वाराणसी: बीएचयू में पीएचडी शोध छात्रों का धरना, स्थानांतरण और आरक्षण उल्लंघन का आरोप

वाराणसी:  बीएचयू में पीएचडी शोध छात्रों का धरना, स्थानांतरण और आरक्षण उल्लंघन का आरोप

वाराणसी (रणभेरी): काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के इतिहास विभाग के पीएचडी शोध छात्रों ने सोमवार को विश्वविद्यालय के केंद्रीय कार्यालय के मुख्य द्वार पर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। धरने पर 13 शोध छात्र बैठे हैं, जो अपने साथ कथित अनियमितताओं और अन्याय के विरोध में आवाज उठा रहे हैं।

शोध छात्रों का आरोप है कि पीएचडी में प्रवेश के दौरान उनसे मुख्य परिसर (मेन कैंपस) में ही शुल्क जमा कराया गया और सभी आवश्यक दस्तावेज भी केंद्रीय कार्यालय में लिए गए। इसके बावजूद अब उन्हें संबद्ध कॉलेजों में स्थानांतरित किया जा रहा है। छात्रों का कहना है कि यह न केवल उनके साथ छल है, बल्कि आरक्षण नियमों का उल्लंघन भी है, जो समानता और सामाजिक न्याय के अधिकारों के विपरीत है।

छात्रों के अनुसार, बीते करीब दस महीनों से उन्हें विभाग, डीआरसी (डिपार्टमेंटल रिसर्च कमेटी) और प्रशासनिक कार्यालयों के बीच लगातार चक्कर लगवाए जा रहे हैं। इससे वे मानसिक रूप से परेशान हैं। आरोप लगाया गया कि विभागाध्यक्ष और डीआरसी की मिलीभगत से जानबूझकर उन्हें मुख्य परिसर से बाहर भेजने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।

धरना दे रहे शोधार्थियों ने सवाल उठाया कि जब प्रवेश, शुल्क जमा और दस्तावेजी प्रक्रिया मुख्य परिसर में हुई, तो अब उन्हें कॉलेजों में स्थानांतरित क्यों किया जा रहा है। उनका कहना है कि प्रस्तावित कॉलेजों में न तो पर्याप्त शैक्षणिक वातावरण है, न ही लाइब्रेरी जैसी मूलभूत सुविधाएं। इसके अलावा, छात्रवृत्ति व्यवस्था भी संतोषजनक नहीं होने से उनके शैक्षणिक भविष्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

छात्रों ने बताया कि उन्होंने अपनी मांगों को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन को कई बार पत्र लिखे और व्यक्तिगत रूप से भी अपनी बात रखी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी मांगें जायज हैं और वे केवल अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं।

शोध छात्रों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगों पर न्यायसंगत और ठोस निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक धरना जारी रहेगा। देर रात तक केंद्रीय कार्यालय के सामने धरना चलता रहा, जिससे विश्वविद्यालय परिसर में हलचल बनी रही। अब सभी की नजरें विश्वविद्यालय प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं।