रुद्राक्ष, फूलों, फल व मेवे का सेहरा पहनेंगे भोलेनाथ

रुद्राक्ष, फूलों, फल व मेवे का सेहरा पहनेंगे भोलेनाथ
  • चार पहर की आरती में निभाई जाएगी विवाह की पूरी रस्म, नहीं होगी शयन आरती

  • पहले पहर की आरती में द्वारपूजा तो अंतिम पहर की आरती में निभाई जाएगी विदाई की रस्म

वाराणसी (रणभेरी) : द्वादश ज्‍योतिर्लिंगों में से एक श्री काशी विश्‍वनाथ दरबार में महाशिवरात्रि पर्व की परंपराएं भी अनोखे अंदाज में मनायी जाएंगी। इस दौरान श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि पर बाबा की चार पहर आरती होगी। मंदिर के पट 18 फरवरी की भोर खुलेंगे तो 19 फरवरी की रात शयन आरती के बाद बंद होंगे। आरती के दौरान श्रद्धालु बाबा का झांकी दर्शन करते रहेंगे। आस्‍था का रेला रात से ही लगेगा और गंगा तट से बाबा दरबार तक पूरा क्षेत्र हर हर महादेव और हर हर बम बम का जयघोष करता रहेगा। महाशिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ के चारों पहर की आरती में बाबा के विवाहोत्सव की रस्म अदा की जाएगी। पूरी परंपरा सप्तऋषि आरती के अर्चक निभाते है।आरती के प्रधान अर्चक पंडित शशिभूषण त्रिपाठी उर्फ गुड्डू महाराज ने बताया कि बाबा के विवाहोत्सव की तैयारियां पूरी हो गई है। बाबा फूलों, फल और मेवा का सेहरा पहनेंगे। जिसे विशेष रूप से तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि पहले पहर की आरती में द्वारपूजा, दूसरे पहर में जयमाल, तीसरे पहर में सिंधुर दान और चौथे पहर की आरती में विदाई की रस्म अदा की जाएगी। पूरे पूजन-अनुष्ठान में करीब 11 कुंतल फल, दो मन मेवा, फल की माला, इलायची की माला, मेवे की माला, रुदाक्ष का सेहरा, अवाला, मुरब्बा, अमावट, सोना चांदी, इत्र गुलाबजल, धोती, साड़ी, मंगलसूत्र, अबीर बुक्का, 11 प्रकार की मिठाई, हर प्रकार के फूल का माला, ठंडाई और भांग अर्पित किया जाएगा।

आरती का समय

मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि 18 फरवरी को भोर मंगला आरती 2.15 बजे शुरू होगी और 3.30 बजे से दर्शन के लिए पट खुल जाएंगे। मध्याह्न भोग आरती दोपहर 12 बजे से 12.30 बजे तक चलेगी। इसके अलावा खास होगी रात में चार पहर की आरती। पहले पहर की आरती रात्रि 10.50 से शुरू होकर रात 12.30 बजे तक चलेगी। दूसरे पहर की आरती 18-19 फरवरी की मध्य रात्रि 1.20 बजे शुरू होकर 2.30 बजे तक चलेगी। तीसरे पहर की आरती 19 फरवरी की भोर 2.55 से 4.25 बजे तक होगी तो चौथे पहर की आरती 19 की सुबह 4.55 से शुरू होगी और 6.15 समाप्त होगी।

मंगला आरती के 350 टिकट बिके

मंदिर प्रशासन के मुताबिक, महाशिवरात्रि पर बाबा के मंगला आरती में 350 भक्त शामिल होंगे। कुल 350 टिकट की बिक्री हुई है। सीईओ सुनील वर्मा ने बताया कि टिकट बिक्री पर रोक लगा दिया गया है। शिवरात्रि पर प्रत्येक टिकट दर 2001 रूपये रखा गया था। उन्होंने बताया कि मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए मेडिकल टीम मुस्तैद रहेगी साथ ही पेय जल की उपलब्धता रहेगी।

पूरे धाम की पुष्प-मालाओं से हो रही भव्य सजावट

बाबा विश्वनाथ का दरबार उनके विवाह उत्सव के लिए सजाया जा रहा है। पूरे मंदिर परिसर को अशोक, कामिनी के पत्तों और सुगंधित पुष्पों से सजाया जा रहा। विश्वनाथ मंदिर प्रशासन के मुताबिक, 20 कुंतल पुष्प-मालाओं से पूरे धाम की सजावट की जा रही है। रंग-बिरंगे विद्युत झालरों ओर लाइट से सजाया जा रहा। इसके साथ ही काशी के अन्य शिवालय भी सजाए जा रहे। कहीं महाशिवरात्री पर जागरण तो कहीं विविध अनुष्ठान आयोजित होंगे। मान्यता के मुताबिक बाबा विश्वनाथ के विवाह में उनके भक्तों के साथ पूरा देव लोक किसी न किसी रूप में उपस्थित रहता है। 

कलकत्ता के मदार माला की बिक्री

महाशिवरात्रि को देखते हुए कोलकाता से तीन लाख से अधिक मदार की माला फूल मंडियों में पहुंची। बाहर के व्यापारियों ने खरीदारी की। लोकल खरीदार कम दिखे। मदार के साथ ही गेंदा की माला का भाव चढ़ा था। करीब 40 प्रतिशत की तेजी रही। वेलपत्र, धतूरा, कुंद की लर, गुलाब के दाम में 50 प्रतिशत तक की वृद्घि हुई। लगन से भी फूलों में तेजी है। भगवान शिव को फूलों में प्रिय मदार, वेलपत्र व धतुरा भी है। महाराशिवरात्र पर इसकी मांग बढ़ जाती है। बनारस में मदार की फसल तैयार न होने से व्यापारियों ने कोलकाता से मगा रहे हैं। गुरुवार को विभिन्न ट्रेनों से वहां से तीन लाख से अधिक मदार की माली लाई गई। पूर्वांचल के व्यापारियों ने मदार से सहित अन्य फूलों की खरीदारी की। इंग्लिशिया लाइन फूलमंडियों के थोक व्यापारियों का अनुमान है कि शुक्रवार को भी तीन लाख से अधिक मदार की माला कोलकाता से आएगी, जिसे आसपास जिलों में भेजी जाएगी। व्यापारी संतोष पाल, ईश्वरचंद्र व फिरोज विश्वास ने बताया कि शिवरात्रि व लगन से फूलों की मांग बढ़ी है। थोक में बड़ा गेंदा की माला दो से तीन हजार रुपये सैकड़ा, छोटा चार से पांच सौ रुपये सैकड़ा बिकीं। वेलपत्र डेढ सौ और धतूरा ढाई सौ रुपये किलो बिक्री हुई। गुलाब की माला काफी महंगा था। यह तीन से चार हजार रुपये सैकड़ा थी। जबकि गुलाब का फूल तीन सौ रुपये किलो और कुंद की लर चार सौ सैकड़ा बिकी।