मां के आंगन में बही भक्ति की बयार

मां के आंगन में बही भक्ति की बयार

वाराणसी (रणभेरी सं.)। शहर के अधिसंख्य बंगीय पंडालों में मंगलवार को बोधन- अधिवास के साथ माता का काशी प्रवास शुरू हो गया। बंगीय पूजा पंडालों में बोधन के विधान सायंकाल पूर्ण किए गए। मुहूर्त के अनुसार कुछ पंडालों में मध्यरात्रि के बाद से ब्रह्म मुहूर्त के मध्य आमंत्रण एवं अधिवास के विधान पूर्ण कर पूजा-अर्चना की गई। भारत सेवाश्रम संघ, रामकृष्ण मिशन, वाराणसी दुर्गोत्सव सम्मिलनी में बोधन, आमंत्रण, अधिवास बुधवार को एक साथ होगा। काशी को मिनी बंगाल क्यों कहा जाता है, इन दिनों यह बाहरी पर्यटकों को भी समझ आने लगा है। शहर के दक्षिणी इलाकों में स्थित बंगीय पूजा पंडालों में सायंकाल जंगमबाड़ी, पांडेय हवेली, भेलूपुर, सोनारपुरा और शिवाला क्षेत्र में चंडी पाठ के स्वर मुखर हुए। जगह-जगह की गई आकर्षक विद्युत सज्जा माहौल को उत्सवी रूप दे रही है। ईगल क्लब, जिम स्पोर्टिंग क्लब, शारदोत्सव संग, काशी दुर्गोत्सव समिति, काली बाड़ी, दुर्गाचरण गर्ल्स इंटर कॉलेज, अकाल बोधन, पांडेय धर्मशाला के पूजा पंडालों में शंख और उलू ध्वनि मुखर होती रही। कुछ पंडालों में प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया। धार्मिक अनुष्ठानों के साथ सामाजिक संदेश भी इन पंडालों से प्रचारित हो रहे हैं। भेलूपुर के शारदोत्सव संघ से 'सेव द वर्ल्ड फ्रॉम प्लास्टिक मॉस्टर्स' के स्लोगन के साथ काशी के घाटों का दृश्य आकर्षण का केंद्र है। ईगल क्लब के पूजा पंडाल में देवी का बोधन हुआ। भेलूपुर स्थित जिम स्पोर्टिंग क्लब के पंडाल में विविध अनुष्ठान किए गए। शाम को भगीरथ जालान का उपशास्त्रीय गायन हुआ।

दर्शन को उमड़े भक्त 

शारदीय नवरात्र में देवी के नौ रूपों का दर्शन-पूजन करने के लिए दर्शनार्थियों का हुजूम उमड़ पड़ा है। हथुआ मार्केट से लेकर जैतपुरा, बाबा मच्छोदरानाथ में भक्तों की भारी भीड़ रही। जगमग करते पंडाल और मां की भव्य प्रतिमा के आगे शीश नवाते रहे। शाम 6 बजे से भक्तों का रेला देर रात तक सड़कों पर उमड़ा रहा। हर ओर दुर्गा चालिसा व दुर्गा स्तुति के धीर-गंभीर स्वर मुखरित होते रहे तो घंट-घडि?ाल और जयकारा से प्रांगण रह-रहकर गूंजता रहा। मंगला आरती के पश्चात मंदिर के गर्भगृह का कपाट खुला। कपाट खुलते ही दर्शन का क्रम शुरू हो गया। पुष्प, नारियल, चुनरी अर्पित कर धूप व कपूर से श्रद्धालुओं ने माता रानी की आरती उतारी। इस दौरान मां के जयकारे से मंदिर प्रांगण गुंजायमान रहा। गर्भगृह में मइया रानी की पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालु शीश नवाकर आशीष मांगते। किसी ने मन्नतों की चुनरी चढ़ाई तो किसी ने झोली फैलायी।

भक्ति में रहे लीन

मंदिर में दर्शनार्थियों में प्रसाद भी वितरित किया गया। मंदिर से लेकर मुख्य मार्ग तक माला-फूल और प्रसाद की अस्थाई दुकानें जगह-जगह लगी रहीं। स्कंदमाता मंदिर के अलावा अन्य देवी मंदिरों में भी आदि शक्ति की पूजा-अर्चना में वृद्ध-युवा और महिलाएं व युवतियां सभी लीन रहे। दिन चढ?े के साथ धूप की तल्खी व्रतधारी महिला-पुरुष श्रद्धालुओं को सताती रही। बावजूद इसके मंदिरों में दर्शन करने के सभी उमड़े रहे। नवदुर्गा मनोकामना सिद्धि मंदिर, चौस_ी मंदिर, संकठा मंदिर, महिषासुर मर्दिनी मंदिर और नवदुर्गा मंदिर (भदैनी) सहित नगर के विभिन्न दुर्गा मंदिरों में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।

