पूर्व काशी नरेश के नाम दर्ज 58 बीघा जमीन सरकारी संपत्ति घोषित

पूर्व काशी नरेश के नाम दर्ज 58 बीघा जमीन सरकारी संपत्ति घोषित

वाराणसी (रणभेरी): ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा ने सोमवार को चंदौली के चकिया इलाके की 58 बीघा जमीन जो राजा बनारस के नाम से दर्ज थी,पूर्व काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह और उनके पुत्र कुंवर अनंत नारायण सिंह के नाम से दर्ज भूमि को सरकारी घोषित कर दिया। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने पांच मार्च 2022 को इस मामले में पहले से चल रहे मुकदमे पर फैसला सुरक्षित कर लिया था जिसे 14 मार्च को जारी किया गया।

इस फैसले से नगर में बसे सैकड़ों परिवारों के विस्थापित होने का खतरा पैदा हो गया है। इस भूमि में महारानी मां काली का ऐतिहासिक मंदिर व तालाब भी सम्मिलित है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने अपने फैसले में कहा कि प्रदेश सरकार के नाम से दर्ज 58 बीघा (लगभग 15 हेक्टेयर) भूमि को 1426 से 1431 फसली में गलत इंद्राज के जरिए पूर्व काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह व उनके पुत्र कुंवर अनंत नारायण सिंह के नाम से खतौनी में दर्ज कर लिया गया था। इस इंद्राज को ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने गलत मानते हुए प्रदेश राजस्व अधिनियम 2006 की धारा 30 (1) के तहत निरस्त करते हुए समस्त भूमि को प्रदेश सरकार के अधीन कर दिया है।

अपने आदेश में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने चकिया के ऐतिहासिक काली मंदिर, पोखरा काली मंदिर के नाम से दर्ज भीटा आबादी की जमीन, कालिका धाम कॉलोनी, ठाकुर बाग, चकरा बाग, बापू बाल विद्या मंदिर जूनियर हाई स्कूल, पुरानी सब्जी मंडी, भैसही के तिवारी जी का हाता सहित तमाम भूमि से भूमिधरों का नाम हटाकर प्रदेश सरकार के नाम से अंकित करने का आदेश दिया है।इस फैसले से नगर में पूर्व काशी नरेश के नाम से दर्ज भूमि के साथ ही जिन लोगों ने पूर्व काशी नरेश व उनके परिजनों से जमीन खरीदकर घर या दुकान बनवाया था, उनमें भी विस्थापन का खतरा बढ़ गया है। इससे नगर में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।