कम नहीं हुई सूरज की नरमी, बेजुबानों को भी सता रही गर्मी
वाराणसी (रणभेरी)। भीषण गर्मी से इन दिनों महादेव की नगरी काशी तपी रहती है। बीते कुछ दिनों से गर्मी ऐसी पड़ रही है कि मानों सूर्य से आग निकल रही हो। पारा 40 से 45 डिग्री के बीच रह रहा है। आलम यह है कि न घर में चैन और न हीं बाहर में सुकून मिल रहा है। गर्मी इतनी अधिक पड़ रही है कि गरम हवाओं से फिजां भी पूरी तरह से गरम रह रहा है। इस परिस्थिति में लोगों का जन जीवन अस्त- व्यस्त हो गया है। बाजारों में दिन के 10 बजे के बाद चहल- पहल कम होने लगती है। बीते एक पखवाड़ा से अधिक समय से तेज धूप व लू से लोगों के साथ-साथ बेजुबान भी परेशान हैं। दोपहर के वक्त आग उगलते सूर्य के सामने न तो गमछा काम आ रहा और न ही स्टॉल राहत दे रहा है। ज्येष्ठ माह में उमस भरी गर्मी बेहाल कर रही है। भीषण गर्मी से इंसान के साथ साथ बेजुबान भी परेशान हैं। सारनाथ स्थित चिड़ियाघर और डियर पार्क में गर्मी का सितम बेजुबान जानवरों पर भी पड़ने लगा है। इसी के मद्देनजर जानवरों के लिए जल एवं ठंडे खाद्य की व्यवस्था की गई है। वहीं गर्मी के कारण मगरमच्छ और घड़ियाल भी पानी से बाहर नहीं आ रहे हैं। जिसके कारण लोग मायूस होकर लौट रहे हैं। जू प्रशासन ने एहतियात के तौर पर कई कदम भी उठाए हैं। जिसके तहत जू के अलग-अलग हिस्सों में पानी के छिड़काव के साथ साफ सफाई का विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सारनाथ मिनी जू में पक्षियों के बाड़ों में हरे रंग का परदा लगा दिया गया है। जलचरों को ठंडा रखने के लिए लगातार पानी बदला जा रहा है। उन्हें ठंडे खाद्य पदार्थ दिए जा रहे हैं। जू की देख रेख का काम करने वाले बबन यादव ने बताया कि वन्य जीवों को भोजन में पीपल, पाकड़, गूलर, बरगद व अशोक का पत्ता खाने में दिया जा रहा है। हर तीन दिन पर खीरा व तरबूज भी दिया जा रहा है। इसके साथ गेहूं, चना, जौ आदि का चारा दिया जा रहा है। बताया कि जानवरों के लिए टीनशेड व आसपास पानी का छिड़काव किया जा रहा है। पक्षियों के बाड़े को तीन तरफ से हरे रंग के परदे घेर दिया गया है। खाने में पालक, खीरा, काकुन, भीगा चना, केला, गाजर व आलू दिया जाता है। घड़ियाल व मगरमच्छ आदि को खाने में मछली दी जाती है। तालाब में लगातार पानी भरा जाता है। मगरमच्छ और घड़ियाल को देखने का पर्यटक कर रहे इंतजार: राजस्थान से वाराणसी के सारनाथ पहुंची मनीषा ने बताया कि गर्मी बहुत है पार्क में व्यवस्थाएं तो अच्छी है लेकिन गर्मी इतना ज्यादा है कि जो पानी वाले जीव हैं खासकर मगरमच्छ और घड़ियाल वह जल्दी बाहर ही नहीं निकल रहे हैं उन्होंने बताया कि हमने 15 मिनट इंतजार किया लेकिन हम नहीं देख पाए इसके अलावा उन्होंने बताया कि हिरण भी छांव के तलाश में पेड़ के नीचे बैठे दिखें।