सट्टेबाजो पर कसने में नकेल, सूबे की सरकार हुई फेल !
*आईपीएल और टी-20 ने घर-घर पैदा कर दी सट्टेबाजों की जमात , बर्बादी के मुहाने पर पहुंच गए बनारस के हजारों परिवार
*आईपीएल की हर गेंद पर हो रहा करोड़ों का वारा न्यारा, सट्टा खेलाने वाला दिनों दिन हुआ मालामाल, जो इस जाल में फंसा वो बना कंगाल
*प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस में भी अंगद की तरह पैर जमा चुका हैं सट्टा माफिया, आखिर बर्बादी के इस मंजर से क्यों अंजान है सूबे के मुखिया !
वाराणसी (रणभेरी)। टी-20 और आईपीएल जैसे खेल की शुरुआत जब हुई थी तो सबने यही सोचा था कि बीस ओवर के इस खेल में खिलाड़ियों का प्रतिभा उभर कर सामने आएगा। प्रतिस्पर्धा के इस खेल में क्रिकेट प्रेमियों को रोमांच पहुंचाएगा। पर ये किसने सोचा था कि यह बीस ओवर के खेल की शुरुआत नहीं बल्कि युवाओं की बर्बादी का शुरुआत होने जा रहा है। 20-20 के इस खेल ने भले ही घर-घर कोई खिलाड़ी पैदा नहीं किया हो पर यह सच है कि इस खेल ने घर-घर जुआरी पैदा कर दिया। ऑनलाइन सट्टा हो या फिर बुकी द्वारा खेलवाया जा रहा आफलाईन सट्टा, सब युवाओं के भविष्य को सट्टे के दलदल में धकेलने का काम कर रहे हैं। सटोरियों ने आज के युवाओं की मानसिकता का खूब फायदा उठाया। वो जानते थे कि आज के युवाओं के पास धैर्य नहीं है। आज का युवा मेहनत से अमीर बनने का सपना नहीं बुनता बल्कि वो चाहता है कि कोई चमत्कार हो जिससे रातों रात हम लखपति या करोड़पति बन जाए। सट्टेबाजों ने युवाओं को रातों रात करोड़पति बनने के ऐसे प्लेटफार्म को जन्म दिया जिसके लालच भरे दलदल में युवा फंसकर बर्बादी की भेंट चढ़ता जा रहा है।
जब देश के प्रधानमंत्री ने बीते साल छत्तीसगढ़ के एक चुनावी रैली में मंच से सट्टेबाजों को जमकर ललकारा था तब ऐसा लगा कि देश के प्रधानमंत्री को युवाओं की चिंता है। पर यह बात समझ से परे है कि उनके अपने ही संसदीय क्षेत्र में सट्टा का काला कारोबार पुलिस की मिलीभगत से इस कदर चल रहा कि कई परिवार या तो बर्बाद हो गए या फिर बर्बादी के मुहाने पर है। पर माननीय प्रधानमंत्री को इसकी भनक तक नहीं है। हो भी तो कैसे क्योंकि सूत्र बताते है कि जेल में बंद माफियाओं, सफेदपोशों और पुलिस की मिलीभगत से यह काला धंधा चल रहा है। सट्टे के प्रति प्रधानमंत्री की उस चिंता ने कई परिवारों को यह उम्मीद दिला दी थी कि उनके अपने ही संसदीय क्षेत्र के युवा अब इस बर्बादी के दलदल से उबर जाएंगे लेकिन बरहाल काशी के युवाओं का परिवार प्रधानमंत्री दलदल में फंसे कई लोगों ने मौत को गले भी लगा लिया, बावजूद इसके वाराणसी पुलिस सट्टे माफियाओं पर क्यों मेहरबान है, यह बात वही जाने।
दूसरी बड़ी हैरत की बात तो यह है कि अपराधियों की पैंट गीली करने का दावा करने वाले सूबे के तेज तर्रार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार भी प्रधानमंत्री की साख को धूमिल होने से नहीं बचा पा रही है। देश की सबसे चर्चित संसदीय सीट वाराणसी में योगी सरकार की पुलिस की मौन सहमति पर संगठित अपराध की जड़े इस कदर गहरी होती जा रही है कि हजारों परिवार दिन पर दिन मिट्टी के घड़े सरीखे टूटते जा रहे हैं। सट्टा के खेल में अपना सब कुछ हारने के बाद सटोरियों का कर्ज चुकाने के दबाव में नौजवान इस कदर बेबस और मजबूर हो जा रहे हैं कि अपना घर-मकान-दूकान तक बेच दे रहे है। वहीं जिन्होंने अपना सब कुछ पहले से ही गवा दिया है ऐसे लोग स्थानीय गुंडों के भय से और अपनी बची-कुची इज्जत बचाने के लिए खामोशी के साथ मौत को गले लगा ले रहे हैं। बर्बादी के गर्त में दफन होने वाले परिवार आज भी पीएम और सीएम से उम्मीद लगाए बैठें हैं।
सारे अपराधी जेल में होंगे... युवाओं के बर्बादी के जद में बौना साबित हो रहा सीएम का यह शब्द !
