काव्य रचना
झूठी यारी
मोहब्बत न सही
नफरत ही किया करो,
खुशी न सही
गम ही दिया करो,
दिल से न सही
दिमाग से ही
सोच लिया करो,
अपनापन न सही
परायपन ही
दिखा दिया करो,
मुस्कान न सही
गम के आंसू ही
दे दिया करो,
बातचीत न सही
खामोशी का आलम ही
मेरे नाम कर दिया करो,
राजीव डोगरा