.....तो शायद तालाब में न डूबता महामना के बगिया का शिव
- 916 दिन बाद लंका पुलिस की खुली पोल, सीबीसीआईडी की जांच में पुलिस की लापरवाही हुई उजागर
- लंका थाने से ढाई साल पहले गायब हुए छात्र शिव के मामले में 8 पुलिसकर्मियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या सहित अन्य आरोपों में केस
वाराणसी (रणभेरी): बीएचयू के छात्र शिव कुमार त्रिवेदी के लंका थाने से ढाई साल पहले गायब हुए मामले में 916 दिन बाद लंका थाना पुलिस की पोल खुल ही गई। सीबीसीआईडी की जांच में उजागर हुआ कि लंका पुलिस की लापरवाही के चलते ही शिव कुमार त्रिवेदी की मौत हुई। इस मामले में शुक्रवार को लापरवाह आठ पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। यह मुकदमा सीबीसीआईडी (क्राइम ब्रांच क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट) के इंस्पेक्टर श्यामदास वर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर लंका थाने में दर्ज कराया है। तत्कालीन इंस्पेक्टर भारत भूषण तिवारी, उपनिरीक्षक प्रद्युमनमणि त्रिपाठी, दरोगा कुंवर सिंह, हेड कांस्टेबल लक्ष्मीकांत मिश्रा, कांस्टेबल ओम कुमार सिंह, शैलेंद्र कुमार सिंह व विजय कुमार यादव और होमगार्ड संतोष कुमार को आरोपी बनाया गया है।
- 13 फरवरी की वो मनहूस रात
इंस्पेक्टर श्यामदास वर्मा के मुताबिक मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के बडग़ड़ी गांव का निवासी शिव कुमार त्रिवेदी बीएचयू के विज्ञान संस्थान में बीएससी का छात्र था। वह छित्तूपुर स्थित एक लॉज में किराये पर कमरा लेकर रहता था। 13 फरवरी 2020 की रात बीएचयू कैंपस स्थित खेल मैदान के पास शिव अकेला गुमसुम बैठा हुआ था। वहां से गुजर रहे एक अन्य छात्र अर्जुन सिंह ने किसी अनहोनी की आशंका से 112 नंबर पर सूचना दे दी। पुलिस रिस्पांस व्हीकल (पिआरवी) आया और शिव को लेकर लंका थाने चला गया। 14 फरवरी को शिव लंका थाने से गायब हो गया तो उसकी खोजबीन शुरू हुई। इंस्पेक्टर श्यामदास वर्मा के अनुसार शिव लंका थाना परिसर से निकल कर ना जाने कैसे रामनगर थाना के कुतुलपुर स्थित यमुना पोखरी पहुंच गया। उसी में डूबने से 15 फरवरी 2020 को उसकी मौत हो गई थी। तब उसकी शिनाख्त नहीं हो पाई थी। यमुना पोखरी में युवक के डूबने की सूचना पाकर शिव के पिता प्रदीप कुमार त्रिवेदी रामनगर थाने पहुंचे तो उन्हें पुलिस कर्मियों ने टरकाते हुए कह दिया था कि शव किसी और का है।
- शुरू हुई थी सीबीसीआईडी जांच
इस प्रकरण को लेकर बीएचयू के पूर्व छात्र एवं एडवोकेट सौरभ तिवारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट के आदेश से प्रकरण की जांच सीबीसीआईडी ने शुरू की। शिव के पिता प्रदीप सीबीसीआईडी के अफसरों को लेकर रामनगर थाने पहुंचे। उन्होंने कहा कि 15 फरवरी 2020 को यमुना पोखरी में जो अज्ञात शव मिला था, उसके सुरक्षित रखे हुए बाल और दांत से उनके डीएनए का मिलान कराया जाए। डीएनए रिपोर्ट आई तो स्पष्ट हुआ कि यमुना पोखरी में जिस युवक का शव मिला था वह शिव ही था।
...तो वह तालाब में नहीं डूबता
सीबीसीआईडी के इंस्पेक्टर श्यामदास वर्मा और चिकित्सकीय विशेषज्ञ के बयान से स्पष्ट है कि शिव मानसिक रूप से अस्वस्थ था। जिस रात वह लंका थाना लाया गया था। वह अपना नाम-पता नहीं बता पा रहा था। ऐसी स्थिति में लंका थाने के पुलिसकर्मियों का यह नैतिक और राजकीय कर्तव्य था कि उसे पर्याप्त चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराते। मगर, ऐसा नहीं किया गया। शिव जब लंका थाने से गायब हुआ तो लंका थाने के पुलिस कर्मियों द्वारा उसे खोजने का प्रयास नहीं किया गया। इस संबंध में सीनियर अफसरों को भी कोई सूचना नहीं दी गई। अगर शिव को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई होती या उसे खोजने का प्रयास तत्काल शुरू किया गया होता तो शायद वह तालाब में ना डूबता। लंका थाने के पुलिस कर्मियों ने अपने कर्तव्यों के निर्वहन में घोर लापरवाही बरती।
- पहले इनकार, फिर स्वीकार
तत्कालीन एसएसपी ने मामले में हस्तक्षेप किया और फिर उन्हें लंका थाने के तत्कालीन इंचार्ज भारत भूषण तिवारी के पास भेजा गया। डॉयल-112 के ड्राइवर ने बताया कि उस रात शिव को लंका थाने के ही हवाले किया गया था। तब पहली बार लंका थाना पुलिस ने माना कि शिव उनकी कस्टडी में था, लेकिन साथ में यह कहते हुए पल्ला भी झाड़ लिया कि उसकी मानसिक स्थिति को देखते हुए सुबह ही छोड़ दिया गया था। पुलिस के रवैये को देखते हुए छात्रों ने सोशल मीडिया पर शिव के लिए मुहिम शुरू की।
- डीएनए जांच कराई गई
सीबीसीआईडी सीआईएस शाखा लखनऊ की आईपीएस सुनिता सिंह की अगुवाई में पुलिस ने 15 फरवरी 2020 को वाराणसी के रामनगर स्थित यमुना तालाब में मिले एक शव का डीएनए टेस्ट कराया। जांच में इसके नमूने शिव के पिता प्रदीप तिवारी से मैच कर गए। इसके बाद अब सीबीसीआईडी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश कर बीएचयू वाराणसी के लापता छात्र की मौत की जानकारी दी है।