रंगबिरंगी रोशनी से नहाया शहर

शहर के अधिकतर हिस्से रंगबिरंगी रोशनी से जगमगाने लगे हैं। दुगार्पूजा पंडालों के आसपास के इलाकों को दुल्हन की तरह सजाया गया है। जगतगंज में की गई लाइटिंग में तरह-तरह की जगमग करती आकृतियां बच्चों को लुभा रही हैं। वहीं अन्य पूजा पांडालों में प्रयोगवादी सज्जा की गई है। कहीं कपड़ों के सफेद गुब्बारों में रंगीन लाइटें लगाई गई हैं तो कहीं बांस की छोटी-छोटी डलिया को दोनों ओर से जोड़ कर झूमर का रूप दिया गया है। जगतगंज में बंगाल के चंदन नगर की विद्युत सज्जा आकर्षण का केंद्र है।

सभी पंडालों में लाई गईं प्रतिमाएं

शहर में उत्तर भारतीय पद्धति से पूजन करने वाले पूजा पंडालों में मंगलवार की शाम तक देवी की प्रतिमाएं लाई जा चुकी थीं। देवनाथपुरा से सोनारपुरा के बीच मौजूद तीन प्रमुख प्रतिमा कारखानों से दुर्गा प्रतिमाएं ले जाने का क्रम रात में भी जारी रहा। बागहाड़ा गली में उखड़े चौकों को सीमेंट से जोड़ने का काम देर शाम तक किया गया।

नवदुर्गा'- 'महिषासुर मर्दनी' से बिखरी आध्यात्मिक छटा

कबीरचौरा स्थित नागरी नाटक मंडली में मंगलवार को सांस्कृतिक कार्यक्रम 'नारायणी' का आयोजन हुआ। महिलाओं ने 'नव दुर्गा' और निवेदिता शिक्षा सदन की 15 छात्राओं ने नृत्य नाटिका 'महिषासुर मर्दनी' से आध्यात्मिक छटा बिखेरी। संगीत परिषद और सप्तक की ओर से इस कार्यक्रम को देश की सभी अभया तथा तिलोत्तमा को समर्पित किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. सुधा सिंह ने कहा कि प्रत्येक महिला में मां दुर्गा के नौ रूप विद्यमान हैं। सप्तक संस्था की 40 महिलाओं ने नौ देवी की स्तुति और भजन को नौ रागों में प्रस्तुत किया।  भजनों से वातावरण भक्तिमय हो गया। इस मौके पर शहर के अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। संचालन सौरभ चक्रवर्ती और धन्यवाद ज्ञापन आरती अग्रवाल ने किया।

पंडाल में विराजमान हुई माता की प्रतिमा

वाराणसी (रणभेरी सं.)। श्री श्री दुर्गा पूजा समिति शिवपुर (मिनी स्टेडियम) में  दुर्गा पूजा पंडाल को प्रेम मंदिर की आकृति प्रदान की गई है। दुर्गा पूजा समिति के संगठन मंत्री रोहित केशरी और नवीन प्रधान ने बताया कि इस बार वृंदावन में बने प्रेम मंदिर के तर्ज पर पंडाल का निर्माण किया गया है।जिसे बंगाल से आए 35 कारीगरों द्वारा लगभग डेढ़ माह के अथक परिश्रम द्वारा बनाया गया है। पंडाल की ऊंचाई 80 फीट और चौड़ाई 120 फिट है जिसमें 15 फीट ऊंची मां दुर्गा की प्रतिमा शांत मुद्रा में मंच पर विराजमान हैं। नवीन प्रधान और रोहित केशरी ने बताया कि विसर्जन 14 सितंबर को होगा।नवरात्रि के सातवें दिन मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़

वाराणसी (रणभेरी सं.)। आज शारदीय नवरात्रि की सप्तमी है। पौराणिक मान्यता के अनुसार आज देवी कालरात्रि के दर्शन-पूजन का विधान है। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में चौक क्षेत्र की कालिका गली में कालरात्रि देवी का मंदिर है। भोर से ही कालरात्रि देवी के दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं की कतार लगी हूई है। कालिका गली जय माता दी और जय कालरात्रि मां के उद्घोष से गूंज रही है। मां कालरात्रि का भोर में पंचामृत स्नान के बाद अड़हुल, गेंदा और गुलाब के फूलों से भव्य श्रृंगार किया गया। मंगला आरती के बाद माता के मंदिर का पट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया गया। श्रद्धालुओं ने नारियल और चुनरी का प्रसाद चढ़ाकर माता से सौभाग्य की कामना की। मंदिर के महंत ने बताया कि नवरात्रि के सातवें दिन शक्ति की अधिष्ठात्री मां जगदंबा के सप्तम स्वरूप कालरात्रि के दर्शन पूजन का विधान है। काल का विनाश करने की शक्ति के कारण इन्हें कालरात्रि कहा गया। देवी कालरात्रि का स्वरूप विकराल है लेकिन अत्यंत शुभ है। मान्यता है कि देवी कालरात्रि अकाल मृत्यु से बचाने वाली और भय बाधाओं का विनाश करने वाली हैं। शहर के पंडालों में आज से दुर्गा प्रतिमाओं के पट श्रद्धालुओं के दर्शन-पूजन के लिए खोल दिए जाएंगे। आज पंडालों में नौ पत्रिका पूजन और प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। मिनी बंगाल कहलाने वाली काशी में बोधन के साथ बंगाली समुदाय ने भी मां की पूजा शुरू कर दी है। रंग-बिरंगी रोशनी से जगमग पंडालों की आभा देखते ही बन रही है