स्पेशल एडवोकेट कमिश्नर ने दाखिल की 15 पन्ने की सर्वे रिपोर्ट, अब 23 को सुनवाई
शिवलिंग की जगह पर दर्शन-पूजन समेत अन्य मामलों में अब सुनवाई 23 को
वाराणसी (रणभेरी): ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मिलने के दावे सहित सभी मुद्दों पर आपत्ति तलब कर निपटारे के लिए अदालत में आज लगातार दूसरे दिन सुनवाई टल गई। अब इस मामले में 23 मई (सोमवार) को सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति मिलने के बाद सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने ये निर्णय किया। गुरुवार को शासन की ओर से डीजीसी सिविल ने अदालत में अर्जी दी। तो वहीं प्रतिवादी पक्ष ने ज्ञानवापी से जुड़े तमाम मामलों में आपत्ति दाखिल कर दी है। प्रतिवादी पक्ष ने शिवलिंग मिलने के दावे पर कड़ी आपत्ति जताई है। वादी पक्ष और उनके अधिवक्ताओं पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके साथ ही दोनों पक्षकारों को कमीशन कार्यवाही की रिपोर्ट दी गई है।
सर्वे रिपोर्ट के साथ नक्शानजरी और कार्यवाही का विवरण भी पेश
इससे पहले विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह और सहायक अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप सिंह ने भी अपनी सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में पेश किया। सहायक अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप सिंह ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने से पहले दोनों पक्ष के लोग कोर्ट में मौजूद रहे। सर्वे रिपोर्ट 15 पेज की है। साथ में नक्शानजरी और कार्यवाही का विवरण भी दाखिल की गई है। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हुए सर्वे की पहली रिपोर्ट बुधवार को तत्कालीन अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्र ने सौंपी थी।
डीजीसी सिविल ने अर्जी में क्या कहा
डीजीसी सिविल महेंद्र प्रसाद पांडेय ने अदालत में अर्जी देकर कहा कि ज्ञानवापी परिसर स्थित जिस तीन फीट गहरे मानव निर्मित तालाब को सील किया गया है। उसके चारों तरफ पाइपलाइन और नल हैं। उस नल का उपयोग नमाजी लोग वजू के लिए करते हैं। तालाब परिसर सील होने के कारण नमाजियों के वजू के लिए बाहर व्यवस्था की जाए। सील हुए क्षेत्र में शौचालय भी है। सील होने के बाद नमाजियों को वहां नहीं जाने दिया जा रहा है। ऐसे में उनकी व्यवस्था की जाए। साथ ही तालाब में कुछ मछलियां भी हैं। उन मछलियों को अब कहीं और पानी में छोड़ा जाए।
सोमवार का दिन हो सकता है बेहद अहम
वादी पक्ष की रेखा पाठक, मंजू व्यास, सीता साहू की ओर से मंगलवार को स्थानीय न्यायालय में आवेदन दिया गया था कि शिवलिंग की जगह पर दर्शन-पूजन के साथ ही वजू स्थल पर मिले शिवलिंग के नीचे और नंदी महराज के सामने तहखाने के उत्तरी और पूरब की चुनी हुई दीवारों को तोड़कर सर्वे करवाया जाए। परिसर में कई स्थानों पर रखे बांस, बल्ली, ईंट व बालू का मलबा हटवाकर भी सर्वे करवाने की मांग की गई। इस पर न्यायालय ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी सहित अन्य प्रतिवादियों से आपत्ति मांगी थी। जो आज कोर्ट में आज पेश कर दी गई। अब माना जा रहा है कि सोमवार को दोनों पक्षों के साक्ष्य और सबूतों व तर्कों पर न्यायालय अहम निर्णय कर सकता है। बता दें कि सात मई को कमीशन की अधूरी कार्यवाही पर 12 मई को न्यायालय ने अधिवक्ता आयुक्त के साथ ही विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह और सहायक अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप सिंह को नियुक्त किया था। इसके बाद 17 मई को अदालत ने अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्रा को अधिवक्ता आयुक्त के पद से मुक्त कर दिया।
ज्ञानवापी मस्जिद की दीवार पर देवी-देवताओं की कलाकृति
छह और सात मई को हुई कमीशन की कार्यवाही में ज्ञानवापी मस्जिद की दीवारों पर देवी देवताओं की कलाकृतियां पाई गई हैं। तत्कालीन अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्रा ने बुधवार को अदालत में दाखिल रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद की पिछली दीवार पर शेषनाग, कमल के निशान के साथ धार्मिक चिन्ह मौजूद हैं। दीवार के उत्तर से पश्चिम की ओर से शिलापट्ट पर सिंदूरी रंग की उभरी हुई कलाकृति है। इसमें देव विग्रह के रूप में चार मूर्तियों की आकृति दिखाई दे रही है। इस आंशिक रिपोर्ट को न्यायालय ने रिकॉर्ड में ले लिया है। सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दाखिल दो पेज की रिपोर्ट में तत्कालीन अधिवक्ता आयुक्त ने बताया कि शिलापट्ट पर चार देव विग्रह दिखाई दे रहे हैं। चौथी आकृति साफ तौर पर मूर्ति जैसी दिख रही है और उस पर सिंदूर का मोटा लेप लगा हुआ है। इसके आगे दीपक जलाने के उपयोग में गया त्रिकोणीय ताखा (गंउखा) में फूल रखे हुए थे। बैरिकेडिंग के अंदर व मस्जिद की पश्चिम दीवार के बीच मलबे का ढेर पड़ा है।
मस्जिद के बाहरी हिस्से पर केंद्रित है अजय मिश्र की रिपोर्ट
पूर्व कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने बुधवार को सिविल जज की कोर्ट में अपनी जो सर्वे रिपोर्ट पेश की है, वह ज्ञानवापी मस्जिद के बाहरी हिस्से पर अधिक केन्द्रित है। इस रिपोर्ट के अंदर की बातें जानने के लिए लोगों में उत्सुकता बढ़ गई है। गुरुवार को जब सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में 14 से 16 मई के बीच हुए सर्वे की रिपोर्ट पेश होगी, तब पूर्व कमिश्नर की रिपोर्ट पर भी विचार होगा। प्राचीन आदि विश्वेश्वर परिसर के बारे में राखी सिंह आदि बनाम प्रदेश सरकार आदि के वाद में सिविल जज रवि दिवाकर ने कोर्ट कमीशन का आदेश दिया था। राखी आदि वादियों ने शृंगार गौरी व अन्य विग्रहों की वस्तुस्थिति जानने व उनके दर्शन के अधिकार को याचिका दायर की थी।