रुद्राक्ष, फूलों, फल और मेवा का सेहरा पहनेंगे भोलेनाथ

रुद्राक्ष, फूलों, फल और मेवा का सेहरा पहनेंगे भोलेनाथ
रुद्राक्ष, फूलों, फल और मेवा का सेहरा पहनेंगे भोलेनाथ

वाराणसी (रणभेरी)। महाशिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ के चारों पहर की आरती में बाबा के विवाहोत्सव की रस्म अदा की जाएगी। पूरी परंपरा सप्तऋषि आरती के अर्चक निभाते है। आरती के प्रधान अर्चक पंडित शशिभूषण त्रिपाठी उर्फ गुड्डू महाराज ने बताया कि बाबा के विवाहोत्सव की तैयारियां पूरी हो गई है। बाबा फूलों, फल और मेवा का सेहरा पहनेंगे। जिसे विशेष रूप से तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि पहले पहर की आरती में द्वारपूजा, दूसरे पहर में जयमाल, तीसरे पहर में सिंधुर दान और चौथे पहर की आरती में विदाई की रस्म अदा की जाएगी। पूरे पूजन-अनुष्ठान में करीब 11 कुंतल फल, दो मन मेवा, फल की माला, इलायची की माला, मेवे की माला, रुदाक्ष का सेहरा, अवाला, मुरब्बा, अमावट, सोना चांदी, इत्र गुलाबजल, धोती, साड़ी, मंगलसूत्र, अबीर बुक्का, 11 प्रकार की मिठाई, हर प्रकार के फूल का माला, ठंडाई और भांग अर्पित किया जाएगा।

कल रात्रि जागरण करेंगे बाबा

महाशिवरात्रि पर काशी विश्वनाथ की शयन आरती नहीं होगी। इस दिन बाबा की चार पहर की विशेष आरती होगी। इसके अलावा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ बाबा का विवाह उत्सव सजेगा। पहले पहर की आरती शुक्रवार की रात 10.50 से शुरू होकर रात 12.30 बजे तक चलेगी। दूसरे पहर की आरती 01-02 मार्च की मध्य रात्रि 1.20 बजे शुरू होकर 2.30 बजे तक चलेगी। तीसरे पहर की आरती 02 मार्च की भोर 03 बजे से 4.25 बजे तक होगी तो चौथे पहर की आरती शनिवार सुबह 05 बजे से शुरू होगी और 6.15 पर समाप्त होगी।उसके बाद नित्य की तरह पूजन-आरती जारी रहेगी और और रात्रि में बाबा की शयन आरती होगी।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

कमिश्नरेट पुलिस के अनुसार महाशिवरात्रि पर्व पर काशी में  लाखों की संख्या में भक्तो का रेला उमड़ेगा। बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने आये भक्तो के लिए बैरिकेडिंग कर दी गई है। बैरिकेडिंग के अंदर से ही भक्तों को काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा। कतार में होकर भक्त बाबा विश्वनाथ का दर्शन करेंगे। सुरक्षा की दृष्टि से पूरा परिसर सीसी कैमरे की जद में है। सीपी ने बताया कि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम है। दर्शनार्थी से कोई दुर्व्यवहार ना हो इस पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सुरक्षाकर्मियों को सख्त निर्देश दिया गया है कि भक्तों के साथ किसी प्रकार का कोई अभद्र व्यवहार ना हो।