पारा चढ़ते ही पेयजल के लिए हाहाकार

चिराग तले अंधेरा तहसील और ब्लाक मुख्यालय से सटे कचनार गांव में गर्मी बढ़ते ही बढ़ी पेयजल की समस्या
एक किलो मीटर दूर निजी ट्यूबवेल से पानी लाने को मजबूर ग्रामीण ने जताई नाराजगी
वाराणसी (रणभेरी सं.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दलित बहुल क्षेत्र के ग्रामीणों को आज भी पेयजल के लिए तरसना पड़ रहा है। यहां चिराग तले अंधेरा की कहावत चरितार्थ हो रही है मामला कचनार गांव में ही स्थित आराजीलाईन ब्लाक और तहसील मुख्यालय राजातालाब से सटे कचनार गांव के ग्रामीण आज भी एक किमी दूर निजी ट्यूबवेल के पानी से प्यास बुझाने को मजबूर हैं। वहीं विभागीय अधिकारी, कार्यदाई संस्था एलएंडटी और सरकार पानी की समस्या को लेकर संजीदा नहीं दिख रही है।
हर घर नल जल योजना के बावजूद, अब तक यहां के कई इलाकों में पानी की समस्या विकराल है। ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल के लिए तरसना पड़ रहा है। गांव के दलित बस्ती के ग्रामीणों को आज भी शुद्ध पानी नसीब नहीं हो पा रहा है। यहाँ के ग्रामीण पेयजल के लिए निजी ट्यूबवेल के पानी पर निर्भर हैं। गांव से करीब एक किलोमीटर दूर पैदल चलकर ग्रामीण रोज राजातालाब और रानी बाजार पहुंचते हैं और वहां से पानी ढो कर बस्ती में लाते हैं। गांव का हैण्डपम्प भूगर्भ
जलस्तर नीचे जाने से कई माह से खराब
ग्रामीणों ने बताया कि इस भीषण गर्मी में उन्हें पानी के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गांव में दर्जनों सरकारी हैण्डपम्प है, लेकिन वह भी खराब और भूगर्भ जलस्तर नीचे जाने से शो पीस बने है। हैण्डपम्प से वर्तमान में पानी नहीं निकलता है। इस कारण पानी के लिए उन्हें एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। जहां से पानी ढो कर लाते हैं। जिसे पीने और खाना बनाने में उपयोग में लिया जाता है। ग्राम प्रधान उर्मिला देवी ने शीघ्र हैंडपंप का मरम्मत करा कर समाधान का आश्वासन दिया।
कार्यदाई संस्था एलएंडटी, राजस्व कर्मियों की टीम ने ग्रामीणों संग किया निरीक्षण
सूचना पर पहुंची टीम ने कचनार गांव में भूमि उपलब्ध नही होने पर पड़ोसी आवंटित गांव मेहदीगंज प्रस्तावित टंकी स्थल के निरीक्षण के दौरान इस मामले को काफी गंभीरता से लेते हुए इस गंभीर मुद्दे को उठाने वाले स्थानीय निवासी सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता का धन्यवाद दिया।
निरीक्षण के दौरान पाया गया कि बोरिंग हो जाने के पश्चात रास्ते के विवाद के चलते 3 करोड़ की लागत वाली योजना की टंकी स्थानीय काश्तकार बनने नहीं दे रहे है इस समस्या को उठाते वाले टीम के सदस्य राजकुमार गुप्ता ने कहा कि आवंटित भूमि से सटे करोड़ों की डेढ़ बीघा भीटा और बंजर सरकारी भूमि पर स्थानीय भूमाफियाओ की नजर है सरकारी भूमि हड़पने की नियत से वही विवाद उत्पन्न कर रहे है टीम ने इस समस्या को उच्चाधिकारियों को अवगत करा कर इस समस्या के निदान के लिए शीघ्र ही कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
हर घर नल जल पर सरकार कर रही करोड़ों रुपए का खर्च
पेयजल योजना पर लाखों खर्च, पर ग्रामीणों को लाभ नहीं है। भीषण गर्मी में पानी की किल्लत ना हो और लोगों को पेयजल की समस्या से जूझना न पड़े इसको लेकर सरकार द्वारा हैण्डपम्प, पानी टंकी जैसी योजनाओं में लाखों-करोड़ों खर्च कर रही है, लेकिन इसका नतीजा धरातल पर नहीं दिख रहा है। केवल हैण्डपम्प मरम्मत के नाम पर लाखों रुपए हर साल खर्च कर दी जाती है। इसके बावजूद यहाँ वंचित समुदाय के ग्रामीण आज भी निजी ट्यूबवेल का पानी पीने के लिए मजबूर हैं।
चढ़ता पारा खोल रहा व्यवस्थाओं की पोल
भीषण गर्मी में कुआं और हैंडपंप भी घुटने टेक दिए हैं। ग्रामीणों की मांग है कि जल्द से जल्द यहां पर पानी की व्यवस्था जल जीवन मिशन के तहत कार्य पूर्ण किया जाएं जिससे की हर घर नल से जल सुविधा मिल सके।
इस मामले पर ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के सहायक अभियंता अभिमन्यु सिंह ने निराकरण का आश्वासन दिया है। राजकुमार गुप्ता ने डीएम, सीडीओ से शिकायत की है कि शीघ्र समस्या का समाधान कराया जाए ताकि प्यासी गरीब जनता का प्यास बुझाया जा सके।