वाराणसी में सट्टा माफियाओं ने जिस कदर अपना जाल फैलाकर बर्बादी के कगार पर युवाओं को एक लम्बी कतार में खड़ा करना शुरू कर दिया है उससे तो अब ऐसा ही लगता है कि बनारस को बर्बादी की इस लत से बाहर निकाल पाना मुश्किल है। भ्रष्टाचार के खिलाफ कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हुंकार भरने वाले पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भारत का भविष्य कहे जाने वाले नौजवान सट्टा माफियाओं के चंगुल में फसकर बड़ी तेजी से फुटपाथ पर आ रहे हैं और अपना सब कुछ गवाने के बाद ऐसे ही युवा खामोशी केई साथ मौत को गले लगाते जा रहे है। दरअसल सट्टा कारोबारियों के सिस्टम में पहले से ही सेट पुलिस और गुंडों के गठजोड़ के सामने पीड़ित पक्ष को मदद की कोई उम्मीद नहीं रह जाती है। इस काले कारोबार से जुड़े शातिर लोग अपने पीछे मोटे तौर पर कोई सबूत नहीं छोड़ते है जिसकी वजह से तमाम शिकायतों के बावजूद पुलिस हमेशा सेफ जोन में ही रहती है। वही सटोरियों के सिस्टम में खामोशी के साथ अहम किरदार निभाने वाली पुलिस की खुली छुट की बदौलत सट्टा कारोबारियों के लिए वसूली का काम स्थानीय गुंडे आसानी से करते हैं जिन्हें पुलिस के साथ-साथ जेलों में बंद बड़े अपराधियों का संरक्षण भी प्राप्त होता है। बताते चलें कि वाराणसी में अपना पैर जमा चुके तमाम सट्टामाफिया, जेलों में बंद अपराधियों का भी पूरा खर्चा उठाते है। यही वजह है कि सट्टा माफिया बेखौफ होकर सिस्टम के साथ संगठित अपराध की गहरी जड़ों में पानी डाल कर काली कमाई की लहलहाती फसल काट रहे है। इन सबके बावजूद एक सवाल जिंदा है और हमेशा जिंदा रहेगा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पुलिस और प्रशासन के साथ-साथ सारे खुफिया तंत्र फेल हो चुके हैं? या मान लिया जाय कि नीचे से लेकर ऊपर तक सब सिस्टम का हिस्सा है। और यदि यही सच है तो प्रधानमंत्री को यह कहना छोड़ देना चाहिए कि "सारे भ्रष्टाचारी जेल में होंगे" और मुख्यमंत्री को भी यह कहना छोड़ देना चाहिए कि "सारे अपराधी जेल में होंगे"।
अश्विनी केशरी पर क्यों मेहरबान वाराणसी पुलिस ?
