वाराणसी के लाल ने CWG में जीता ब्रांज मेडल, पिता बोले- 'मेरे लाल का कांस्य देश के माथे पर सोने से भी तेज चमक रहा है'
वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी के सुलेमानपुर गांव में आज जश्न का माहौल है। सपूत विजय यादव ने कल बर्मिंघम कॉमनवेल्थ में 60 किलाेग्राम भार वर्ग में ब्रांज फतेह किया है। देश को कांस्य पदक दिलाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर विजय को बधाई भी दी थी। आज घर पर बधाईयां देने वाले लोगों और स्थानीय नेताओं का तांता लगा हुआ है। टोला-मोहल्ला के लोग ढोल-नगाड़ों और डीजे पर राष्ट्रीय ध्वज लगाकर नाच-गा रहे हैं। दोस्तों में मिठाईयां बट रहीं हैं। विजय ने सोमवार देर रात बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स के क्वार्टरफाइनल राउंड से बाहर होकर रेपचेज राउंड में ब्रांज मेडल जीता है। उन्होंने साइप्रस के पेट्रोस को हराकर यह उपलब्धि हासिल की है। विजय ने महज 58 सेकेंड में ही गेम जीत लिया था।
बेटे के पदक पर उनकी मां चिंता देवी ने कहा- 'बहुत खुशी हो रही है। मेरा बेटा बचपन से ही बहुत मेहनत करता आया है। वे ऐसे ही बहुत आगे बढ़े और देश का और हमारा नाम रोशन करे'
वहीं, विजय के पिता दशरथ यादव ने भी अपने भाव व्यक्त किए- 'पहले मैं लोहे के कारखाने में काम करता था लेकिन पैरालिसिस होने के बाद मैंने वो काम छोड़ दिया और अब मैं गाड़ी चलाकर अपने परिवार का जीवन चला रहा हूं। मेरे दो बच्चे हैं, सरकार हमारी मदद करे तब हमारे लड़के आगे बढ़ पाएंगे। शुरुआत बहुत कठिन थी, वो कभी पैदल, साइकिल से आता-जाता था, मेरे बेटे ने बहुत मेहनत की है। उसने 2 एशियन और 4 नेशनल में स्वर्ण पदक जीता है। वह करीब 2015 से नेशनल में स्वर्ण पदक जीत रहा है। पिता दशरथ यादव और मां चिंता देवी ने कहा कि मेरा बेटा तो लंबे समय से देश के लिए तपस्या कर रहा था। आज बेटे की तपस्या सफल हो गई और उसको फल मिल गया। यह तो अभी शुरुआत है, उसको अभी और आगे जाना है।