राष्ट्रद्रोह की धारा 124 ए पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, समीक्षा होने तक कोई नया केस इस धारा में नहीं होगी दर्ज
(रणभेरी): सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून पर रोक लगा दी है। sc ने बुधवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए राष्ट्रद्रोह कानून की धारा 124 ए कोर्ट ने सरकार को आईपीसी की धारा 124ए के प्रावधानों पर समीक्षा की अनुमति भी दी। हालांकि, अदालत ने कहा राजद्रोह कानून की समीक्षा होने तक सरकारें धारा 124A में कोई केस दर्ज न करें और न ही इसमें कोई जांच करें।
कोर्ट ने कानून पर केंद्र सरकार को पुनर्विचार का निर्देश दिया है। साफ कहा है कि इस धारा के तहत अब कोई नया केस दर्ज नहीं होगा और इसके तहत जेल में बंद लोग कोर्ट से जमानत मांग सकेंगे। शीर्ष कोर्ट ने केंद्र व राज्यों को भादंवि की धारा 124 ए के पुनरीक्षण की इजाजत देते हुए कहा कि जब यह काम पूरा न हो, कोई नया केस इस धारा में दर्ज नहीं किया जाए।
इससे पहले राष्ट्रद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को भी सुनवाई हुई। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र का पक्ष रखा।अपनी दलीलें पेश करते हुए उन्होंने कहा कि एक संज्ञेय अपराध को दर्ज करने से रोकना सही नहीं होगा। हालांकि ऐसे मामलों की जांच के लिए एक जिम्मेदार अधिकारी होना चाहिए और केस को लेकर उसकी संतुष्टि की न्यायिक समीक्षा होना चाहिए।
उन्होंने शीर्ष कोर्ट से कहा कि जहां तक देशद्रोह के विचाराधीन मामलों का सवाल है, हर केस की गंभीरता अलग होती है। किसी मामले का आतंकी कनेक्शन तो किसी का मनी लॉन्ड्रिंग कनेक्शन हो सकता है। केंद्र सरकार की ओर से साफतौर पर कहा गया कि राष्ट्रद्रोह के प्रावधानों पर रोक का कोई भी आदेश पारित करना अनुचित होगा। इन्हें संविधान पीठ ने कायम रखा है। दरअसल, भादंवि की धारा 124A, देशद्रोह या राजद्रोह को अपराध बनाती है, उसके गलत इस्तेमाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने गत दिवस कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले निर्देश के बाद, मंत्रालय ने इस कानून के प्रावधानों पर विचार और जांच करने का फैसला लिया है। सरकार ने अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दे दिया है।