Mauni amavasya 2023: काशी में मौनी अमावस्या पर ठंड और बारिश के बीच मौन होकर श्रद्धालुओं ने गंगा में किया स्नान
(रणभेरी): वाराणसी में आज मौनी अमावस्या पर कड़ाके की ठंड और बारिश की बौछारों के बावजूद गंगा में श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई। मौनी अमावस्या और शनैश्चरी अमावस्या का संयोग बन रहा है जो इस पर्व को खास बना रहा है।शुक्रवार की शाम से स्नान करने वालों की भीड़ गंगा के तट पर उमड़नी शुरू हो गई थी। शनिवार को भगवान भाष्कर की प्रथम किरणों के साथ ही गंगा के तट पर मौनी अमावस्या का स्नान शुरू हो गया।श्रद्धालु मौन होकर मां गंगा में पुण्य की डुबकी लगा रहे हैं। अस्सी से राजघाट तक प्रमुख घाटों पर स्नान के इंतजाम किए गए हैं। सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम हैं। सुबह 4 बजे से ही प्रचड़ ठंड के बीच काफी संख्या में लोग आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। स्नान-ध्यान के बाद दान-पुण्य करते लोग मंदिरों और अपने घरों की ओर लौट रहे हैं। मान्यता है कि स्नान के दौरान मौन रहा जाता है। श्रद्धालु आज अपने घरों-मुहल्लों से भजन गाते आते रहे और गंगा में डुबकियां लगाने के दौरान मौन धारण कर लेते हैं। वहीं, दशाश्वमेध घाट की सीढ़ियों पर पैर रखने भर का स्थान नहीं है। वहीं, काशी के अन्य सभी घाटों पर स्थिति काफी ऐसी है।
मौनी अमावस्या के बारे में कहा जाता है कि इस दिन ऋषि मनु का जन्म हुआ था। मनु शब्द से ही मौनी बना है, इसलिए इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए इस तिथि का काफी महत्व होता है, क्योंकि, इस तिथि को तर्पण, स्नान, दान आदि के लिए शास्त्रों में बहुत ही पुण्यकारी माना गया है। इस दिन स्नान के बाद लोग काला तिल, गरम कपड़े, कंबल, तेल, जूते आदि का दान करते हैं। दान करने से ग्रहों से जुड़े दोष भी दूर हो जाते हैं।