बनारस रेलवे स्टेशन के सामने अतिक्रमण का साम्राज्य

बनारस रेलवे स्टेशन के सामने अतिक्रमण का साम्राज्य

स्टेशन के मुख्य द्वार से लेकर आसपास की सड़कों तक अवैध दुकानों और फुटपाथी व्यापारियों का बोलबाला

वाराणसी (रणभेरी सं.)। बनारस रेलवे स्टेशन, जो पूर्वांचल के सबसे व्यस्त और महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में गिना जाता है, उसके ठीक सामने अराजकता का आलम है। स्टेशन के मुख्य द्वार से लेकर आसपास की सड़कों तक अवैध दुकानों और फुटपाथी व्यापारियों का बोलबाला है। सड़कों पर डिवाइडर के बावजूद एक-एक इंच जमीन पर अतिक्रमण किया गया है, जिससे न केवल यातायात बाधित होता है बल्कि यात्रियों और स्थानीय लोगों को रोजाना परेशानियों का सामना करना पड़ता है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि रेलवे और आरपीएफ की उदासीनता ने इन अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद कर दिए हैं। रेलवे स्टेशन के सामने इन अवैध दुकानों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। फल, चाय, गुटखा, मोबाइल कवर, कपड़े—हर तरह की अस्थायी दुकानें सड़क पर पसर चुकी हैं।

एक स्थानीय निवासी ने बताया कि जब भी गाड़ी लेकर स्टेशन की ओर निकलता हूं, सड़क किनारे इतनी दुकानें लगी होती हैं कि गाड़ी निकालना मुश्किल हो जाता है। अब तो डिवाइडर बनने के बावजूद दुकानदार डिवाइडर के पास तक दुकानें सजाकर खड़े हो जाते हैं। नतीजा ये कि ट्रैफिक घंटों जाम रहता है और पैदल चलना भी दूभर हो जाता है।

इसी इलाके में रहने वाली एक महिला ने बताया कि हम जब बच्चों को स्कूल छोड़ने निकलते हैं, तो सड़क पर दोनों ओर दुकानें और बीच में आॅटो वालों की कतार। कई बार स्कूल के समय में देरी हो जाती है क्योंकि रास्ता ही बंद हो जाता है। आधी सड़क दुकानदारों की और आधी आटो वालों की—सामान्य नागरिक जाए तो जाए कहां?

प्रशासन और रेलवे पुलिस की निष्क्रियता इस समस्या को और भी गंभीर बना रही है। आरपीएफ और जीआरपी के जवान रोज इसी मार्ग से गुजरते हैं, यहां तक कि रेलवे के बड़े अधिकारी भी इन्हीं अतिक्रमित रास्तों से स्टेशन तक पहुंचते हैं, मगर किसी की नजर इस गड़बड़ी पर नहीं जाती। स्थानीय निवासियों को संदेह है कि यह सब किसी अनकही सहमति के तहत चल रहा है। एक स्थानीय दुकानदार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अगर प्रशासन चाहे, तो एक दिन में यह अवैध कब्जा हट सकता है, लेकिन लगता है कि इन्हें जानबूझ कर प्रश्रय दिया जा रहा है। रेलवे स्टेशन एक सार्वजनिक संपत्ति है, जहां देशभर से यात्री आते हैं। अराजकता और अव्यवस्था का ऐसा दृश्य न केवल नगर की छवि को खराब करता है, बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी यह गंभीर खतरा है। भीड़भाड़ वाले इन इलाकों में आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देना आसान हो जाता है, और कोई अप्रिय घटना घटने पर इसका खामियाजा आम नागरिकों को ही भुगतना पड़ता है। कई बार सोशल मीडिया के माध्यम से भी नागरिकों ने इस मुद्दे को उठाया है, मगर न तो नगर निगम, न ही रेलवे प्रशासन या जिला प्रशासन ने कोई ठोस कार्यवाही की है। कुछ महीनों पहले महज दिखावे के लिए एक-दो बार औपचारिक अभियान चलाया गया, लेकिन वह भी ... सांप निकल जाने के बाद लकीर पीटने जैसा रहा। जरूरत है कि वाराणसी प्रशासन, रेलवे बोर्ड और स्थानीय पुलिस मिलकर इस अतिक्रमण के जाल को खत्म करें और रेलवे स्टेशन क्षेत्र को सुचारु और सुरक्षित बनाया जाए। वरना वह दिन दूर नहीं जब देश का यह ऐतिहासिक स्टेशन यात्री सुविधाओं के नाम पर केवल भीड़, जाम और अराजकता के लिए जाना जाएगा ।