वाराणसी में संपन्न हुआ महापर्व छठ : घाटों पर उमड़ा जनसैलाब, उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रतियों ने किया व्रत पारण

वाराणसी में संपन्न हुआ महापर्व छठ : घाटों पर उमड़ा जनसैलाब, उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रतियों ने किया व्रत पारण

(रणभेरी): “हे छठी मईया भूल-चूक माफ करिहअ...” की स्वर लहरियों के बीच मंगलवार की भोर में काशी के घाटों पर श्रद्धा, संयम और भक्ति का अनूठा संगम देखने को मिला। चार दिवसीय महापर्व डाला छठ का समापन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर हुआ। जिले के 157 घाटों पर हजारों व्रती महिलाओं ने घुटने भर पानी में खड़े होकर छठी मईया की आराधना की और 36 घंटे के निर्जला व्रत का पारण किया।

भोर तीन बजे से ही घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। महिलाओं ने सूप में अखंड दीप लेकर, गीत “उग हे सुरुजदेव, भइल अरघ के बेर” गुनगुनाते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देने की तैयारी की। काले बादलों के कारण देर तक सूर्यदेव के दर्शन नहीं हुए, लेकिन सुबह 6:25 बजे जैसे ही सूर्य की लाल किरणें गंगा की लहरों पर पड़ीं, वैसे ही घाटों पर “छठी मईया के जय” और “सूर्य देव की जय” के जयकारों से वातावरण गूंज उठा।

कचहरी घाट, बरियाघाट, पक्काघाट, संकठाघाट, फतहांघाट, नमो घाट, राजघाट और पंचगंगा घाट समेत प्रमुख स्थानों पर हजारों श्रद्धालु परिवार सहित पहुंचे। रात दो बजे से ही व्रती महिलाएं बेदी के पास पहुंचकर पूजा की तैयारी में जुट गई थीं। टोकरी में सजाए गए प्रसाद--केला, नारियल, ठेकुआ, और दीपों की रोशनी से घाटों का दृश्य अद्भुत बना रहा।

नमो घाट और राजघाट पर ढोल-मंजीरे की थाप और पारंपरिक लोकगीतों की गूंज के साथ माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो गया। व्रती महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा धारण कर सूर्यदेव से आरोग्यता और परिवार की समृद्धि की कामना की।

सुरक्षा की दृष्टि से घाटों पर पुलिस बल, गोताखोर दल और नगर निगम की टीमें तैनात रहीं। श्रद्धालुओं ने अर्घ्यदान के बाद एक-दूसरे को पर्व की शुभकामनाएं दीं और छठी मईया के गीत गाते हुए घरों को लौटे। काशी का प्रभात मंगलवार को पूरी तरह भक्ति, आस्था और उल्लास में डूबा नजर आया — गंगा तटों पर सूर्य उपासना का यह दृश्य भक्ति और अनुशासन का अनुपम प्रतीक बन गया।