सनबीम मालिकान पर क्यों है सरकार मेहरबान?
- जनता बार बार पूछ रही सवाल, स्कूल प्रबंधक पर कार्रवाई के नाम पर क्यों मौन है प्रशासन ?
- स्कूल प्रशासन पर भी कार्रवाई को लेकर तमाम संगठन, समाजसेवी और आम जनता उठा रही मांग,
- सोशल मीडिया पर भी लोग उठा रहे सवाल, स्कूल प्रबंधक के खिलाफ करवाई कब ?
- सनबीम स्कूल प्रबंधन पर फूटा अभिभावकों का गुस्सा
- सैकड़ों की संख्या में अभिभावक पहुंचे लहरतारा ब्रांच, प्रिंसिपल के इस्तीफे की उठाई मांग
- बोले अभिभावक- सात सूत्री मांग पर गोल-गोल घुमा रहे चेयरमैन
वाराणसी (रणभेरी): सनबीम स्कूल लहरतारा में स्वीपर द्वारा कक्षा 3 की छात्रा से दुष्कर्म के बाद पूरे काशीवासियों में आक्रोश है। सोशल मीडिया से लेकर हर जगह स्कूल प्रशासन पर भी कार्रवाई की मांग तूल पकड़ने लगी है। स्कूल प्रशासन पर कार्रवाई की मांग को लेकर अधिवक्ताओं में भी आक्रोश है। सोमवार को बनारस बार महामंत्री विवेक सिंह सहित सैकडों अधिवक्ताओं ने कचहरी परिसर में धरना प्रदर्शन किया। बता दें कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के जानेमाने स्कूल सनबीम लहरतारा में कक्षा 3 की 9 वर्षीय मासूम बेटी के साथ ऐसी दरिंदगी का मामला सामने आया जिसने बनारस को कलंकित और शर्मसार किया। इस शर्मनाक घटना से लोगों में काफी आक्रोश है। लोग लगातार यह सवाल पूछ रहे है कि आखिर जिला प्रशासन की ऐसी कौन सी मजबूरी है जो स्कूल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई करने से परहेज कर रही ? क्या स्कूल प्रबंधन के रसूख और ऊंची पकड़ के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो रही ? सुविधा और सुरक्षा के नाम पर अभिभावकों की जेब ढ़ीली करने वाले विद्यालय में सुरक्षा के प्रति लापरवाही क्यों बरती गई ? गर्ल्स वॉशरूम में मेल स्वीपर क्या कर रहा था ? ऐसे तमाम सवाल लोगों के जुबान पर है जो स्कूल प्रशासन को भी इस घटना में जिम्मेदार मानती है।
- गोल्डन जुबली मनाने पर भी उठ रहे सवाल
शुक्रवार को सनबीम लहरतारा में स्वीपर द्वारा कक्षा 3 की बच्ची के साथ किए दुराचार की खबर से एक तरफ जहां पूरा शहर आहत था, न्याय की मांग कर रहा था वहीं विद्यालय प्रशासन अपनी दूसरी शाखा में गोल्डेन जुबली का जश्न मना रहा था। जिसको भी इसके बारे में जानकारी हुई, सभी ने जमकर विद्यालय प्रबंधक की निंदा की। लोग विद्यालय प्रबंधक के इस हरकत को गैरजिम्मेदाराना और अमानवीय हरकत मान रहे। सत्ता के करीबी होने के कारण भी इतने विरोध के बाद प्रशासन विद्यालय के खिलाफ कोई भी एक्शन लेने से परहेज कर रही है।
लहरतारा स्थित सनबीम स्कूल में 9 साल की बच्ची से दुराचार के बाद अभिभावकों का गुस्सा चरम पर हैं। अभिभावकों का गुस्सा लाजमी हैं क्यूंकि विद्यालय के अंदर अगर दुष्कर्म हो तो इससे बड़ी शर्मनाक बात क्या होगी। सोमवार को सुबह स्कूल खुलते ही बच्चे नहीं, बल्कि उनके पैरेंट्स ने कक्षा में हाजिरी लगाई। 200 से अधिक अभिभावक गुस्से में स्कूल प्रबंधन के लोगों और प्रिंसिपल के इस्तीफे की मांग कर रहे थे। काफी देर तक स्कूल के गेट नहीं खोले गए, तो बड़ी संख्या में पैरेंट्स स्कूल के बाहर प्रबंधन के विरोध में जोर-जोर से नारे लगाने लगे।
