…काला कारोबार और बेनकाब होता सिस्टम !
कफ सिरप से करोड़ों का कार्टेल: सिस्टम की चुप्पी, अफसरों की मिलीभगत और समाज की उजड़ती नस्ल !
अपराधी खुले, कानून बंधक : नशे का साम्राज्य बनाम व्यवस्था की नैतिक मौत...दोषी कौन ?
वाराणसी (रणभेरी/विशेष संवाददाता): वाराणसी में जहां एक ओर करोड़ों रुपये मूल्य के प्रतिबंधित और नशे के सिरप की ऐतिहासिक बरामदगी हुई है, वहीं दूसरी ओर यह हैरान करने वाला खुलासा सामने आया है कि इस पूरे काले कारोबार के पीछे आगरा का कुख्यात देवेंद्र आहूजा सक्रिय है, वही देवेंद्र आहूजा, जो वर्ष 2023 में इसी नशीली सिरप के मामले में जेल जा चुका है। सवाल यह नहीं है कि वह फिर से अपराध में क्यों और कैसे उतरा… सवाल यह है कि न्याय और दंड व्यवस्था की मौजूदगी के बावजूद एक अपराधी उसी रास्ते पर दोबारा लौट आता है तो आखिर यह किस व्यवस्था की विफलता का प्रमाण है? क्या कानून की पकड़ इतनी कमजोर हो चुकी है कि दंड आज अपराध रोकने का माध्यम नहीं, बल्कि अपराध को और अधिक चतुराई से करने की “तालीम” बन गया है?
सूत्रों के अनुसार देवेंद्र आहूजा के सिंडिकेट से जुड़कर वाराणसी के प्रशांत उपाध्याय उर्फ़ लड्डू और निलेश गुप्ता बड़े स्तर पर इस अवैध कारोबार को फैला रहे थे। यह संबंध कोई सामान्य व्यावसायिक गठजोड़ नहीं समाज को बर्बादी की ओर धकेलने का संगठित अनुबंध प्रतीत होता है, जिसमें हर सदस्य का उद्देश्य एक ही युवाओं को नशे में डुबोकर अकूत धन कमाना। जरा सोचिए कितने घरों के सपने टूट गए होंगे, कितनी मांओं की गोद उजड़ी होगी, सिर्फ इसलिए कि कुछ इंसानों ने अपनी विलासिता के लिए युवाओं के भविष्य की लाश पर महल खड़े करना चुना।
यह भी पुख्ता जानकारी मिली है कि प्रशांत उपाध्याय उर्फ़ लड्डू गाज़ियाबाद के सौरभ त्यागी और सहारनपुर के विशाल राणा व विभोर राणा के संपर्क में है। कथन भले छोटा हो, पर संकेत विशाल हैं। यह कोई मामूली नेटवर्क नहीं यह नशे के अरबों के साम्राज्य का ऐसा छुपा हुआ सिंडिकेट है जिसने देशभर में अपने पैर पसार रखे हैं। तो सवाल उठता है यह साम्राज्य कैसे बना, कैसे बढ़ा, और किसकी आँखों के सामने फलता-फूलता रहा?
यदि सबकी नजरें इस पर थीं, तो फिर चुप्पी किसकी थी, सत्ता की, सिस्टम की या मानव विवेक की?
इन समाज विरोधी व्यक्तियों का यह घिनौना कृत्य केवल युवा पीढ़ी के भविष्य को नहीं निगल रहा,
यह देश विरोधी अवैध तंत्र चलाकर प्रदेश की योगी सरकार और देश की मोदी सरकार दोनों को खुली चुनौती दे रहा है। कोई अपराधी इतना निर्भीक तभी बनता है, जब उसे विश्वास हो जाए कि उसकी पहुंच कानून से बड़ी है और उसका धन न्याय को मनचाहा मोड़ दे सकता है। अगर यह सच है, तो अब लड़ाई नशे के व्यापारियों से नहीं, उस मानसिकता से है जिसमें अपराध कानून से अधिक शक्तिशाली माना जाने लगता है।
सबसे चौंकाने वाली जानकारी यह सामने आई है कि जहां एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपराध और भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस की बात करते हैं, वहीँ दूसरी ओर उसी पार्टी के वाराणसी के भाजपा विधायक और मंत्री वाराणसी में इन सिरप माफियाओं को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। यही वह विरोधाभास है जो व्यवस्था को खोखला कर देता है। जब अपराधी धन और प्रभाव का सहारा लेते हैं, तो न्याय की आँखों पर पट्टी नहीं, बंधन कस दिया जाता है। इसलिए असली सवाल यह है..दोषी कौन है? अपराध करने वाला? या अपराध को संरक्षण देने वाला? और सबसे बड़ा प्रश्न... पीड़ित कौन है? समाज? युवा पीढ़ी? या आने वाला कल?
खुलासे यहीं नहीं रुकते। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि करोड़ों के साम्राज्य का मालिक प्रशांत उपाध्याय उर्फ़ लड्डू पुलिस विभाग से लेकर नारकोटिक्स विभाग तक के कुछ अफसरों का ईमान खरीद चुका है, इसलिए वह बड़े आरोपों के बावजूद खुलेआम घूम रहा है। यह सिर्फ भ्रष्टाचार का मामला नहीं नैतिकता के अंतिम संस्कार की कहानी है।
अपराधी आज़ाद इसलिए नहीं है क्योंकि वह कानून से ज्यादा शक्तिशाली है, बल्कि इसलिए क्योंकि कानून लागू करने वाले उससे कमजोर साबित हुए हैं। आखिर वह कौन-सी शक्ति है जो उसके सिर पर हाथ रखकर उसे सुरक्षा देती हुई चलती है, जबकि समाज भय, क्रोध और असहायता में दम तोड़ रहा है?
यह पूरा दृश्य केवल अपराध की कहानी नहीं, यह सिस्टम और समाज के बीच अटके सवालों की कहानी है।
अपराध कब रुकता है? जब कानून मजबूत होता है? या जब समाज अपराधियों को अस्वीकार कर देता है?
क्योंकि यदि कानून लड़ रहा है और समाज खामोश है, तो अपराधी जीतते हैं। लेकिन यदि समाज और कानून दोनों लड़ने का फैसला कर लें तो नशे के साम्राज्य चाहे जितने बड़े हों, ढहते हैं, टूटते हैं, मिटते हैं।
और इस कथा का अंत यहीं नहीं...यह यहीं से शुरू होती है। क्योंकि अब सवाल सिर्फ नामों का नहीं तंत्र की ईमानदारी का है। अब सवाल सिर्फ गिरफ्तारी का नहीं व्यवस्था के आत्ममंथन का है। और सबसे बढ़कर अब सवाल केवल नशे के खिलाफ जंग का नहीं, देश और भविष्य को बचाने का है।
(देवेन्द्र आहूजा, सौरभ त्यागी, निलेश गुप्ता, विशाल राणा, विभोर राणा, मिलिंद यादव और लल्ली पाठक अनेकों जैसे ड्रग माफियाओं के बारे पूरी दास्तान जानने के लिए पढ़ते रहिये...’रणभेरी’।)











