काशी में 51 शक्तिपीठों और द्वादश ज्योतिर्लिंगों का समागम शुरू
पद्मश्री डॉ. सोमा घोष ने शिव तांडव श्लोक गाए, डिप्टी सीएम ने शिव और शक्ति के मूर्ति का किया अनावरण
वाराणसी (रणभेरी सं.)। यूपी में पहली बार एक अनूठा आयोजन वाराणसी में आयोजित किया जा रहा है। इसमें देश के अलावा विदेश में मौजूद 51 शक्तिपीठों के साथ द्वादश ज्योतिर्लिंग के प्रबंधक और पुजारी हिस्सा लेंने पहुंचे हैं। इनमें पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश आदि देश शामिल हैं। 51 महिलाओं ने शंखनाद करके कार्यक्रम की शुरूआत की। इन पवित्र स्थानों की देखरेख करने वालों को एकजुट करने की कवायद शुरू की गई है। यह आयोजन 1 दिसंबर तक होगा। आयोजित होने वाले कार्यक्रम में कुल 400 संत-महंत जुटेंगे। उद्घाटन सत्र डिप्टी सीएम बृजेश पाठक मौजूद रहें। समागम में शामिल होने के लिए नेपाल से 26 साधु-संतों का दल पहुंचा। नेपाल के दंत काली मंदिर से पहुंचे। उन्होंने कहा कि हम लोग चाहते हैं कि सभी शक्तिपीठों का समुचित विकास हो। उन्होंने कहा कि बहुत से शक्तिपीठ ऐसे हैं जिसमें धूप जलाने भर के आमदनी नहीं है। उन्होंने कहा कि हिंदू तीर्थ स्थलों का समुचित विकास हो।
इन देशों और राज्यों से आएंगे साधु-संत
महा समागम का आयोजन सेंटर फॉर सनातन रिसर्च और ट्राइडेंट सेवा समिति ट्रस्ट की तरफ से रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में 30 नवंबर से 1 दिसंबर तक कार्यक्रम होगा। आयोजक डॉ. रमन त्रिपाठी ने बताया कि मां सती के 51 शक्तिपीठों और द्वादश ज्योतिलिंर्गों के इस महान समागम में भारत समेत श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर समेत कई स्थानों से 400 साधु-संत, पीठाधीश्वर और इन पवित्र स्थान से जुड़े महंत और प्रबंधन समिति के लोग पहुंच रहे हैं।
कई चुनौतियों पर होगा मंथन
डॉ. रमन त्रिपाठी ने बताया कि केंद्र पर सनातन रिसर्च के इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अनेकों माध्यम से सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करते हुए रचनात्मक कार्यों के जरिए लोगों तक सनातन धर्म के मूल्य धाम दर्शन और संस्कारों को पहुंचना है। अभी तक इन सभी शक्तिपीठों में आपसी सामंजस्य नहीं है, न ही द्वादश ज्योतिलिंर्गों के बीच आपसी सामंजस्य है। आयोजन में आने वाले शक्तिपीठों के प्रमुख और संतों की मौजूदगी में शक्तिपीठ और द्वादश ज्योतिलिंर्गों के प्रबंधन में मौजूद चुनौतियों पर चर्चा होगी।
देश के साथ-साथ विदेशों में है शक्तिपीठ
प्रशांत हड़ताडकर ने बताया कि शक्तिपीठ, सिद्धपीठ देवीपीठ जिसका अर्थ है 'शक्ति का आसान' से उन स्थानों का ज्ञात होता है। जहां शक्ति रूप देवी का निवास है। हिंदू धर्म के अनुसार जहां सती देवी के शरीर के अंग गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ बन गई। वे अत्यंत पावन तीर्थ कहलाए।
पवित्र शक्तिपीठ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर स्थापित है। देवी पुराण में 51 शक्ति का वर्णन है। इन 51 शक्तिपीठों में से कुछ विदेश में भी है। वर्तमान में भारत में 42, बांग्लादेश में चार, पाकिस्तान में एक, श्रीलंका में एक, तिब्बत में एक तथा नेपाल में दो शक्तिपीठ स्थित है।