माता पिता तुल्य कोई मोल नहीं है
जिस परिवार में बड़े बुजुर्ग माता-पिता हंसते हैं
उनके आंगन में भगवान बसते हैं
प्रथम गुरु माता-पिता होते हैं
अच्छी सीख बड़े बुजुर्ग हमें देते हैं
परिवार है फूलों की माला यह सिखाते हैं
इस माला के हम सब फूल यह बताते हैं
प्रेम सद्भाव से रहना सिखाते हैं
भारतीय संस्कृति की यही पहचान बताते हैं
बड़े बुजुर्गों से बड़ा कोई धन नहीं
पिता से बड़ा कोई सलाहकार नहीं
मां के आंचल से बड़ी कोई दुनिया नहीं
भाई से बड़ा कोई भागीदार नहीं
बहन से बड़ा कोई शुभचिंतक नहीं
परिवार से बड़ा सृष्टि में कोई लोक नहीं
माता पिता से बड़ा सृष्टि में कोई अपना नहीं
प्रथम गुरु हैं माता पिता से बड़ा कोई नहीं
एडवोकेट किशन सनमुखदास