आपका चहेता अखबार 'रणभेरी' लगातार सट्टे के काले कारेबारियों के खिलाफ एक मुहिम चला कर शहर के हजारों परिवारों की बर्बादी की इबारत लिखने वाले सटोरियों को बेनकाब कर रहा है। शहर के कुछ ऐसे दागदार नाम है जो न केवल शहर के आवोहवा में जहर घोल रहा बल्कि युवाओं के भविष्य को भी गर्त में धकेल रहा है। सूत्रों के हवाले से हमारे कार्यालय को लगातार पंकज आर्या, बबलू अग्रवाल, आदित्य अग्रवाल, अंशुमान अग्रवाल, सौरभ केजरीवाल सहित कईयों के नाम सामने आए हैं जिन्होंने वाराणसी सहित पूर्वांचल भर के दर्जनों जिलों में सट्टे के धंधे का जाल बिछा रखा है। सट्टे के धंधे का करोड़ों रूपया वाराणसी से सरहद पार कराने वाले एक हवाला कारोबारी का नाम भी सट्टा के गलियारे भी बड़ा मशहूर है, वो नाम है अश्विनी केशरी। दशाश्वमेध थाना क्षेत्र के गिरजाघर मोहल्ले में अपना ठिकाना बनाकर यह व्यक्ति यहां से मुंबई, नेपाल, श्रीलंका और दुबई तक हवाला के जरिए काली कमाई की पलटी करता है। वाराणसी पुलिस के लिए अब भी यह एक बड़ी चुनौती है की आखिरी अश्विनी केशरी नाम यह व्यक्ति कौन है जो यहां के सट्टेबाज़ों के लिए न केवल काम करता है बल्कि एक मजबूत राजदार भी है। क्योंकि सूत्र बताते है कि अपना शिकंजा कसने में नाकाम वाराणसी पुलिस यदि हवाला के जरिए सट्टेबाजों का पैसा ट्रांसफर करने वाले अश्विनी केशरी तक पहुंच जाए तो उसके ज़रिए दर्जनों सट्टेबाजों का चेहरा बेनकाब हो जाएगा। वहीं सट्टे के कारोबार में चर्चित पंकज आर्या के लिए शहर में लगभग एक दर्जन सटोरिये काम करते हैं। जिनकी बैकिंग पंकज आर्या खुद करता है हालांकि इस बात की भी चर्चा है कि पंकज का आर्थिक साम्राज्य काफी दूर तक फैला है जिसका स्वाद चखने के बाद पुलिस न केवल उसके सिस्टम का हिस्सा बनकर निष्क्रिय हो जाती है बल्कि पंकज के खिलाफ कार्रवाई के बजाय उसे और उसके लिए शहर भर में काम करने वाले सटोरियों को संरक्षण प्रदान करके खुद को गौरवान्वित महसूस करती है।
मोबाइल के जरिये खेला जाता है बर्बादी का सारा खेल
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आईपीएल के मैचों पर करोड़ों का सट्टा लग रहा है। युवाओं में सट्टा का लत नशे की तरह तेजी से बढ़ रहा है। सट्टे का यह कारोबार मोबाइल के जरिये चल रहा है। टीमों की जीत, टीमों द्वारा बनाए गए कुल रन, अलग-अलग खिलाड़ियों के रन, प्रत्येक बॉल पर बनने वाले रन, आउट होने वाले खिलाड़ी आदि पर दांव लगाया जाता है। सटोरियों में बड़ी संख्या युवाओं की है। विभिन्न साइटों व मोबाइल ऐप के अलावा बुकियों द्वारा भी खाता खोल कर सट्टा खेलाया जा रहा है। सट्टे का पूरा कारोबार मोबाइल के जरिये चल रहा है।
हाइटेक सटोरिये पुलिस की पकड़ से दूर या फिर पुलिस की मौन सहमति ?
आइपीएल सट्टे का बाजार काफी हाइटेक है। इंटरनेट पर सट्टा लगाने के लिए दर्जनों प्लेटफॉर्म मौजूद हैं। स्थानीय स्तर पर भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तैयार कर सट्टा खेलाया जा रहा है। ज्यादातर प्लेटफॉर्म का मुख्यालय भारत से बाहर बताया जाता है। इसके बलावा बुकी भी लगातार सिमकार्ड भी बदलते हैं। इन कारणों से सटोरिये पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। वाराणसी पुलिस अब तक सट्टे के अवैध कारोबार करने वाले सिंडिकेट का खुलासा नहीं कर पाई है। सूत्रों ने बताया कि पुलिस के मिलीभगत से यह सब काम हो रहा। एवज में मोटी रकम दी जाती है इसलिए पुलिस और खुफिया एजेंसी जानकार भी अंजान रहती है। अब देखना है कि वाराणसी पुलिस कब प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के शाख को बचाने के लिए इन सट्टेबाजों को अपने गिरफ्त में लेती है।