काशी विद्यापीठ में छात्रों का अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन, 3 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रशासनिक भवन के सामने कर रहे विरोध

काशी विद्यापीठ में छात्रों का अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन, 3 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रशासनिक भवन के सामने कर रहे विरोध

वाराणसी (रणभेरी): महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में छात्रों द्वारा लगातार 14 दिनों से तीन सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन कर रहें है। छात्रों का समर्थन देने के लिए सपा MLC आशुतोष सिन्हा भी पहुंचे। इस दौरान आशुतोष सिंहा ने छात्रों से वार्ता किया। छात्रों को संबोधन करते हुए कहा कि अगर छात्रों की बात नहीं सुनी गई तो शिक्षा मंत्री एवं योगी आदित्यनाथ का घेराव किया जायेगा। बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय शिक्षा का मंदिर हुआ करता था जिसको धंधा बना दिया गया है।

MLC आशुतोष सिंहा ने कहा कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में ग्रामीण क्षेत्र के गरीब बच्चे पढ़ने आते हैं, यहां पर पढ़ाई के नाम पर फीस वृद्धि कर दी गई है, जबकि पेड सीटों की संख्या बढ़ा दी गई है। एडमिशन एंट्रेंस की जगह मेरिट के आधार पर किया जाएगा। आशुतोष सिंह ने कहा की परीक्षा के समय अगर कोई बच्चे का तबीयत खराब हो गया और उसका मार्क्स काम आया तो उसको सुधार करने के लिए अवसर नहीं मिलेगा, जबकि एंट्रेंस में वह अपना योग्यता दिखाकर एडमिशन प्राप्त कर सकता है। विश्वविद्यालय प्रशासन से हम इस विषय को लेकर वार्ता करेंगे। छात्रों के आंदोलन को लेकर हम इसको आगे तक ले जाएंगे जरूरत पड़ी तो शिक्षा मंत्री एवं मुख्यमंत्री को भी घेरने का काम करेंगे।

शिवम यादव ने बताया कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की स्थापना महात्मा गांधी के निर्देश पर शिव प्रसाद गुप्त के तहत बसंत पंचमी के दिन 1921 में किया गया था। वाराणसी में इसके पहले भी कई विश्वविद्यालय थे। इसका उद्देश्य था कि गरीब, शोषित, एवं ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों में शिक्षा का अभाव था। उन्हें शिक्षा के माध्यम से देश के विकास में आगे बढ़ने का उद्देश्य था। विद्यापीठ में वाराणसी सहित पूर्वांचल के ग्रामीण क्षेत्र के छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते हैं।
विश्वविद्यालय में मेरिट के आधार पर एडमिशन करने से जो महात्मा गांधी की इच्छा थी, वो पूरी नहीं होगी।  

पूर्व पुस्तकालय मंत्री आशीष गोस्वामी ने बताया कि हमारी 3 प्रमुख मांगे हैं। पहली विश्वविद्यालय के तहत हाल ही में लागू की गई मेरिट आधारित प्रवेश प्रक्रिया को वापस लिया जाए। दूसरी पेड सीटों की संख्या को पुनः घटाकर 33 प्रतिशत किया जाए। जिसे अभी बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है और तीसरी, प्रवेश शुल्क में की गई बढ़ोतरी को वापस लेकर पहले की तरह ही रखा जाए।

सपा MLC आशुतोष सिन्हा ने कहा - हमारे विश्वविद्यालय में गरीब किसान और मजदूर का बेटा पढ़ने आता है। विश्वविद्यालय प्रशासन मनमानी कर रहा है। पेडशीट जो 33 प्रतिशत थी उसे पढ़कर 50 प्रतिशत तक कर दिया गया। उन्होंने बताया कि अब प्रवेश परीक्षा भी बंद कर दिया गया है मैरिट के आधार पर एडमिशन लिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह गलत है मान लीजिए 12वीं में परीक्षा देने वाले का प्रतिशत कम आया हो तो वह विश्वविद्यालय में पढ़ने से वंचित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय विचार करें और पुनः प्रवेश परीक्षा कारण या नियम जल्द से जल्द बदल जाए अन्यथा हम सभी बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।