कम हुई भेड़ियों की गुर्राहट...बकरे के बाद भाने लगा चिकन भी- बहराइच से रेस्क्यू कर लाया गया था

कम हुई भेड़ियों की गुर्राहट...बकरे के बाद भाने लगा चिकन भी- बहराइच से रेस्क्यू कर लाया गया था

गोरखपुर। बहराइच से एक नर और एक मादा भेड़िए को रेस्क्यू कर शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान  बहराइच से लाकर गोरखपुर चिड़ियाघर के रेस्क्यू सेंटर में रखे गए भेड़ियों के व्यवहार में अब परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। एक भेड़िए को तो तीन हफ्ते से ज्यादा समय हो गया है। उसकी गुर्राहट भी अब कम हो गई है। वहीं, दोनों भेड़ियो को बकरे के साथ ही मुर्गे के मीट में भी स्वाद आने लगा है।

बहराइच से एक नर और एक मादा भेड़िए को रेस्क्यू कर शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान के रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है। ये दोनों भेड़िए फिलहाल क्वारंटीन सेल में हैं। ऐसा कहा जा रहा था कि बहराइच में ये दोनों इंसानों पर हमलावर हुए थे। इसलिए पूरी तरह शांत होने तक इनको क्वारंटीन सेल में ही रखा जाएगा।
यहां आने के बाद ये काफी शोर कर रहे थे। इसलिए वहां पर एक ही जू कीपर को हमेशा भेजा जा रहा था, ताकि वह उसको पहचान सकें। डॉक्टर भी कभी-कभी ही जा रहे थे। ज्यादा लोगों को देखकर वह आक्रामक हो सकते हैं।
चिड़ियाघर के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि भेड़िए अब जू कीपर को पहचानने लगे हैं। नाइट सेल में अब आवाजें कम निकाल रहे हैं। रोजाना डेढ़ से दो किलो मीट खा रहे हैं। पहले केवल बकरे का मीट खाते थे, लेकिन अब मुर्गे और अन्य जानवरों का मीट भी दिया जा रहा है। दोनों भरपेट भोजन कर रहे हैं। इनके व्यवहार में परिवर्तन आया है, लेकिन पूरी तरह शांत होने में अभी थोड़ा और वक्त लगेगा। उन्होंने बताया कि शुरूआत में ये काफी उग्र थे। भरपेट भोजन और एकांत वातावरण की वजह से धीरे-धीरे इनकी आक्रामक प्रवृति कम हो रही है। आगे उच्चाधिकारियों का जो निर्देश होगा, उसके अनुसार कार्य किया जाएगा।

साथ रहेंगे दोनों भेड़िए

चिड़ियाघर में अभी तक कोई भी भेड़िया नहीं था। बहराइच से नर और मादा भेड़िया लाए गए हैं। ये दोनों अब चिड़ियाघर में ही रहेंगे। क्वारंटीन का समय पूरा होने के बाद इन दोनों को अगल-बगल रखा जाएगा, ताकि यह एक-दूसरे को देख सकेंगे। इससे वह अपने प्राकृतिक आवास को कम याद करेंगे। साथ ही उनमें नजदीकियां बढ़ेंगी, जिससे उनकी आक्रामकता भी कम होगी।