सावन में रुद्राभिषेक से होती है 18 तरह के फल की प्राप्ति, सभी राशियों के लिए ये है पूजन विधि

सावन में रुद्राभिषेक से होती है 18 तरह के फल की प्राप्ति, सभी राशियों के लिए ये है पूजन विधि

वाराणसी (रणभेरी सं.)।  सावन में रुद्राभिषेक से 18 तरह के फल की प्राप्ति होती है। इस महीने की विशेष तिथियों पर रुद्राभिषेक काफी फलदायी होगा है। भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है।   

सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका अर्थात सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र (शंकर जी) विराजमान हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा हैं। श्रावण मास में भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से इसका फल शीघ्र मिलता है। विविध नैवेद्य से रुद्राभिषेक करने से प्रमुख रूप से 18 तरह के फल की प्राप्ति होती है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने बताया कि कि शिव जी को जलधारा अतिप्रिय है। शिव ही ऐसे एक मात्र देवता हैं जिनका अभिषेक होता है। अभिषेक इसलिए होता है क्योंकि भगवान शंकर अपने कंठ में विष धारण करते हैं। उन्हें शीतलता प्रदान करने के लिए जलाभिषेक करने का विधान है। बाकी देवों को पुष्प व फल आदि प्रिय है। श्रावण मास में मंत्र, रुद्राभिषेक का फल शीघ्र प्राप्त होता है। कालसर्प योग, गृहक्लेश, व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट, कार्य में बाधा दूर हो जाती है।

इन तिथियों पर रुद्राभिषेक फलदायी

आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि सावन में सोमवार, प्रदोष काल, मासिक शिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी होता है। क्योंकि यह तिथियां भगवान शिव से जुड़ी हैं। इसलिए इन तिथियों पर अनुष्ठान करना चाहिए।

रुद्राभिषेक करने के 18 विशेष फल

रुद्राभिषेक 18 प्रकार के होते हैं। इससे 18 तरह के विशेष लाभ भी मिलते हैं। जल से अभिषेक से वर्षा, कुशोदक से असाध्य रोगों से शांति, दही से भवन-वाहन, गन्ने के रस लक्ष्मी की प्राप्ति, शहद एवं घी से धनवृद्धि, तीर्थ जल से मोक्ष की प्राप्ति, इत्र मिले जल से अभिषेक करने पर बीमारी दूर होती है। वहीं, दुग्ध से पुत्र प्राप्ति, शीतल जल व गंगा जल से ज्वर की शांति, घृत की धारा से वंश विस्तार, शकर मिले दूध से विद्वान की प्राप्ति, सरसों के तेल से शत्रु पराजित, शहद से तपेदिक दू, गोदुग्ध व शुद्ध घी से आरोग्यता, शकर मिश्रित जल से अभिषेक से पुत्र की कामना पूर्ण होती है।

राशियों के अनुकूल करें पूजन

मेष: शहद से अभिषेक। चंदन और लाल पुष्प चढ़ाएं।

वृषभ: दही से अभिषेक। सफेद फूल, बेलपत्र चढ़ाएं।

मिथुन: गन्ने के रस से अभिषेक। भांग, धतूरा, तथा बेलपत्र चढ़ाएं।

कर्क: दूध में शक्कर मिलाकर अभिषेक। श्वेत फूल, धतूरा और बेलपत्र चढ़ाएं

सिंह: जल में मधु और गुड़ मिलाकर अभिषेक। कनेर का पुष्प, लाल रंग का चंदन, गुड़ और चावल से बनी खीर चढ़ाएं।

कन्या: गन्ने के रस से अभिषेक। भांग, दुर्वा, पान तथा बेलपत्र चढ़ाएं।

तुला: गाय के घी, इत्र या सुगंधित तेल या मिश्री मिले दूध से अभिषेक। सफेद फूल चढ़ाएं।

वृश्चिक: पंचामृत और शहद से जलाभिषेक। लाल फूल, लाल चंदन, बेलपत्र, बेल के पौधे की जड़ चढ़ाएं।

धनु: दूध में पीला चंदन मिलाकर अभिषेक। पीले रंग के फूल, खीर का भोग लगाएं।

मकर: गंगाजल, नारियल के पानी से अभिषेक। बेलपत्र, धूतरा, शमी व नीले कमल के फूल, भांग, अष्टगंध एवं उड़द से बनी मिठाई का भोग लगाएं।

कुंभ: नारियल के पानी, सरसों व तिल के तेल से अभिषेक। शमी के फूल से पूजन करें।

मीन: केसर मिश्रित जल से जलाभिषेक। पंचामृत, दही, दूध और पीले पुष्प चढ़ाएं।