देवदूत बनकर आए युवक और ग्रामीण, मौत के सामने हारीं चार जिंदगी

 देवदूत बनकर आए युवक और ग्रामीण, मौत के सामने हारीं चार जिंदगी

कासगंज। उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में दर्दनाक हादसा हुआ है। मंगलवार की सुबह गहरे गड्ढे में मिट्टी की ढाय धंसकने से 9 जिंदगियां दब गईं तो आसपास काम कर रहे युवक व ग्रामीण उनके लिए देवदूत बनकर आए। पुलिस के साथ मिलकर युवक व ग्रामीणों ने 9 लोग बाहर निकाल लिए। हालांकि इनमें से 4 जिंदगियां मौत के आगे हार गईं और उन्होंने दम तोड़ दिया।

देवोत्थान एकादशी पर चूल्हे व चौके की मिट्टी से लिपाई-पुताई करने के लिए महिलाएं गड्ढे से मिट्टी निकालने गईं। महिलाओं के मिट्टी की ढाय में दबने का जैसे ही शोर मचा। वैसे ही गांव रामपुर व कातौर में हलचल मच गई। सभी ग्रामीण व युवक मौके की ओर भाग लिए।  कुछ ग्रामीण और युवक यहां आसपास ही काम भी कर रहे थे। इन्होंने फावड़ों व हाथों से मिट्टी को हटाना शुरू कर दिया। इसी दौरान मोहनपुरा चौकी इंचार्ज भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने भी युवकों की मदद करना शुरू किया।  गांव मोहनपुरा के प्रधान प्रतिनिधि राजेंद्र कुमार ने मिट्टी हटवाने के लिए जेसीबी भी मंगवाईं। इन लोगों ने ही निजी गाड़ियों से सभी 9 लोगों को गंभीर हालत में अस्पताल भिजवाया। जहां इनमें से तीन महिला व एक बालिका अपनी जिंदगी से हार गईं और उन्होंने दम तोड़ दिया।

गांव में पसर गया सन्नाटा, गलियां हुईं सूनी, गूंज रहा करुण क्रंदन

गांव रामपुर में मंगलवार को भी प्रतिदिन की तरह सुबह हुई। चिड़ियों के चहचहाने के साथ ही ग्रामीणों की भोर में आंखें खुलीं। महिलाएं काम कर रही थीं। बच्चे भी खिलखिलाते हुए घूम रहे थे। तब तक ग्रामीणों को इस बात का बिलकुल अंदाजा नहीं था कि थोड़ी ही देर में गांव में मातम छा जाएगा। सुबह करीब 7 बजे जैसे ही ग्रामीणों को महिला व बच्चों के मिट्टी में दबने की जानकारी मिली। सभी घटनास्थल की ओर दौड़ लिए। घटना में तीन महिला व एक बालिका की मौत होने के बाद गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया। गांव की गलियां सूनी हो गईं। मृतक परिवारों में करुण-क्रंदन शुरू हो गया। गांव में हर ग्रामीण की आंखें नम हो गईं।
राष्ट्रीय राजमार्ग 530-बी की निमार्णाधीन पुलिया के निकट खोदे गए गड्ढे से करीब 4: 30 बजे से ही कई महिलाएं व बच्चे मिट्टी ला रहे थे। यह क्रम चल ही रहा था कि सुबह पौने सात बजे करीब अचानक ही गड्ढे में मिट्टी की ढाय धंसक गई। जैसे ही ग्रामीणों को जानकारी मिली तो गांव में मातम छा गया। गांव की गलियां सूनी हो गईं। मृतक परिवारों में मौजूद महिलाओं व बच्चों का करुण-क्रंदन शुरू हो गया। करुण-क्रंदन में महिलाओं व बच्चों को रोते देख गांव में मौजूद ग्रामीणों की आंखे भर आईं। हर व्यक्ति की जुबां पर घटना को लेकर ही चर्चा थी।

प्रेमादेवी व सरस्वती को सूरत से मौत खींच लाई

गांव रामपुर में मिट्टी की ढाय धंसने से मृत सरस्वती पत्नी रघुवीर व प्रेमादेवी पत्नी गंगा प्रसाद आपस में देवरानी-जेठानी हैं। रघुवीर व गंगा प्रसाद वर्षों से सूरत में हीरा तराशने की कारीगरी करते हैं। वह दीपोत्सव के पर्व दिवाली मनाने के लिए घर आए थे। परिजन ने बताया कि रघुवीर तो कई वर्ष बाद इस बार दिवाली पर अपने परिवार के साथ आया था। परिवार में ही 23 नवंबर को युवती की शादी थी। इसे करने के बाद पूरा परिवार वापस जाने वाला था, लेकिन इससे पहले ही यह घटना घटित हो गई।

पिंकी की मां पहले ही हो गई थी खत्म

हादसे में अपनी जान गंवाने वाली पिंकी (11) की मां की करीब 3 वर्ष पूर्व मौत हो गई थी। गांव में मिले पिंकी के बाबा घनश्याम ने रोते हुए बताया कि मंगलवार की सुबह उसके परिवार से कोई भी मिट्टी लेने नहीं गया था लेकिन पिंकी खुद ही गांव की अन्य महिलाओं के साथ मिट्टी लेने चली गई। कहा कि उन्होंने मना भी किया था कि बेटा तू रहने दे, लेकिन वो मानी नहीं। क्या पता था कि मिट्टी लेने गई उनकी नातिनी मिट्टी में दबकर मिट्टी में मिलकर ही लौटेगी।