काशी में मां अन्नपूर्णा के स्वर्ण रूप के दर्शन के लिए भक्तों की उमड़ी भारी भीड़, दोपहर तक 1 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

काशी में मां अन्नपूर्णा के स्वर्ण रूप के दर्शन के लिए भक्तों की उमड़ी भारी भीड़, दोपहर तक 1 लाख  श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

वाराणसी (रणभेरी): धनतेरस से पहले काशी में आस्था का महापर्व शुरू हो गया है। भगवान शिव को अन्न-धन की भिक्षा देने वाली मां अन्नपूर्णा के स्वर्ण रूप के दर्शन आज से आरंभ हो गए हैं। मां के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। करीब दो किलोमीटर लंबी लाइन में हजारों भक्त अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।

जानकारी के अनुसार, दोपहर तक एक लाख से अधिक श्रद्धालु मां अन्नपूर्णा के दर्शन कर चुके थे। भक्तों को माता के “खजाने” के रूप में लावा और सिक्के का प्रसाद दिया जा रहा है।

महंत शंकर पुरी ने बताया कि इस वर्ष धनतेरस से अन्नकूट तक, यानी 18 से 22 अक्टूबर तक मां अन्नपूर्णा भक्तों पर खजाना लुटाएंगी। धनतेरस पर विशेष पूजन के बाद 11 लाख से अधिक सिक्के और 11 क्विंटल लावा भक्तों में वितरित किए जाएंगे। मान्यता है कि इस प्रसाद को घर के भंडार में रखने से धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती।

पुराणों के अनुसार, देवी अन्नपूर्णा को तीनों लोकों की अन्न की माता कहा गया है। एक कथा के अनुसार, जब काशी में भयंकर अकाल पड़ा था, तब भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। तब मां ने आशीर्वाद दिया था कि “काशी में अब कोई भूखा नहीं सोएगा।”

अन्नपूर्णा मंदिर का स्वरूप भी अत्यंत विशेष है- यह श्रीयंत्र के आकार का देश का एकमात्र मंदिर है। यही वह स्थान है, जहां आदि शंकराचार्य ने अन्नपूर्णा स्तोत्र की रचना कर ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति की कामना की थी।

स्वर्णजड़ित प्रतिमा और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में मां अन्नपूर्णा की मूल प्रतिमा भी स्थापित है, जो करीब 108 वर्षों तक कनाडा के एक संग्रहालय में संरक्षित रही थी। बाद में भारत वापस लाकर उसका भव्य पुनर्स्थापन किया गया। अब मंदिर का शिखर तक स्वर्णजड़ित रूप भक्तों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

सुबह से ही बाबा विश्वनाथ के दर्शन के साथ श्रद्धालु मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं। दीपोत्सव और दिवाली के इस पावन पर्व पर काशी का माहौल श्रद्धा, भक्ति और उत्सव से सराबोर है।