प्रदूषण से मरी पिशाचमोचन तालाब की मछलिया
वाराणसी (रणभेरी): पिशाचमोचन तालाब में पितृपक्ष में पिंडों के विसर्जन के बाद कुंतलों मछलियां मर गईं। इनके मरने का कारण तालाब में प्रदूषण बताया जा रहा है। गौरतलब है कि पिशाचमोचन में देशभर से अपने-अपने पितरों को पिंडदान के लिए हर साल हजारों लोग आते है। इस बार भी आए थे। बड़ी संख्या में लोगों के कर्मकांड के बाद पिंड आदि इसी तालाब में बहा दिये जाते हैं। उसके साथ पूजन आदि में प्रयोग हुई सामग्रियां भी इसी में डाल दी जाती हैं। इससे पहले भी इस तालाब की मछलियां मरी हैं।
इस बार पृतिपक्ष के समापन के साथ ही मछलियों के मरने का क्रम शुरू हो गया। एक अनुमान के मुताबिक अभी तक 50 कुंतल से अधिक मछलियां मर चुकी हैं। सूचना पर नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी पहुंचे। तीन दिन से मरी मछलियों को निकलवाने के साथ ही दवा का छिड़काव कराया जा रहा है। पिशाचमोचन के पंडा ने बताया कि पिंडदान ज्यादा होने और पानी कम रहने के कारण गैस बन जाने से मछलियां मर जाती हैं। इससे पहले भी मछलियां मरी हैं। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि पूजन के दौरान इस्तेमाल होनेवाले सिंदूर आदि को प्रवाहित किये जाने से मछलियां मरी है। मुन्ना लाल पंडा का कहना है कि कर्मकांड में सिंदूर का प्रयोग नही होता। रोली, अबीर चढ़ाए जाते हैं।