‘येलो स्पॉट मुक्त काशी’ के दावों को मुंह चिढ़ा रहा दशाश्वमेध का अगस्तकुंडा गली
- खुला में शौचालय, स्वच्छता अभियानों की खोल रही पोल, जिम्मेदार नदारद
- विश्वप्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट से सटी गली में बहता पेशाब, असहनीय बदबू और डर का माहौल
- विरोध करने पर महिलाओं से बदसलूकी, गाली-गलौज और धमकी; बच्चे-बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित
वाराणसी (रणभेरी): प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र और स्वच्छ भारत अभियान के मॉडल शहर कहे जाने वाली काशी में स्वच्छता के दावे कितने खोखले हैं, इसकी बानगी दशाश्वमेध घाट से सटी अगस्तकुंडा गली में साफ देखी जा सकती है। विश्वप्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट के साये में स्थित यह गली इन दिनों खुले शौचालय में तब्दील हो चुकी है। दिन-रात गली में खुले में पेशाब, बदबू और असुरक्षा का ऐसा माहौल है कि स्थानीय लोगों का जीना मुहाल हो गया है। दशाश्वमेध रोड से जुड़ी अगस्तकुंडा गली में हालात इतने बदतर हैं कि पेशाब का गंदा पानी गली में लगातार बहता रहता है। दीवारें सीलन और बदबू से भर चुकी हैं और पूरे इलाके में दुर्गंध फैली रहती है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि राह चलते लोग बेखौफ होकर गली के किनारे, दीवारों पर और यहां तक कि खड़ी गाड़ियों पर भी पेशाब कर देते हैं। कई वाहन मालिकों ने बताया कि उनकी कारों और दोपहिया वाहनों के बोनट, टायर और बॉडी तक खराब हो चुके हैं।
स्थिति का सबसे भयावह पहलू महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा है। मोहल्ले की महिलाओं का आरोप है कि जब वे इस गंदगी का विरोध करती हैं या लोगों को मना करती हैं, तो उल्टे गाली-गलौज, अश्लील टिप्पणियां और धमकियां दी जाती हैं। “गली तोरे बाऊ का है का” जैसे शब्द बोलकर माहौल को डरावना बना दिया जाता है। इसके चलते कई महिलाएं अकेले बाहर निकलने से कतराने लगी हैं। बच्चों को बिना जरूरत घर से बाहर जाने से रोका जा रहा है, जिससे उनका सामान्य जीवन प्रभावित हो रहा है।
लगातार गंदगी के कारण मच्छर-मक्खियों का प्रकोप बढ़ गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बच्चों के बीमार पड़ने की घटनाएं बढ़ी हैं और संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है। दुकानदारों को बदबू के चलते कई बार दरवाजे-खिड़कियां बंद रखनी पड़ती हैं, जिससे कारोबार भी प्रभावित हो रहा है। यह समस्या केवल असुविधा की नहीं, बल्कि आम नागरिकों की गरिमा, स्वास्थ्य और सुरक्षित जीवन पर सीधा हमला है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह इलाका वाराणसी के सबसे व्यस्त और संवेदनशील पर्यटन क्षेत्रों में शामिल है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक दशाश्वमेध घाट के आसपास इसी रास्ते से गुजरते हैं। इसके बावजूद नगर निगम और प्रशासन की उदासीनता साफ झलकती है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि उन्होंने नगर निगम, वार्ड पार्षद और पुलिस चौकी में कई बार शिकायत की, लेकिन न तो खुले में पेशाब करने वालों पर सख्त कार्रवाई हुई और न ही कोई स्थायी समाधान निकला।
उधर नगर निगम ‘येलो स्पॉट मुक्त काशी’ अभियान के तहत 110 चिन्हित स्थलों पर कार्रवाई के दावे कर रहा है। सफाई, पेंटिंग, स्लोगन, गमले और जुर्माने की बातें कही जा रही हैं, लेकिन अगस्तकुंडा गली की हालत इन दावों की सच्चाई उजागर कर रही है। सवाल यह है कि जब दशाश्वमेध जैसे प्रमुख क्षेत्र के पास यह हाल है, तो बाकी शहर की स्वच्छता व्यवस्था का क्या हाल होगा ! मोहल्लेवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि अगस्तकुंडा गली की समस्या को गंभीरता से लिया जाए। उनका कहना है कि यह सिर्फ गंदगी नहीं, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा, बच्चों के स्वास्थ्य और नागरिक सम्मान से जुड़ा मुद्दा है। यदि जल्द ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो वे इस मुद्दे को उच्च अधिकारियों और जनसुनवाई मंचों तक ले जाएंगे। अब देखना यह है कि नगर निगम के स्वच्छता अभियान जमीन पर उतरते हैं या फिर ये केवल कागजी दावे बनकर रह जाएंगे।











