कार्तिक मास शुरू होते ही गंगा में लगने लगी पुण्य की डुबकी

मास पर्यन्त चलेगा गंगा स्नान, देवदीपावली पर होगा समापन
वाराणसी (रणभेरी): कार्तिक मास के शुरू होते ही गंगा घाटों पर पुण्य की डुबकी लगनी शुरू हो गई है। श्रीहरि को प्रिय श्रीसमृद्धि कामना को समर्पित दिव्य कार्तिक मास का आरंभ वैसे तो मंगलवार को प्रात: 9.34 बजे से हो गया। लेकिन उदया तिथि के अनुसार इसका मान बुधवार को हुआ।
कार्तिक मास में स्नान-दान, यम-नियम-संयम विधान आश्विन पूर्णिमा तिथि में मंगलवार को प्रारंभ हो गया। जो कार्तिक पूर्णिमा पांच नवम्बर तक चलेगा। कार्तिक मास के प्रारंभ होते ही श्रद्धालुओं ने सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निवृत्त होकर हाथों में जल, अक्षत, पुष्प लेकर श्रीहरि का स्मरण कर सम्पूर्ण कार्तिक मास व्रत नियम संयम व दान का संकल्प लिया। साथ ही भगवान विष्णु, तुलसी का पंचोपचार व षोडसोपचार पूजन किया। इससके साथ ही गरीबों व असहायों को दान-पुण्य किया। घाटों के साथ अन्य जगहों पर दीपदान शुरू हो गया है।
प्रख्यात ज्योतिषविद् पं. विमल जैन ने बताया कि कार्तिक मास में भगवान श्रीहरि का पूजन सूर्योदय पूर्व गंगा या फिर नदियों में स्नान के साथ ही तुलसी पूजा व दीपदान करने का विधान है। कार्तिक मास में स्नान-दान की महत्ता है। ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु वृहस्पति को भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना जाता है। जिन लोगों को कुंडली में वृहस्पति अनिष्टकारी हो या इनकी दशा अशुभ चल रही हो उन्हें वृहस्पति जनित दान व कार्तिक मास में श्रीहरि विष्णु को प्रसन्न करने के लिए उनका पूजन व मंत्रों का जाप करना पुण्यकारी होता है।