वकील-पुलिस विवाद पर अफसरों से बात करेगी टीम-11

वकील-पुलिस विवाद पर अफसरों से बात करेगी टीम-11

पूर्व अध्यक्षों की टीम मिटाएगी गतिरोध, दरोगा अस्पताल से डिस्चार्ज

वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी जिला न्यायालय में दरोगा से मारपीट की घटना के बाद अधिवक्ता समाज दो खेमों में बंट गया है। घटना के बाद से वकीलों के भीतर गहरी नाराज़गी और आपसी मतभेद उभरकर सामने आ गए हैं। एक गुट वर्तमान बार पदाधिकारियों के समर्थन में खड़ा दिखाई दे रहा है, जबकि दूसरा गुट उनके विरोध में खुलकर उतर आया है। विरोधी गुट ने सेंट्रल बार कार्यालय पर जमकर नारेबाजी की और अध्यक्ष व महामंत्री पर पक्षपात के आरोप लगाए। उधर, बार सभागार में हालात इतने तनावपूर्ण हो गए कि पूर्व अध्यक्षों को बीच-बचाव कर बैठक बुलानी पड़ी। इस बैठक में अधिवक्ताओं और पुलिस के बीच बने गतिरोध को दूर करने के लिए गहन मंथन हुआ।

लंबी चर्चा के बाद निर्णय लिया गया कि वर्तमान संकट को सुलझाने के लिए एक 11 सदस्यीय संयुक्त कमेटी बनाई जाएगी। इसमें सेंट्रल बार और बनारस बार के वर्तमान व पूर्व पदाधिकारी शामिल किए गए हैं। इस कमेटी में सेंट्रल बार के अध्यक्ष मंगलेश दुबे, महामंत्री राजेश गुप्ता, बनारस बार के अध्यक्ष सतीश तिवारी, महामंत्री शशांक श्रीवास्तव, सेंट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रामजन्म सिंह, सुरेश श्रीवास्त, मोहन यादव, विवेक शंकर तिवारी, अवधेश सिंह, राजेश मिश्रा और पूर्व महामंत्री नित्यानंद राय को जगह दी गई है। समिति गुरुवार को जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक करेगी। बैठक में मुख्य रूप से अधिवक्ता और पुलिस के बीच विश्वास बहाली की रणनीति पर बातचीत होगी। प्रस्ताव रखा गया है कि दरोगा पर हमले के मामले में जब तक विवेचना पूरी न हो जाए, तब तक किसी भी अधिवक्ता की गिरफ्तारी न की जाए। साथ ही, सभी साक्ष्यों का परीक्षण समिति की निगरानी में किया जाए और विवेचना प्रक्रिया के दौरान समिति को विश्वास में लिया जाए। अधिवक्ताओं का कहना है कि पुलिस यदि एकतरफा कार्रवाई करेगी तो माहौल और बिगड़ सकता है, इसलिए समाधान संवाद और आपसी सहमति से ही संभव है। इस कोशिश के साथ बार के वरिष्ठ सदस्य उम्मीद जता रहे हैं कि टकराव की स्थिति जल्द समाप्त होगी और न्यायिक माहौल फिर सामान्य हो सकेगा।

अधिवक्ताओं का नहीं होगा उत्पीड़न

सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मंगलेश दुबे ने कहा कि दरोगा पर हमले में दर्ज मुकदमे में नामजद एवं अज्ञात अधिवक्ताओं पर किसी तरह की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ अधिवक्ता शहर में भी नहीं थे उनके नाम शामिल होने की बात सामने आई है। इसके लिए बनाई गई कमेटी आज सभी मुद्दों पर बिंदुवार बात करेगी। इसके लिए जिला जज जयप्रकाश तिवारी, पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल, डीएम सत्येंद्र कुमार से समय लेकर उनके साथ बैठक करेगी। प्रेम शंकर पांडेय, विजय शंकर रस्तोगी, अशोक उपाध्याय, अजय श्रीवात्सव, कमलेश यादव, घनश्याम सिंह पटेल, चंद्रमा सिंह, राधेश्याम सिंह, राधेलाल श्रीवास्तव, सभाजीत सिंह, मुरलीधर सिंह, विनोद पांडेय, अनिल पाठक, राम राजीव सिंह, अरविंद राय, राम अवतार पांडेय, प्रमोद पाठक, वीरेंद्र नाथ शर्मा समेत 80 वकील शामिल थे।

70 वकीलों पर दर्ज हुआ है केस

वाराणसी कचहरी में दरोगा और सिपाही को दौड़ा-दौड़ाकर पीटने के मामले में पुलिस ने घायल दरोगा की तहरीर पर दस नामजद वकीलों और 60 अज्ञात वकीलों के खिलाफ केस दर्ज किया है। कचहरी एरिया में छह थानों के करीब 300 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। 16 सितंबर को बनारस कचहरी में वकीलों ने एक दरोगा और सिपाही की जमकर पिटाई कर दी थी। दरोगा की वर्दी फाड़ दी थी। दरोगा के सिर और चेहरे पर 3 गहरे घाव हैं। पूरे शरीर पर 13 चोट के निशान हैं। सिपाही से भी मारपीट की है। गंभीर हालत में दरोगा को ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया। दरअसल, बड़ागांव में दो पट्टीदारों का विवाद था। जिसमें हुई मारपीट के बाद दोनों पक्षों का 151 में चालान हुआ था। इस मारपीट में घायल एक वकील ट्रॉमा सेंटर में भर्ती था जिसे बुधवार रात डॉक्टरों ने डिस्चार्ज कर दिया। आरोप है कि दरोगा मिथलेश प्रजापति ने ही उसे मारा था।