मौके पर पहुंचे सनबीम ग्रुप के चेयरमैन दीपक मधोक से लोग संतुष्ट नहीं हुए। पैरेंट्स ने कहा कि दीपक मधोक ने उनकी मांगों पर कोई ठोस जवाब न देकर केवल गोल-गोल घुमाया। अभिभावकों की भीड़ इतनी अधिक हो गई थी कि विद्यालय में तैनात सुरक्षा कर्मियों के भी पसीने छूट गए। इस दौरान उनकी विद्यालय प्रबंधन से जमकर नोकझोंक भी हुई। इधर अभिभावकों की भीड़ से विद्यालय के सामने सड़क पर आवागमन भी बाधित रहा। विद्यालय प्रबंधन पहले लोगों को अंदर जाने से मना कर रहा था, बाद में बच्चों का आई कार्ड देख कर अंदर ले जाया गया और विद्यालय के हाल में सभी अभिभावकों को बिठाया गया। इस दौरान विद्यालय प्रबंधन और अभिभावकों के बीच घंटों बातचीत भी हुई, जिसमें अभिभावकों ने स्कूल को बच्चों की देखरेख में लापरवाही बरतने को जिम्मेदार बताया। उनका कहना था कि स्कूल आने के बाद बच्चों के देखरेख, सुरक्षा आदि की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की होती है। निश्चित ही इस घटना में जिस तरह से लापरवाही बरती गई है, वह ठीक नहीं है।
हालांकि इस दौरान बार-बार स्कूल प्रबंधन की ओर से आरोपी पर कार्यवाही और भविष्य में इस तरह की घटना ना होने की दुहाई दी जाती रही लेकिन अभिभावकों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा था। लोगों का कहना है कि एक बच्ची के साथ इतना जघन्यतम अपराध स्कूल में हो गया और इन लोगों पर अभी तक कोई प्रशासनिक कार्रवाई नहीं हुई है। पुलिस प्रशासन से लेकर शहर के रसूखदार लोग स्कूल प्रबंधन को बचाना चाहते हैं। आखिरकार स्कूल प्रबंधन से चिट्ठी में जवाब मांगने के बजाय पुलिस रिमांड पर क्यों नहीं लेती। गार्जियंस ने हस्ताक्षर किया हुआ अपना 7 सूत्रीय एजेंडा भी स्कूल प्रबंधन को थमाया।
- सिर्फ नोटिस देकर छोड़ दिया प्रशासन
अभिभावकोें का कहना है कि इस मामले की जांच एसआईटी के हवाले है। डीसीपी वरुणा जोन विक्रांत वीर इस मामले की जांच कर रहे हैं। मगर आज चौथा दिन है अभी तक स्कूल के जिम्मेदारों को नोटिस देकर छोड़ दिया गया है। लड़कियों के टॉयलेट में पुरुष स्वीपर क्या कर रहा था। स्कूल में कितने महिला-पुरुष स्टाफ हैं और उनका बैकग्राउंड क्या है, इसका जवाब स्कूल मैंनेजमेंट से क्यों नहीं लिया जा रहा है।
- अभिभावकों ने एजेंडा में रखी सात मांगे
- स्कूल के प्रिंसिपल से तत्काल इस्तीफा लिया जाए।
- घटना के दिन स्कूल की दूसरी शाखा में गोल्डेन जुबली मनाए जाने जैसी कृत्य पर माफी मांगी जाए।
- सभी स्टाफ के कार्ड और आईडी फिर से चेक किए जाएं
- स्कूल में सीसीटीवी सर्विलांस बनाई जाए। वहीं एक अलग स्टाफ नियुक्त करके अंदर चल रही गतिविधियों की इससे पूरे स्कूल टाइमिंग में मॉनिटरिंग हो।
- गर्ल्स वाशरूम में केवल महिला स्वीपर ही काम करे।
- कोई भी स्वीपर या चपरासी गर्ल्स वाशरूम के आसपास न जाए।
- वाशरूम में जब साफ-सफाई चल रही हो तो बाहर नोटिस बोर्ड लगाया जाए कि वाशरूम में साफ-सफाई चल रही है कोई स्टूडेंट अंदर न आए।