Chhath Puja 2022: 28 अक्तूबर से सर्वार्थ सिद्धि योग में नहाय-खाय से शुरू होगा महापर्व, जानें कब दिया जाएगा सूर्य को अर्घ्य
- डूबते व उगते सूर्य को दिया जाता है अर्घ्य
- खरना के साथ शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला उपवास
वाराणसी (रणभेरी): सूर्यदेव की आराधना का लोक पर्व डाला छठ (सूर्य षष्ठी) कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है। तिथि विशेष पर महिलाएं व्रत रख कर सायंकाल नदी, तालाब या जल पूरित स्थान में खड़े हो अस्ताचल गामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देती हैैं। वही छठ पूजा को लेकर शहर में चहल-पहल दिखने लगी है। गली-मोहल्ले में छठ के पारंपरिक गीत गूंज रहे हैं। पूजन सामग्री की शहर में तमाम छोटी-बड़ी दुकानें सज गई हैं। एक से एक डिजाइनर सूप के अलावा दउरा, टोकरियों की खरीदारी हुई। पूजन की तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी महिलाएं देर शाम तक खरीदारी में लगी रहीं। हर त्योहार की तरह इस पर भी ग्राहकों की बदलती पसंद को ध्यान में रखते हुए डिजाइनर सूप के अलावा आकर्षक रैंपर वाली फल से भरी टोकरियां भी बाजार में हैं। छठ पूजन के मद्देनजर विश्वेश्वरगंज, दशाश्वमेध, चेतगंज, लक्सा, लंका और सुंदरपुर सहित कई इलाकों में दुकानें लगीं हैं।बुधवार को छठ पूजा के लिए कोसी, पीतल का सूप, बांस का सूप, दउरा, डगरा, गन्ना, नारियल सहित पूजा के हर छोटे-छोटे सामान की खरीदारी हुई। पूजन सामग्री के साथ महिलाओं ने साड़ी व शृंगार के सामानों की दुकानों पर भीड़ रहीं।
पूजन सामग्री के मूल्य
दउरा 200 से 300, सूप 100 से 200, डगरा 150 रुपये का एक, पीतल का सूप 800 से 1200, कोसी 50 से 100 .
के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान 28 अक्टूबर को कार्तिक शुक्ल चतुर्थी शुक्रवार को नहाय-खाय से आरंभ होगा। वहीं शनिवार 29 अक्टूबर को लोहंडा (खरना) के दिन छठ व्रती पूरे दिन उपवास करने के बाद शाम में भगवान भास्कर की पूजा कर खरना का प्रसाद ग्रहण करेंगी। वहीं 30 अक्टूबर रविवार की शाम व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी। सोमवार 31 अक्टूबर को छठ व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिवसीय अनुष्ठान संपन्न करेंगे।धार्मिक मान्यता के अनुसार छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठी माता प्रसन्न होकर परिवार में सुख, शांति, धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं। सूर्यदेव की पूजा, अनुष्ठान करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।
सर्वार्थ सिद्धि योग में नहाय खाय
ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा के अनुसार कार्तिक शुक्ल चतुर्थी छठ व्रती अनुराधा नक्षत्र सौभाग्य व शोभन योग के युग्म संयोग में नहाय-खाय का व्रत करेंगी। छठ व्रती गंगा नदी, जलाशय, पोखर में स्नान करने के बाद भास्कर को जल का अर्घ्य देने के बाद चार दिवसीय अनुष्ठान आरंभ करेंगी। पूरी पवित्रता से तैयार प्रसाद स्वरूप अरवा चावल , चना दाल, कद्दू की सब्जी, आंवला की चटनी आदि ग्रहण कर अनुष्ठान को आरंभ करेंगी। वहीं शनिवार को व्रती ज्येष्ठा नक्षत्र के पुण्यकारी रवियोग में छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना का प्रसाद ग्रहण करेंगी। खरना के प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती 36 घंटे का निर्जला अनुष्ठान का संकल्प लेंगी। 30 अक्टूबर रविवार को सुकर्मा योग, रवियोग व सर्वार्थ सिद्धि योग में व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगी। वहीं 31 अक्टूबर कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि को धृति योग के साथ रवियोग में उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिवसीय महापर्व अनुष्ठान को संपन्न करेंगी। व्रती का 36 घंटे से चले आ रहे निर्जला उपवास भी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होगा। सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रती पारण करेंगी।