मऊ सीट पर सपा से ज्यादा BJP की टेंशन, मुख्तार अंसारी की सियासी विरासत पर संकट

मऊ सीट पर सपा से ज्यादा BJP की टेंशन, मुख्तार अंसारी की सियासी विरासत पर संकट

मऊ। जिले की सदर विधानसभा सीट को बीते ढाई दशक से पूर्वांचल की सबसे हॉट सीट का दर्जा प्राप्त है। 1996 से 2022 तक इस सीट पर बाहुबली मुख्तार अंसारी का कब्जा रहा है। 1980 में भाजपा के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक मऊ सदर में कमल नहीं खिला।

चुनावी आंकड़ों को देखें तो भाजपा यहां दूसरे नंबर पर रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन से अल्ताफ अंसारी इस सीट से मैदान में उतरे थे लेकिन उन्हें तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था। भाजपा-सुहेलदेव पार्टी के गठबंधन प्रत्याशी को दूसरा स्थान मिला था। इस सीट पर मुख्तार अंसारी के दबदबे की बात करें तो वह 1996 से 2022 तक 5 बार विधायक रहा। 
मुख्तार अंसारी पहली बार 1996 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट से चुनाव जीता था। 2002 और 2007 में निर्दलीय चुनाव जीतने में सफल रहा। चौथी बार 2012 में कौमी एकता दल के टिकट पर चुनाव लड़कर जीता था। 2017 में उसने बहुजन समाज पार्टी का दामन थामा और मऊ सदर सीट से विजेता बना था।
सदर सीट पहले कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ थी। यहां के मतदाताओं ने कम्युनिस्ट पार्टी, कांग्रेस, जनता पार्टी, बसपा और निर्दल को भी मौका दिया है, लेकिन भाजपा को हमेशा ही निराशा हाथ लगी है। हालांकि भाजपा कमल खिलाने के लिए कई प्रयोग कर चुकी है।

मुस्लिम वोट बनते हैं जीत का आधार

मऊ सदर विधानसभा में जीत का सबसे बड़ा आधार मुस्लिम मत होता है। वर्ष 2022 के आंकड़ों के अनुसार सदर विधानसभा के जातिगत समीकरण में मुस्लिम मतों की संख्या करीब 1.70 लाख है। अनुसूचित जाति 91 हजार, यादव 45 हजार, राजभर 50 हजार तो चौहान मतों की संख्या 45 हजार के करीब है। क्षत्रिय मतों की संख्या करीब 20 हजार तो ब्राह्मण मत सात हजार के करीब हैं। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 4,77,298 है। इसमें पुरुष 251781 जबकि महिला 2,25,487 है।